यह मीडिया का सारा सिस्टम कैसे और किस लेवल तक बिक चुका है आप सोच भी नहीं सकते

गिरीश मालवीय

मीडिया सुशांत की आत्महत्या को डेढ़ महीने से सुबह शाम मुख्य खबर की तरह परोस रहा है यहाँ मध्यप्रदेश के भिंड जिले में लॉकडाउन के कारण उपजे बेरोजगारी से परेशान होकर पिछले 3 महीनों में 28 नौजवानों द्वारा आत्महत्या कर ली है। ……कोई चर्चा नहीं है एक बार आप युवाओ में लॉक डाउन के बाद देश में बढ़ती आत्महत्या के आंकड़े निकालिये आप चौक जाएंगे लेकिन मीडिया को सिर्फ और सिर्फ सुशांत की आत्महत्या को लाइम लाइट में रखना है मीडिया द्वारा ऐसा क्यों किया जाता है इसका जवाब एक बार नोम चोमस्की ने दिया था

नोम चोमस्की लिखते है। …’वास्तविक मास मीडिया लोगों को डायवर्ट करने का काम करती है। वे प्रोफेशनल स्पोर्ट्स, सेक्स स्कैंडल या फिर बड़े लोगों के व्यक्तिगत बातों को जमकर सामने रखती हैं। क्या इससे इतर और कोई गंभीर मामले ही नहीं होते ? …….जितने बड़े मीडिया घराने हैं वे एजेंडे को सेट करने में लगे हुए हैं। अमेरिका के न्यूयार्क टाइम्स और सीबीएस ऐसे मामलों के बादशाह हैं अधिकतर मीडिया इसी सिस्टम से जुड़े हुए हैं। संस्थानिक ढांचा भी कमोबेश उसी तरह का है। न्यूयार्क टाइम्स एक कॉरपोरेशन है और वह अपने प्रोडक्ट को बेचता है। उसका प्रोडक्ट ऑडियंस है। वे अखबार बेचकर पैसे नहीं बनाते। वे वेबसाइट के जरिए खबरें पेश करके खुश हैं। …… वास्तव में जब आप उनके अखबार खरीदते हैं तो वे पैसे खर्च कर रहे होते हैं। लेकिन चूंकि ऑडियंस एक प्रोडक्ट है, इसलिए लोगों के लिए उन लोगों से लिखाया जाता है जो समाज के टॉप लेवल नियतिनियंता हैं ( जैसे मोदी ) आपको अपने उत्पाद को बेचने के लिए बाजार चाहिए और बाजार आपका विज्ञापनदाता है। चाहे टेलीविजन हो या अखबार या और कुछ आप ऑडियंस को बेच रहे होते हैं।’

यहाँ जैसे जैसे कोरोना के बाद उपजा आर्थिक संकट मध्य वर्ग और निम्न मध्य वर्ग को घेरता जा रहा है वैसे वैसे सुशांत की आत्महत्या, अयोध्या का भूमिपूजन, राफेल की आमद यह सारी खबरे हमारी आर्थिक परेशानियों से ध्यान हटाने के लिए है। … नोम चोमस्की ने यह बात बहुत महत्वपूर्ण कही है कि ‘लोगों के लिए उन लोगों के बारे में लिखाया जाता है तो समाज के टॉप लेवल नियतिनियंता हैं। ……आप अगर किसी बड़े अखबार या टीवी मीडिया के सम्पादक को जानते है तो उनसे पूछिए कि सरकार कैसे हेडलाइन मेनेजमेंट करवाती है कैसे हर खबर की हेडलाइन में मोदी के बारे पॉजिटिव थॉट डालने का दबाव रहता है। ……

गिरीश मालवीय

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!