उत्कृष्ट शिक्षा के नाम पर उच्च स्तर का भ्रष्टाचार, मत पढ़ो सरकार !!

बिना निविदा के काम कर रहा डीएमएफ, 14 से 63 लाख पहुंच गई राशि

न तकनीकी न प्रशासनिक स्वीकृति ना ही आमंत्रित की गई निविदा

14 लाख रुपये का मरम्मत कार्य बढ़ कर हो गया 63 लाख


यूकेश चंद्राकर

बीजापुर ( भूमकाल समाचार ) राज्य सरकार ने शिक्षा का स्तर बेहतर बनाने के लिए उत्कृष्ट शिक्षा के लिए राज्य के हर जिले में एक ऐसा स्कूल चालू करने के निर्देश कलक्टरों को दिए जिनमें पहली कक्षा से 12 वीं कक्षा तक बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाया जा सके और जिले के मॉडल स्कूल के रूप में वह स्कूल अपनी पहचान स्थापित कर सके । योजना के क्रियान्वयन में हड़बड़ी ऐसी कि समस्त नियम और कायदों को ठेंगा दिखाकर कथित उत्कृष्ट शिक्षा के लिए उत्कृष्ट किस्म का भ्रष्टाचार किसी अदृश्य उच्च स्तर की स्वीकृति से किया जा रहा है ।

राज्य से मिले निर्देश पर कायदे कानून नहीं देखे जाते, खुद अधिकारी अपने चहेते ठेकेदारों को ज़्यादा फायदा पहुंचाने के लिए किसी कायदे की परवाह नहीं करते हैं । उत्कृष्ट शिक्षा के लिए जिस स्कूल भवन की ज़रूरत है , उसके लिए जिले के अस्तित्व में आने के बाद बनाये गए पहले जिला कार्यालय (बाद में लाइवलीहुड कॉलेज ) के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू कर दिया गया । इसके लिए न तकनीकी स्वीकृति ली गयी, न प्रशासनिक स्वीकृति ली गयी ना ही निविदा आमंत्रित की गई, बावजूद जीर्णोद्धार का कार्य शुरू कर दिया गया । कार्य लगभग 75 फीसद पूरा हो चुका है और बगैर टीएस के एक फाइल एएस के लिए तैयार की गई ।

डीएमएफ के पदेन सचिव के पास 27 जुलाई को ये फाइल आई तो उन्होंने पूरी कार्ययोजना के साथ तकनीकी स्वीकृति देने वाले के सम्बंध में पूछते हुए लिखा है कि तकनीकि स्वीकृति कहाँ है ? उसे नस्ती में रखें । यहां डीएमएफ के नोडल अधिकारी तो हैं ही नहीं ! ऐसे में सवाल ये उठता है कि डीएमएफ में कार्य कैसे संचालित हैं ? एक सवाल ये भी किया जाना चाहिए कि क्या शाखा लिपिक याने स्टेनो ही नोडल अधिकारी हैं ? मामले से जुड़े दस्तावेज में नोडल अधिकारी का नाम नहीं है, हो सकता है कि पदेन सचिव ने अपने लिखे टीप में इस बात का खुलासा कर दिया है । बगैर टीएस के सीधे 62 लाख 80 हजार रुपयों के ए एस के लिए इस नोट शीट को देखें, स्वीकृत, लागत के बाद का कॉलम ‘जारी राशि’ का है, यहां 24 लाख 21 हजार रुपये जारी कर दिया गया है । आप समझने की कोशिश कीजिये कि ठेकेदार को उस कार्य के रुपये जारी कर दिए गए हैं जिस कार्य का कोई फाइल रिकॉर्ड नहीं है ! बीते तारीख में काम पूरा हो गया ।

लगभग पूर्ण हो चुके इस जीर्णोद्धार के कार्य के लिए डीएमएफ मदान्तर्गत बगैर टीएस के प्रशासकीय स्वीकृति लेने की कोशिश बड़े भ्र्ष्टाचार की तरफ इशारा करती नज़र आई तो हमने कार्यस्थल का जायज़ा लेने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी जो निर्माण एजेंसी बनना चाहते हैं, से मुलाकात की । जब उनसे इस भवन के जीर्णोद्धार के बारे में पूछा गया कि क्या जीर्णोद्धार के कार्य के लिए टीएस, ए एस की प्रक्रिया पूरी कर ली गयी थी ? क्या निविदा प्रक्रिया पूरी कर ली गयी थी ? पूरे सवाल जवाब वीडियो में आप सुनिए,

डी समैया

बाईट – जिला शिक्षा अधिकारी

इसके बाद हमने डीएमएफ के पदेन सचिव पोषण चंद्राकर से बात की । पोषण चंद्राकर से की गई बातचीत में साफ हुआ कि जिला शिक्षा अधिकारी डी समैया कैमरे के सामने सरासर झूठ परोसे जा रहे हैं । पोषण चंद्राकर ने यह भी माना है कि यह कार्य नियम विरुद्ध है जबकि आगे उन्होंने कहा कि वे इस मामले की जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी से लिए बिना अधिक कुछ नहीं कह सकते ।

पोषण चंद्राकर

बाईट – पदेन सचिव डीएमएफ (जिला सी ई ओ)

जिस भवन के जीर्णोद्धार का कार्य चल रहा है वह भवन जिले का पहला जिला कार्यालय था यह भवन जीर्ण शीर्ण हुआ नही है। जिसे बाद में लाइवलीहुड कॉलेज बना दिया गया और अब इसका नियमविरुद्ध जीर्णोद्धार कर इसे “अंग्रेजी माध्यम कन्या हायर सेकंडरी स्कूल” बनाने की कोशिश की जा रही है ।

*मज़े की बात तो ये है कि जिस भवन के जीर्णोद्धार का कार्य नियमविरुद्ध चल रहा है इसके महज 25 मीटर दूर विधायक निवास व कार्यालय मौजूद है । कहना गलत नहीं होगा कि विधायक की नाक के नीचे नियमविरुद्ध कार्य चल रहा है लेकिन विधायक भी चुप हैं ! विधायक विक्रम मंडावी से उम्मीद की जा सकती है कि पीएमजीएसवाई के भृष्टाचारों पर उनकी कुछ न करने की कार्यवाई से बढ़कर इस मामले में अलग तरह की कार्रवाही देखने को मिल सकती है । अगर नहीं मिल सकती तो आप खुद से पूछें कि आखिर आपके हक़ के पैसों पर कौन राज कर रहा है ?*

यूकेश चंद्राकर

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