कंस के दैत्यों में जेसीबासुर

मनीष सिंह

कंस के दैत्यों में जेसीबासुर बड़ा भयानक था।

वह वेश बदलने में दक्ष तो था ही, बड़ा शूरवीर, मायावी और हाई हार्स पॉवर वाला भी था।

कंस ने कृष्ण को हानि पहुंचाने के लिए बकासुर के पश्चात जेसीबासुर को भेजा।
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दोपहर के पहले का समय था। गाएं चर रहीं थीं। ग्वाल-बाल इधर-उधर घूम रहे थे। बाल कृष्ण चरती गायों को बड़े ध्यान से देख रहे थे।

अचानक बालकृष्ण यह अहसास हुआ कि उनके ग्वाल बालों में कोई भी नहीं दिखाई पड़ रहा है।

गौए रह-रहकर हुंकार रही हैं। आस पास वृक्ष उखड़े और जमीन खुदी पड़ी थी। बाल-कृष्ण विस्मित होकर आगे बढ़े।

वे ग्वाल-बालों को पुकारने लगे, उन्हें खोजने लगे किंतु न तो उन्हें उत्तर मिला, न कोई ग्वाल-बाल दिखाई पड़ा।
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श्रीकृष्ण चिंतित होकर सोचने लगे, आख़िर सब गए तो कहां गए?

कोई उत्तर क्यों नहीं दे रहा है?

कान्हा कुछ और आगे बढ़े। उन्होंने आगे जाकर जो कुछ देखा, उससे उनके आश्चर्य की सीमा नहीं रही।

एक भयानक जेसीबी मार्ग में खड़ा हुआ था। जो जोर-जोर से अपनी दोनों बकेट आंय-बांय- शांय चला रहा था।

उसकी जद में आकर गुप्तावट, झा वृक्ष औऱ अब्दुल झाड़ी उखड़ी पड़ी थी।
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कृष्ण को देखते ही और भी जोर-जोर से बकेट चलाने लगा। दरअसल बुलडोजर के रूप में जेसीबासुर ही था।

उसी ने सारे ग्वाल-बालों को अपने बकेट के अंदर खींच लिया था।उसने सोचा था, वह कृष्ण को भी अपनी बकेट के अंदर खीच लेगा,

उसे क्या पता था कि जो कृष्ण सारे ब्रह्माण्ड को अपने मुख में रखते हैं, उन्हें कौन खींच सकता है?
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जेसीबासुर को देखते ही कृष्ण जान गए, वह कंस का भेजा दैत्य है। इधर बुलडोजर प्रभु श्रीकृष्ण को पकड़ने के लिए जोर-जोर से अपने हाइड्रोलिक आर्म फेंक रहा था।

श्री कृष्ण स्वतः ही बुलडोजर के पास जा पहुंचे। उन्होंने दोनों हाथों से बुलडोजर की बकेट पकड़कर उसे तोड़ डाला।

जेसीबी टूटकर परम् धाम को गया, तो उसके बकेट से सभी ग्वाल-बाल सकुशल बाहर निकल आए। फिर श्री कृष्ण ने मुरली बजाकर टूटे हुए सभी वृक्ष, वट, झाड़ियों को पूर्ववत कर दिया।
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ग्वाल-बालों ने सायंकाल कालोनी में आकर ट्वीट और पोस्ट किए कि, किस तरह श्रीकृष्ण ने बुलडोजर से उनकी रक्षा की।

नंद, यशोदा और बस्ती के सभी गोप तथा गोपियां कृष्ण की बलैयां लेने लगे, उनके शौर्य की प्रशंसा करने लगे।

साथ ही ईश्वर को धन्यवाद देने लगे के ईश्वर की कृपा से कन्हैया का बाल तक बांका नहीं हुआ।

कृष्ण इसी प्रकार इण्डिया वन में गाएं चराते, बाललीला करते और कंस द्वारा भेजे हुए राक्षसों को मारकर सम्विधान की रक्षा करते रहे।

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जब समाज क्लीव हो जाता है, तो अवतारों की प्रतीक्षा करते हुए इस तरह की कहानियां बनाता है।

तो एक कथा मेरी ओर से।

हरि बोल।

मनीष सिंह

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