इस गांव में हो रहा है 20 लाख रुपये का निर्माण कार्य , किन्तु सरपंच को ही जानकारी नहीं है ?

नदी के गोल चिकने पत्थरों से रपटा निर्माण ,

किरीट ठक्कर


गरियाबंद। जिला मुख्यालय अंतर्गत ही ग्राम पंचायत दांतबाय कला के आश्रित ग्राम लीमडीही के रास्ते में इन दिनों रपटा निर्माण का कार्य चल रहा है, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत लगभग 20 लाख रुपये की राशि से निर्मित हो रहे इस निर्माण कार्य की जानकारी सरपंच को ही नहीं है। सरपंच महेश मरकाम बताते हैं कि एक दिन स्थल पर जाकर देखा तब मुझे जानकरी हुई की यहाँ रपटा निर्माण हो रहा है। सरपंच तथा कार्यरत मजदूरों ने बताया कि सचिव शत्रुघ्न साहू के द्वारा निर्माण कार्य करवाया जा रहा है।
18 मई 2020 से प्रारम्भ किये गये इस रपटा निर्माण कार्य में पिचिंग तथा अन्य कार्यो में बोल्डर पत्थर या गिट्टी की जगह नदी के चिकने गोल पत्थरों का उपयोग किया जा रहा था। किंतु कुछ सजग ग्रामीणों ने इसकी जानकारी पत्रकारों को दे दी। पत्रकारों द्वारा स्थल की फोटोग्राफी और वीडियो रिकार्डिंग की गई , इसकी भनक लगते ही पोल खुलने के डर से आज 3 जुलाई आनन फानन में पिचिंग के गोल पत्थर हटवा दिया गये। इसके बावजूद इस रपटा निर्माण में नदी और जंगल के पत्थरों के भरपूर इस्तेमाल की जानकारी मिली है। गिट्टी और बोल्डर का पैसा बचाने इस तरह का खेल खेला गया ऐसा लगता है , जबकि रपटा निर्माण के लिए 16.46 लाख रु मटीरियल की राशि स्वीकृत की गई है। श्रमिक लागत के लिए 3.40 लाख रुपये की राशि स्वीकृत है। इतनी राशि से एक मजबूत पुल का निर्माण हो सकता था , किन्तु ऐसा लगता है जैसे भ्रष्टाचार के लिये ये राशि कुछ भी नहीं है इससे बड़ी बड़ी रकम हजम कर दी जाती है। यही कारण रहता है कि पहली ही बरसात में इस तरह दूर दराज के इलाकों में बने पुल पुलिया या तो टूट फुट जाते हैं या बह जाते हैं। ग्राम लीमडीही निवासी दो नागरिक चौका राम भुंजिया व सिरपाल नागेश यहाँ मजदूरी करते हैं उनका कहना है कि निर्मित हो रहे इस रपटे का कोई औचित्य नहीं है , इसकी ऊंचाई कम है जबकि बरसात में इस नाले में 6 से 7 फ़ीट तक पानी रहता है।

नाबालिक बच्चियों से मजदूरी कराई जा रही थी।

दातबाय कला से आगे जब हम लीमडीही रपटा निर्माण स्थल पहुंचे तब यहाँ अन्य मजदूरों के साथ तीन नाबालिग बच्चियां चमेली नागेश उम्र 14 वर्ष लक्ष्मी यादव 15 वर्ष , युगेश्वरी 17 वर्ष भी मजदूरी कर रही थीं।

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