वरिष्ठ पत्रकार सुशील शर्मा पर एफ. आई.आर. पत्रकारिता का दमन!

दुर्ग; भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के नजरिये से पत्रकारों द्वारा लिखी गई खबर के विरुद्ध सम्बंधित अफसर के ऊपर कार्यवाही की बजाय उसके द्वारा कान्केर से प्रकाशित समाचार पत्र “बस्तर बँधु” के सम्पादक वरिष्ठ पत्रकार श्री सुशील शर्मा पर दुर्भावनावश कराई गई एफआईआर और पुलिस की अचानक हुई कार्यवाही पर छतीसगढ़ की कांग्रेस सरकार को
स्वयं संज्ञान लेना चाहिये। यह बात समाजसेवी अधिवक्ता श्रीराम शुक्ला ने कही।
उन्होनें आगे कहा कि पत्रकारों के लिए बनाई गई कमेटी में उक्त शिकायत को रखना चाहिये था। अगर अधिकारियों और पुलिस की मनमानी ऐसे ही जारी रही तो कांग्रेस की मीडिया में जो गति है वह कभी खत्म होने वाली नहीं है!
श्री शुक्ला ने प्रदेश के मुखिया माननीय श्री भूपेश बघेल जी और गृह मन्त्री ताम्रध्वज साहू जी से इस पर हस्तक्षेप का आग्रह किया है। उनका कहना है कि क्या आपराधिक प्रकरण दर्ज कराना ही एक मात्र विकल्प है? अगर अफसर पाकसाफ हैं तो स्पस्टीकरण देना चाहिये या मानहानि के लिए लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिये! समाचार प्रकाशन में सीधे पत्रकारों पर एफआईआर का चलन लोकतंत्र के पतन का रास्ता है? बल्कि कांग्रेस के भविष्य के लिए भी यह ठीक नहीं होगा!


अधिवक्ता श्रीराम शुक्ला ने पत्रकारिता के दमन की नीति पर अपना आक्रोश कुछ इस प्रकार प्रकट किया-
अब दुआ के लिए हाथ उठा लो यारों,
सुना है हर दवा बेकाम हो गई है!

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