आदिवासी आंदोलन को समर्थन दे रहे नेताओं के बीच फूट डालने की कोशिश हुई विफल, मनीष कुंजाम और सोनी सोरी दोनों ही आज करेंगे रिहाई आंदोलन का नेतृत्व

दंतेवाड़ा । कांग्रेस सरकार के कथित वादाखिलाफी के खिलाफ आदिवासियों के तेज होते हुए आंदोलन को देखकर प्रशासनिक और राजनीतिक तौर पर षड़यंत्रों का खेल भी शुरू हो गया है । एक और जहां आदिवासियों के आंदोलन को माओवादी प्रभावित बताया जा रहा है वही आंदोलन के नेतृत्व करने वाले नेताओं में फूट डालने की कोशिश भी की जा रही है । इसी कोशिश के तहत एक अखबार में कथित रूप से आदिवासी नेता मनीष कुंजाम का कथन बताकर आदिवासी नेत्री सोनी सोरी के खिलाफ उनकी ओर से बयान छापा गया था, जबकि मनीष कुंजाम ने उक्त खबर को झूठ बताते हुए भूमकाल समाचार को फोन कर खण्डन किया है साथ ही साथी नेताओं से अपील भी की है कि वे इस तरह के कुत्सित प्रयास के खिलाफ सचेत रहें ।

मनीष ने बताया कि – ” उन्हें पता चला कि छत्तीसगढ़ अखबार में कोई रिपोर्ट छपी है । रिपोर्ट में छपी खबर से मुझे बेहद तकलीफ़ हुई । जबकि मैने उसमे छपी बातों का कही भी जिक्र नहीं किया, कैसे छपा ताज्जुब है !! मैंने अखबार के सम्पादक से उस रिपोर्टर की शिकायत की है ।”

ज्ञात हो कि इस फर्जी खबर प्रकाशन के बाद युवा आदिवासी नेता लिंगा राम कोडोपी ने सोशल मीडिया में मनीष कुंजाम के खिलाफ आक्रोश में आकर एक बयान जारी कर दिया था । इस बयान के बाद बस्तर के आदिवासियों के जनतांत्रिक अधिकारों के लिए लड़े जा रहे आंदोलन के लिए जूटे लोगों में हताशा और चिंता पैदा हो गया था । बाद में लिंगा राम ने मनीष कुंजाम द्वारा उक्त खबर को फर्जी बताए जाने के बाद फेसबुक से अपनी पोस्ट हटा दी।

लिंगा राम ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है कि मनीष कुंजाम हमेशा से बस्तर के आदिवासियों के लिए क्रांतिकारी लड़ाईया लड़ते रहे हैं व आज भी बस्तर संभाग में आदिवासियों की लड़ाईया लड़ते रहते हैं । समाचारों में मनीष कुंजाम का सोनी सोरी के बारे में जो बयान छपा था उसके बाद मैंने फेसबुक पर उस बयान के विरोध में एक पोस्ट डाली थी लेकिन आज मनीष कुंजाम ने बयान दिया है, कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा था और संवाददाता ने अपनी मर्जी से उसमें शब्द डाल दिए थे। इस स्पष्टीकरण के बाद मैं फेसबुक पर डाली गई अपनी पोस्ट को निरस्त कर रहा हूं तथा बस्तर की आदिवासी जनता की सेवा हम सब मिलकर पहले की तरह करते रहेंगे अब हमारे बीच में कोई मतभेद नहीं है। उम्मीद हैं आगे भी इस तरह की मतभेद नहीं होंगी।

ज्ञात हो कि जेल में बंद हजारों आदिवासियों की रिहाई के लिए बस्तर के विभिन्न क्षेत्रों से आए आदिवासी पिछले 5 दिनों से दंतेवाड़ा के पालनार में जमे हुए हैं । इस बीच उन्हें भगाने और रोकने के लिए पुलिस ने अनावश्यक बल प्रयोग भी किया फिर भी वे डटे रहे । अंततः आज आदिवासियों को आंदोलन की अनुमति मिल गई है । इस आंदोलन को समर्थन करने मनीष कुंजाम, सोनी सोरी सहित बस्तर के अनेक आदिवासी नेता व समाजसेवियों के आज यहां पहुंचने की संभावना है

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