सड़क निर्माण में कमीशनखोरी या शहादत का शर्मनाक अपमान..

हमारी भूख इतनी बढ़ गई है कि हजारों जवानों का खून पीने के बाद भी शान्त नही हो रही…

बस्तर में विकास कार्यों के नाम पर स्थानीय अधिकारियों,ठेकेदारों और जनप्रतिनिधियों का घृणित खेल जारी..

नीतिन सिन्हा

रायपुर/जगदलपुर- प्रदेश में सिर्फ सरकार ही बदली है पर सरकार के अधीन जिम्मेदारों की कार्यशैली भी पूर्ववर्ती रमन सरकार जैसी ही बनी हुई है। सूबे में आज भी जारी अनियंत्रित भ्रष्टाचार और बेलगाम अफसरशाही नई सरकार के लिए भी बड़ी कमजोरी बन चुका है।।

इसी बीच बीजापुर से खबर आ रही है कि माह भर पहले लाखों रुपयों की लागत से बनी उसूर की चमचमाती सड़क जगह-जगह से उखड़ने लगी है।। बीजापुर जिले का उसूर क्षेत्र घोर माओवाद प्रभावित क्षेत्र माना जाता है।। यहाँ किसी भी प्रकार के सरकारी निर्माणों को सम्पन्न कराने के लिए यहां तैनात अर्धसैनिक बल और राज्य पुलिस बल के जवानों को निर्माण की सुरक्षा देने में न केवल पसीना बहाना पड़ा है बल्कि इसके अलावा अपनी जान तक गंवानी पड़ी है।।

इसके बावजूद इस क्षेत्र के तमाम निर्माण कार्यों में जबरदस्त धांधलियों का होना यह जताता है कि यहां सेवा रत विभागीय अधिकारियों,ठेकेदारों और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की पैसों की भूख इतनी ज्यादा है।। इनकी नजरों में जवानों के जान अर्थात उनके शहादत की भी कोई मोल नही है।।

ऐसा नही है कि बस्तर में सरकारी निर्माण कार्यों(विकास कार्यों)में कमीशन खोरी खेल आजकल की घटना है।। यह परम्परा तो तत्कालीन विकास पुरुष एवं पूर्व मुख्य मंत्री डा.रमन सिंह के शासन काल से जारी है जो वर्तमान सरकार को विरासत में मिली है।।

हालांकि बीजेपी के बीजापुर जिलाध्यक्ष श्रीनिवास मुदलियार ने उसूर सड़क निर्माण पर गम्भीर कमीशनखोरी से गुणवत्ताहीन सड़क निर्माण का आरोप लगाया है और जांच की मांग की है।। परन्तु वो ये भूल गए कि उनकी पार्टी के 15 साल पुरानी सरकार में भी बस्तर में बनाई गई तमाम सड़के गुणवत्ताहीन रही हैं।। जिनके निर्माण में भी जमकर भ्रष्टाचार हुआ है।।

हमारी जानकारी के अनुसार बस्तर में 12 से अधिक ऐसी खूनी सड़के जिनके निर्माण की सुरक्षा में लगे सैकड़ों जवानों की शहादत हो चुकी है।। यह सड़के मुख्यत: सुकमा,बीजापुर,दंतेवाड़ा,नारायणपुर,कोंडागांव और कांकेर जिले में स्थित है।। परन्तु इसके बावजूद इनके निर्माण में जमकर कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार किया गया है।। सड़कों का निर्माण इतना स्तरहीन और घटिया रहा है,कि उक्त सड़कें कुछ दिनों या महीनों बाद ही पूरी तरह से उखड़ चुकी हैं।।बची खुची सड़को को नक्सलियों ने जहां-तहां से काट डाला है।

सुकमा के बुरकापाल समेत दूसरी जगहों पर भी सड़क निर्माण की सुरक्षा के दौरान एक बड़े नक्सली हमले में 25 जवानों की जान एक सांथ गई थी। इसके अलावा छूट-पूट मुठभेड़ में भी कई जवान शहीद हो चुके हैं।। इसके बावजूद उक्त सड़क का निर्माण गुणवत्ता हीन रहा है।।

बस्तर में सड़कों के निर्माण के लिए जवानों की शहादत की यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी सड़क निर्माण की सुरक्षा के लिए जवान अपनी जिंदगी दांव पर लगाते रहे हें। नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग का अधिकांश इलाका पहुंचविहीन है। जंगल में स्थित गांवों में आदिवासी बसे हैं पर वहां बुनियादी सुविधाएं इसलिए नहीं पहुंच पाती हैं क्योंकि वहाँ पर सड़कें नहीं हैं। पहले जो सड़कें बनी थीं उन्हें भी नक्सलियों ने उखाड़ दी थीं । अब जब सरकार की जिम्मेदारी में सड़क निर्माण का काम आया तो उसके प्रयासों को स्थानीय जनप्रतिनिधियों,ठेकेदारों और अधिकारियोंकी कमीशनखोरी की आदत चोट पहुंचा रही है।। सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि आमतौर पर बस्तर की मुख्य सड़के नेशनल हाइवे और स्टेट हाइवे तक का निर्माण सही या गुणवत्तायुक्त नही किया गया।। यहां सड़कों और पुलों के निर्माण पर नक्सलियों से ज्यादे सरकारी भ्रष्टाचारी और कमिशनखोर भी आड़े आते रहे हैं।वैसे तो जवानों की सुरक्षा में यहां सड़के तो बनी तो है परंतु वो टिकी सिर्फ कुछ दिन या महीने ही हैं।।

वर्ष 2017 में निर्माणाधीन दोरनापाल-जगरगुंडा मार्ग को सुरक्षा दे रहे सीआरपीएफ जवानों पर नक्सलियों ने घात लगाकर हमला किया। इस घटना में सीआरपीएफ के 25 जवान शहीद हो गए थे। बताया जाता है कि यह बस्तर की सबसे अधिक खूनी सड़क रही है इस 56 किमी की खूनी सड़क के निर्माण में कुल 49 जवान शहीद हो चुके है।।

भेज्जी इलाके के पालोड़ी में कैंप खुलने के बाद वहां तक पहुंच मार्ग की सुरक्षा में लगे जवानों पर भी नक्सलियों ने हमला किया था। ब्लास्ट में जवानों की गाड़ी उड़ा दी थी। इस घटना में नौ जवानों की शहादत हुई थी। बीजापुर जिले के बासागुड़ा व गंगालूर,नारायणपुर जिले के बासिंग पुल व उस इलाके में सड़क निर्माण के दौरान नक्सली कई बार हमला कर चुके हैं। जिसकी सुरक्षा में लगे दर्जनों जवानो की जानें जा चुकी हैं। यह विडंबना ही है कि जवानों के खून से सनी सड़कों पर भ्रष्टाचार का डामर बिछाने की खबरें भी हमेशा सुर्खियों में आती रही हैं। यहां तक कि बीते दिनों बस्तर में फोर्स के साथ किसी रणनीतिक बैठक में आए प्रदेश के डी जी पी डी एम अवस्थी के सामने भी इन सड़कों पर हो रहे व्यापक भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया जा चुका है। परन्तु किसी भी तरह की प्रशासनिक कार्रवाई के अभाव में सड़क निर्माण के नाम पर भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का घृणित खेल आज भी बदस्तूर जारी है।।

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि सड़क निर्माण से जुड़े जिम्मेदार लोगों में कमीशनखोरी की भूख (आदत)इतनी बढ़ चुकी है कि कमीशनखोरी के रुपयों के सांथ सड़कों की सुरक्षा में बहे सैकड़ों जवानों के खून मिले होने के बाद भी भूख शांत नही हुई है।। इन हालातों में यह कहा जाना कि बस्तर के सड़क निर्माणों में किया जा रहा भ्रष्टाचार/कमीशनखोरी शहादत का शर्मनाक अपमान है कहीं से गलत नही होगा।।

बस्तर के विकास के नाम और राज्य निर्माण के बाद से किए गए घोटालों और कमीशन के खेलों पर पूरी एक किताब या यूं कहें कि महाकाव्य लिखी जा सकती है।।सालों से 50 हजार से अधिक स-शस्त्र जवानों की सुरक्षा में विकास कार्यों की कछुवा गति के लिए नक्सली हिंसा कम बल्कि सरकारी भ्रष्टाचार और हर स्तर में व्यापत भयंकर कमीशनखोरी की आदत ज्यादा जिम्मेदार है।। हाल के दिनों में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन जरूर हुआ है परंतु कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार का यह खेल पूर्ववर्ती भाजपा सरकार से ज्यादा तेज गति से जारी है। अब जिनकी भुख सिर्फ हरामखोरी के पैसों पर टिकी है उनके लिए स्थानीय लोगों की जरूरतें और जवानों की जान की कोई कीमत नही है।..कमल शुक्ल वरिष्ठ पत्रकार और बस्तर क्षेत्र के अनुभवी जानकार।।

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