वाकई! जननेता बन रहे हैं भूपेश…

छत्तीसगढ़ में पहली बार ऐसा लग रहा है कि वहां के मूल निवासियों छत्तीसगढ़ के आदिवासियों, यहां के संस्कारों, यहां की परंपराओं की सरकार आई है। हरेली त्यौहार को एक उत्सव का रंग सरकार ने दिया है। यह त्यौहार उन किसानों के लिए सबसे खास है, जो खेती करते हैं, जिनके घर हल नांगल बैल रखे जाते हैं ।

18-19 साल में पहली बार ऐसा देखने को मिला है कि कोई सरकार हरेली को उत्सव के रूप में मना रही है। भूपेश बघेल इसके लिए बधाई के पात्र हैं। किसानों के लिए भूपेश बघेल ने ढेरों काम किए। धान का समर्थन मूल्य बढ़ाया, किसानों का कर्ज माफ किया और अब हरेली का त्यौहार मना कर उन्होंने बता दिया कि वह सच में एक किसान पुत्र हैं।

लेकिन इसके आगे एक जननायक की मंजिल थोड़ी दूर नजर आ रही है। छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है। इसे अगर सरकार मुद्दा ही बना कर रखेगी तो शायद भूपेश बघेल के जननायक बनने में थोड़ी कमी रह जाएगी।

युवाओं को रोजगार मिले, बड़ी संख्या में खाली पदों को भरा जाए, सरकार आम आदमी के जीवन में उत्थान के लिए होती है। सड़क, ओवरब्रिज, इंफ्रास्ट्रक्चर तो बनते रहते हैं, लेकिन जब खाने के लिए रोटी नहीं होगी, तो इन सड़कों पर आदमी चलेगा कैसे।

यह सोचने की बात है। भूपेश बघेल को वास्तव में जननायक बनना है तो युवाओं को रोजगार देना होगा।

दरअसल, पिछले कुछ समय से छत्तीसगढ़ की पहचान या छत्तीसगढ़ की राजनीतिक पहचान इस तरह हो गई थी कि कोई भी बड़ा नेता राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप नहीं छोड़ पाया। केंद्र में नरेंद्र मोदी और अमित शाह के आने के बाद डॉक्टर रमन सिंह की छवि कमजोर पड़ी। उन्होंने जो परसेप्शन बनाए थे, टूटे और भाजपा सत्ता से बाहर हो गई।

आज भूपेश बघेल के पास वह अवसर है कि वे छत्तीसगढ़ की राजनीतिक पहचान ले जाएं। विद्याचरण शुक्ला, श्यामाचरण शुक्ला, मोतीलाल वोरा जैसे नेताओं के बाद पिछले 20 साल में राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी नेता की औकात नहीं बन पाई जो छत्तीसगढ़ से बननी चाहिए।

उम्मीद करता हूं कि भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ वासियों के लिए न सिर्फ सोचेंगे बल्कि छत्तीसगढ़ की मजबूत राजनीतिक पहचान बनकर राष्ट्रीय परिदृश्य पर नजर आएंगे।

मृगेंद्र पांडेय

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