चर्चित और बेबाक पत्रकार रवीश कुमार को रैमन मैग्सेसे अवार्ड देने की घोषणा

ओम थानवी शानदार ख़बर है। बुलंद और संजीदा पत्रकार रवीश कुमार को एशिया का नोबेल माना जाने वाला रमोन मग्सेसाय अवार्ड मिला है। ढेर बधाइयाँ। उन्हें भी। आप-हमको भी। वे गौरकिशोर घोष, बीजी वर्गीज़, पी साईनाथ जैसे दिग्गजों की पाँत में प्रतिष्ठित हुए। वाजिब ही। उन जैसे निर्भीक-बेधड़क पत्रकार आज देश में हैं कहाँ!

कल रात ही उनसे बात हुई थी। अमेरिका से स्वदेश लौटे। और सुबह ही देश का, मीडिया का नाम और नाक ऊपर करने वाली ख़बर मिली। आततायी चेहरों को औक़ात दिखाते कितने सुकून की वर्षा हुई है।

सौमित्र रॉय : वे बहुत सवाल करते हैं। इसीलिए सत्ता उन्हें कई नाम से जानती है। भक्तों की आंख का कांटा हैं। ब्लॉग से लेकर सोशल मीडिया पर लिखी हर पोस्ट पर पड़ने वाली सैंकड़ों गालियां। फिर भी पक्ष-विपक्ष दोनों उन्हें रोज पढ़ने-सुनने पर मजबूर हो ही जाता है।

ये हैं रविश कुमार. रविश ने लाख विरोधों और सत्ता के दबाव के बाद भी टीवी पत्रकारिता में विपक्ष की उसी भूमिका को बनाये रखा है, जो असल में एक पत्रकार की वास्तविक भूमिका होती है।

आज उन्हें 2019 के लिए रैमन मैग्सेसे अवार्ड मिला है।

बेलाग, निःसंकोच अपनी बात कहने और सच के लिए आवाज़ बुलंद करने वाले मुझ जैसे कई साथियों के लिए यह जश्न की बात है। लेकिन बात जश्न से भी कुछ आगे की है। 
रविश को मिला सम्मान दरअसल दरबारी पत्रकारिता से अलग आम लोगों से जुड़े ज़मीनी मुद्दों को तवज़्ज़ो देने की उस मूल पत्रकारिता को एक बार फिर स्थापित करता है, जिसका ख्वाब लिए हममें से कई मैदान में उतरते हैं और फिर भीड़ में कहीं खो जाते हैं।

रविश को अवार्ड की ढेर सारी बधाई आप यूं ही हम सब सवालियों की आवाज़ बुलंद करते रहें।

वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी और सौमित्र रॉय की एफबी वॉल से।

साभारः bhadas4media.com

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