उपकारा शेरघाटी (गया,बिहार) जेल से भेजी गई स्वतंत्र पत्रकार रूपेश कुमार सिंह की 5 कविताओं में से दूसरी कविता— साभार कॉमरेड इलिका प्रिय

कामरेड जूलियस फ्यूचिक
तुम बहुत याद आते हो ।

जब मुझे और मेरे साथियों को
कार से उतरकर पेशाब करने वक्त
8-10 मुस्टंडे पुलिस के गुंडों ने
अचानक पीछे से हमला कर
खींच लिया अपने कार में
और बांध दी आंखो में पट्टी
व हाथ में हथकड़ी
तो सच कहता हूँ कामरेड
उस समय तुम ही याद आए थे।

जब टार्चर रूम में
4-5 खुफिया पुलिस के अधिकारी
कर रहे थे सवालों की बौछार
दे रहे थे प्रलोभन
व जान से मारने की धमकी
या फिर जब वे बता रहे थे
मेरे अतीत के बारे में
मेरे परिवार के बारे में
मेरे दोस्तों के बारे में
यहाँ तक कि मेरे गर्लफ्रेंडो के बारे में
तब भी मुझे तुम ही याद आए ।

जब उन लोगों ने कहा
“आप तो बहुत सिगरेट पीते हो”
“कितना पैकेट मंगा दूं”
मैंने तपाक से कहा
“एक दिन के लिए 4-5 पैकेट”
और उसने बिना बताए
मेरा पसंदीदा ब्रांड मंगा दिया
सच कहता हूँ कामरेड
मैंने 7 महीने पहले ही
छोड़ दिया था सिगरेट पीना
लेकिन उस समय टार्चर रूम में
चाय के साथ सिगरेट का कश लेते वक्त भी
तुम बहुत याद आए कामरेड ।

जब उन लोगों ने कहा
“आप तो सीसी(सेंट्रल कमिटी) मेंबर हो”
तो मैंने भी तुरंत ही कटाक्ष करते हुए कहा
“नहीं मैं तो पीबी(पोलित ब्यूरो)मेंबर हूँ “
और जब वे लोग
मुझसे झूठ कुछ भी न कबूलवा सके
तब झूठा मुकदमा व झूठी स्वीकारोक्ती बताकर
मुझे डाल दिया कारागार में
मैं यहाँ भी हर रोज
तुम्हें याद करता हूँ
कामरेड जूलियस फ्यूचिक ।
——– रूपेश कुमार सिंह ।

(नोट– कामरेड जूलियस फ्यूचिक चेकोस्लोवाकिया के पत्रकार और कम्युनिस्ट पार्टी आफ चेकोस्लोवाकिया के मेंबर थे। फासिस्ट सत्ता के खिलाफ लिख रहे साथी रूपेश को फर्जी मामलों में जेल में ठूंस दिया गया है )
हम लड़ेंगे साथी,

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