अमित जोगी ने दी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को प्रदेश और पार्टी के बीच चुनने की चुनौती

  • *बस्तर के बीच 233 km बहती इंद्रावती नदी का 247 TMC जल का एक बूँद पानी का उपयोग नहीं होना 20 लाख बस्तरवासियों के विरुद्ध भाजपा और कांग्रेस शासित राज्य सरकारों द्वारा किया जा रहा अशम्य अपराध है: अमित जोगी *
  • *राज्य सरकार 41 साल से लम्बित बोधघाट, कुटरु, भोपालपतनम, मटनार, चित्रकोट, निबरा-कोटरी, नुपुर समेत 9 वृहद बिजली और सिंचाई योजनाओं को तत्काल सैद्धांतिक और वित्तीय स्वीकृति देकर कार्य चालू कराए: अमित जोगी *
  • *तेलंगाना सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ शासन से दो दिन पूर्व माँगी ‘गोदावरी (इचंपल्ली-जानमपेटा) कावेरी लिंक परियोजना’ के लिए NOC (अनापत्ति प्रमाण पत्र) राज्य मंत्रीपरिषद सिरे से ख़ारिज करे, साथ ही देव-दुल्ला और सृजला-सृवंती योजनाओं पर भी छत्तीसगढ़ की ओर से कड़ी से कड़ी आपत्ति CWC (सेंट्रल वॉटर कमीशन) के समक्ष दर्ज कराए: अमित जोगी *
  • 1952 में हीराकुण्ड और 1980 में पोलावरम में छत्तीसगढ़ के साथ हुए एकतरफ़ा अन्याय की पूर्नावृत्ति अब ‘गोदावरी (इचंपल्ली-जानमपेटा) कावेरी लिंक परियोजना’ में 2019 में नहीं होने देंगे, चाहे मुझे जल-समाधि ही क्यों न लेनी पड़े: अमित जोगी *

जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा है कि ऐतिहासिक जनादेश मिलने के बावजूद अगर आपको इस पत्र के माध्यम से जो जानकारी वे दे रहे है, अगर उसका आधा भी मुख्यमंत्री जी के संज्ञान में हैं, तो अमित जोगी उनके विरुद्ध आरोपों को स्वयं ख़ारिज करके मुख्यमंत्री जी से माफ़ी माँग लेंगे।किंतु जोगी को पूरा विश्वास है कि भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के अस्तित्व से जुड़े इन तथ्यों से आज तक अनभिज्ञ हैं- या जानकारी रखते हुए भी अनजान बने बैठे हैं- क्योंकि विगत 7 महीनों में भूपेश बघेल सरकार ने इन अति-महत्वपूर्ण विषयों की ओर ध्यान देना तो दूर, उनपर कोई सकारात्मक कार्यवाही भी नहीं करी है।

अमित जोगी ने आगे लिखा है कि आज से दो दिन पूर्व श्री नरेन्द्र मोदी की NDA सरकार द्वारा स्थापित राष्ट्रीय नदी विकास प्राधिकरण ने ‘गोदावरी (इचंपल्ली-जानमपेटा) कावेरी लिंक परियोजना’ को अपनी सैद्धांतिक सहमति दे दी है। यह सहमति 7.8.1978 को गोदावरी वॉटर डिस्प्यूट ट्रायब्यूनल (GWDT) द्वारा पारित अवार्ड के बिलकुल विपरीत है: इस अवार्ड के अंतर्गत केवल तेलंगाना (तत्कालीन आंध्रा प्रदेश) स्थित करीमनगर और छत्तीसगढ़ (तत्कालीन मध्य प्रदेश) स्थित बीजापुर जिलों को जोड़ने की अनुमति प्रदान करी गई थी, जिसमें दोनों राज्यों में 30000 हेक्टेर ढुबान में आने वाले क्षेत्र के बदले छत्तीसगढ़ (तत्कालीन मध्य प्रदेश) को प्रतिवर्ष 960 MW बिजली मिलना निर्धारित किया गया था।  

जोगी ने आगे कहा कि इसके पूर्व GWDT द्वारा 12 अलग-अलग अवार्ड 19.12.75 (G1 से G12) पारित किए गए थे जिसके अंतर्गत कोटपाड़ से भद्रकाली तक इंद्रावती-गोदावरी बेसिन में छत्तीसगढ़ (बस्तर) में 233 किलोमीटर की लम्बाई में बहती इंद्रावती नदी से प्रतिवर्ष  273 TMC पानी के उपयोग की अनुमति 9 वृहद (मेजर) परियोजनाओं- बोधघाट, कुटरु क्रमांक 1-2, भोपालपतनम क्रमांक 1-2, निबरा-कोटरी, नुपुर क्रमांक 1-2, मटनार और चित्रकोट- के माध्यम से प्रदान करी गई थी। इसमें मात्र बोधघाट परियोजना के लिए 1980 तक ₹ 180 करोड़ ख़र्च हो चुके थे किंतु तथाकथित ‘पर्यावरण लॉबी’ और वामपंथियों के अनुचित और हास्यास्पद विरोध- जैसे कि बिजली निकालने के बाद पानी का उपयोग सिंचाई में नहीं हो सकता!-  के कारण इसे राज्य सरकार को बीच में ही छोड़ना पड़ा। 

जोगी सरकार का जिक्र करते हुए अमित जोगी ने लिखा है कि श्री अजीत जोगी की सरकार (जिसमें भूपेश बघेल भी मंत्री थे) के द्वारा 2002 में प्रस्तुत आवेदन पत्र पर 2005 में भारत सरकार ने अंततः बोधघाट परियोजना को पुनः प्रारम्भ कर पूर्ण करने की अनुमति प्रदान करी किंतु पूर्ववर्ती डॉक्टर रमन सिंह जी की भाजपा सरकार ने अनुमति मिलने के बावजूद इस परियोजना को कीनही अज्ञात कारणों से शुरू नहीं करा। कुल मिलाकर परिमाण यह निकला कि बस्तर में 233 किलोमीटर बहती बस्तर की जीवन-दायिनी कही जाने वाली  इंद्रावती नदी के एक बूँद पानी के उपयोग से 20 लाख से ज़्यादा बस्तरवासी आज तक वंचित हैं।

छत्तीसगढ़ सरकार की इस असंवेदनशील, नकारात्मक और अड़ियल रूख के कारण ही आज से दो दिन पूर्व तेलंगाना सरकार ने भारत सरकार के माध्यम से बस्तर में इंद्रावती के 247 TMC अनुपयोगी (अनयूज़्ड) जल के उपयोग के लिए छत्तीसगढ़ शासन से NOC (अनापत्ति प्रमाण पत्र) की माँग करी है। जिस 247 TMC पानी पर बस्तरवासियों का प्रथम अधिकार है, उसे अब तेलंगाना ख़ुद के उपयोग में लाना चाहता है और इसे ‘गंगा-कावेरी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना’ के अंतर्गत नागार्जुन सागर बाँध में छोड़ने के बहाने ‘गोदावरी (इचंपल्ली-जानमपेटा) कावेरी लिंक परियोजना’ के माध्यम से बघेल  सरकार से NOC चाहता है। अगर बघेल  सरकार इस बारे में विचार भी करती है, तो ये अक्षम्य होगा। 

अमित जोगी ने आगे कहा है कि इसके पूर्व भी जब 1952 में हीराकुण्ड बाँध को लेकर उड़ीसा और तत्कालीन मध्य प्रदेश के बीच समझौता हुआ था, तब भी छत्तीसगढ़ में एक भी बाँध तक नहीं बना था और उस योजना का सम्पूर्ण फ़ायदा उड़ीसा को ही मिला था। यही हाल 1980 की पोलावरम परियोजना का हुआ। अमित जोगी ने कहा कि जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) छत्तीसगढ़ के साथ ऐसा अन्याय दुबारा कभी नहीं होने देगी, चाहे हमें जल-समाधि ही क्यों न लेनी पड़े। इस संदर्भ में अमित जोगी ने, अपनी पार्टी के अध्यक्ष होने के नाते, मुख्यमंत्री के समक्ष तीन मांगें रखी हैं :

  1. GWDT द्वारा जो 12 अलग-अलग अवार्ड 19.12.75 (G1 से G12) को कोटपाड़ से भद्रकाली तक इंद्रावती-गोदावरी बेसिन में छत्तीसगढ़ (बस्तर) में 233 किलोमीटर की लम्बाई में बहती इंद्रावती नदी से प्रतिवर्ष 273 TMC पानी के उपयोग हेतु 9 वृहद (मेजर) परियोजनाओं- बोधघाट, कुटरु क्रमांक 1-2, भोपालपतनम क्रमांक 1-2, निबरा-कोटरी, नुपुर क्रमांक 1-2, मटनार और चित्रकोट- के लिए पारित किए गए थे, उसे अविलंभ और तत्काल राज्य मंत्रीपरिषद की विशेष बैठक आहूत करके नीशर्थ स्वीकृति प्रदान करी जाए।
  2. तेलंगाना सरकार द्वारा भारत सरकार के माध्यम से दो दिन पूर्व आपको भेजे NOC के माँग पत्र को उपरोक्त परिवेश में सिरे से ख़ारिज करते हुए ‘गोदावरी (इचंपल्ली-जानमपेटा) कावेरी लिंक परियोजना’ के साथ-साथ देव दुल्ला और सृजला सृवंती योजनाओं पर भी छत्तीसगढ़ शासन की ओर से कड़ी से कड़ी आपत्ति दर्ज करी जाए।
  3. इंद्रावती के उपरोक्त 273 TMC पानी के उपयोग हेतु वृहद (मेजर) परियोजनाओं- बोधघाट, कुटरु क्रमांक 1-2, भोपालपतनम क्रमांक 1-2, निबरा-कोटरी, नुपुर क्रमांक 1-2, मटनार और चित्रकोट- के क्रियान्वयन हेतु आगामी विधान सभा सत्र में कम से कम ₹ 900 करोड़ का वित्तीय प्रावधान रखते हुए आय-व्यय (सप्लमेंटरी) बजट पारित कराया जाए ताकि बस्तरवासियों को एक तरफ़ सूखने और दूसरी तरफ़ डूबने से बचाया जा सके और इंद्रावती के जल पर छत्तीसगढ़ का प्रथम अधिकार भौतिक तौर पर स्थापित हो सके। 

इस संधर्भ में अमित जोगी ने मुख्यमंत्री को स्मरण दिलाने का प्रयास किया है कि जब 2002 में तत्कालीन अविभाजित आन्ध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री चंद्रबाबू नायडू जी ने छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री श्री अजीत जोगी जी को उक्त बाँधों के भूमिपूजन के लिए निमंत्रण दिया था, तब उन्होंने स्पष्ट रूप से उन्हें यह कहके मना कर दिया था कि मैं आऊँगा तो ज़रूर लेकिन भूमिपूजन करने नहीं आमरण अनशन करने। 

अमित जोगी ने भरोसा जताया है कि उपरोक्त तीनों माँगों पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी “छत्तीसगढ़ प्रथम” सिद्धांत को अपनाते हुए  साकारात्मक निर्णय लेंगे हालाँकि उनकी  पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं, जिसमें आदरणीय श्रीमती सोनिया गांधी और श्री राहुल गांधी भी शामिल हैं, ने उपरोक्त सम्बंध में भी, हमेशा की तरह, छत्तीसगढ़वासियों को बिना सुने हमारे विपरीत अपना फ़ैसला “आंध्रप्रदेश राज्य पुनर्गठन विधेयक” संसद में पारित करते समय ही ले लिया था (जिसकी जानकारी मुझे मुख्यमंत्री की पार्टी के राज्यसभा सांसद और तत्कालीन AICC छत्तीसगढ़ प्रभारी श्री बी॰के॰हरिप्रसाद ने कड़े शब्दों में 2016 में ही दे दी थी)। ऐसे में छत्तीसगढ़ के ढाई करोड़ वासी मुख्यमंत्री  उम्मीद करते हैं कि वे  अपनी पार्टी और प्रदेश के बीच में सही चुनाव करेंगे और छत्तीसगढ़ के साथ दिल्ली में लगातार हो रहे अन्याय के विरुद्ध प्रदेश वासियों की आवाज़ बुलंद करेंगे।

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