गरीबों के चांवल की कालाबाजारी, छापेमारी में पकड़े 50—50 किलो के 176 बोरी चांवल और 50 लीटर मिटटीतेल


सुकमा. जिले के ग्रामीण अंचलों में पीडीएस की दुकानों में चल रही कालाबाजारी की चर्चा एवं शिकायतों का क्रम लंबे अरसे से चल रहा है। खुले बाजार में गरीबों का चांवल बेचे जाने की खबरें भी प्रकाश में आई है। ठोस कार्यवाही नहीं होने की वजह से राशनमाफियाओं के हौंसले बुलंद हैं। यही कारण है कि चांवल चोरी का धंधा ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर फल—फूल रहा है।

गरीबों के हक के राशन की कालाबाजारी का एक आौर मामला सामने आया है। जिसमें खाद्य विभाग की टीम ने छापामारी कार्यवाही करते हुए मंगलवार को कोर्रा के माहरापारा स्थित पुराना बाजार शेड में अवैध भंडारण कर रखा 50—50 किलो के 176 बोरी चांवल और 50 लीटर मिटटी तेल बरामद किया है। बताया जाता है कि उक्त चांवल को बुधवार को नुकलनार के व्यापारी को बेचने के लिए रखा था। ग्रामीणों की शिकायत पर खाद्य विभाग ने कार्रवाई करते हुए बाजार शेड में रखा पूरा राशन को जब्त कर लिया है।

साहयक खाद्य अधिकारी उत्तम जगत ने बताया कि खाद्यान्न चांवल की कालाबाजारी एवं अवैध भंडारण के संबंध में सूचना प्राप्त हुई थी। कार्रवाई करते हुए कोर्रा—मारूकी मार्ग पर पुराना बाजार शेड में 50—50 किलो के 176 बोरी चांवल और 50 लीटर मिटटी तेल बरामद हुआ है। मौके पर उपस्थित ग्रामीणों ने उक्त चांवल ग्रामीणों ने गांव के रामदास कश्यप नाम के व्यक्ति का होना बताया है। जब्त खाद्यान्न को पंचायत सचिव केशव कश्यप को सुर्पूद कर दिया गया है।

गादीरास से जुड़े कालाबाजारी के तार…
जिले का गादीरास इलाका राशन की कालाबाजारी का अडडा बन गया है। यहीं से राशन की कालाबाजारी का धंधा संचालित किया जाता है। कोर्रा व आस—पास इलाके में एक आर्धा दर्जन राशन दुकानें संचालित हैं। पहुंच मार्ग नहीं होना और राशन दुकान का नियमित नहीं खुलने के कारण ग्रामीण चांवल लेने नहीं आते हैं। जिसका फायदा सेल्समैन और राशनमाफिया उठाते हैें। गरीबों को मिलने वाला राशन दुगने व तिगुने भाव में खुले बाजार में बेचा जाता है।

पहले भी हुई है शिकायत
कोर्रा निवासी विजय सोड़ी ने बताया कि इलाके में बड़े पैमाने पर गरीबों का राशन व्यापारियों को बेचा जाता है। इससे पूर्व भी संबंधित व्यक्ति की शिकायत तत्कालिन कलेक्टर जय प्रकाश मौर्य को किया गया था। प्रशासन द्वारा ठोस कार्रवाई नहीें होने के कारण कालाबाजारियों को श्रेय मिल रहा हैे। ग्रामीण इलाकों में कई मील पैदल चलकर ग्रामीण राशन दुकान पहुंचते हैं और उन्हें चांवल नहीं दिया जाता है।

सुकमा से भूमकाल के लिए सलीम शेख की रिपोर्ट

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