एक वोट की कीमत तुम क्या जानो नेता बाबू ? बस्तर में चुनाव के परिणाम ग्रामीण भोगने लगे हैं

छाया – निशु त्रिवेदी

यहां एक वोट देने से हाँथ पैर तोड़ दिए जाते हैं या जान भी चली जाती है

बस्तर । यहां चुनाव परिणाम से पहले चुनाव के बाद के परिणाम आने लगे हैं। चुनाव आयोग हो या राजनीतिक दल सबकी एक ही मंशा होती है कि बस्तर वाले जैसे-तैसे बस वोट कर दें, बस बात खत्म ।
माओवादियों ने इस बार भी चुनाव बहिष्कार का आह्वान किया था । दक्षिण बस्तर के सुदूर इलाके में इसके लिए बड़ी रैली और सम्मेलन भी किया था । बहिष्कार के आह्वान के तहत माओवादी हिंसा में बस्तर से भाजपा का एक मात्र विधायक सहित 11 जवान और 5 से ज्यादा ग्रामीण भी मारे गए हैं ।
पर बस्तर वाले तमाम समस्याओं से जूझते हुए नक्सली चेतावनी के बावजूद बस इसलिए वोट करते हैं कि बदलाव होगा। बस्तर के सभी ग्रामों के आदिवासी सड़क , पानी ,बिजली , स्कूल और स्वास्थ्य की जरूरत की बात करते हैं । पर आज़ादी के बाद हम चाँद पर तो पहुंच गए पर हमारे नेता भाई लोग इन तक नहीं पहुंच पाए।
बस्तर में चुनाव के बाद क्या हुआ ? आईये इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जांबाज पत्रकार रानू तिवारी के वीडियो रिपोर्ट में देखते हैं । रानू हमे दक्षिण बस्तर के एक ऐसे गांव में ले जा रहे हैं , जहां ग्रामीणों ने लोकतांत्रिक पर्व में शामिल होने की निर्मम कीमत चुकाई है । बस्तर में इस तरह की कहानियां सैकड़ों गांव में मिलेंगे ।

छाया – निशु त्रिवेदी

” रानू तिवारी ”

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