तेईस मई की एक लघु कथा

एक मुख्यमंत्री था.
तब के प्रधानमंत्री ने उसे राजधर्म की याद दिलाई थी.

तब उसने भी सबको राजधर्म की दीक्षा देने की ठानी.
उसने चाय वाले का वेश धारण किया और प्रधानमंत्री बन गया.

प्रधानमंत्री बनकर उसने सबको चाय बेचने के साथ ही पकौड़ा तलने के काम में लगा दिया और खुद चौर्य कर्म में लग गया.

चोरी पकड़ाने पर उसने कहा, मैं तो चौकीदारी कर रहा हूं.
चाय के साथ पकौड़े का मजा लेना है, तो तुम सबको भी मेरे साथ चौकीदारी करना होगा. चाय वाले के बाने को छोड़कर उसने चौकीदार की ड्रेस पहन ली.

अडानी-अंबानी, अगोड़े-भगोड़े, चोर और बैंक लूटेरे, सूदखोर-महाजन, भ्रष्टाचारी-बलात्कारी, पापी और नीच सब चौकीदार बन गए. उन्होंने अपने नाम के आगे ‘चौकीदार’ उपनाम भी लगा लिया.

जनता ने उसके बहुरूपियेपन को पहचान लिया और उसे अपने पूर्ववर्तियों की गति को पहुंचा दिया. कथित चौकीदार आज बेरोजगार है.

संजय पराते

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