आदिवासियों के हत्यारे कल्लूरी को अभयदान: मुख्यमंत्री एवं आदिवासी मंत्रियों का विरोध स्वरुप पुतला दहन

आदिवासियों की हत्या और घर जलाने के मामले में आरोपी शिव राम प्रसाद कल्लूरी को यह सरकार प्रधानमन्त्री से हाथ मिलवाती हैं | जिसके कारण मुख्यमंत्री रमन सिंह को राजाराव पठार में शहीद वीरनारायण सिंह के शहीद दिवस पर मुख्य अतिथि बनाए जाने को लेकर सर्व आदिवासी समाज ने चारामा में विरोध प्रदर्शन किया | वहीँ मुख्यमंत्री रमन सिंह सहित छत्तीसगढ़ के आदिवासी मंत्रियों केदार कश्यप, महेश गागड़ा, रामसेवक पैकरा एवं भाजपा प्रवक्ता विश्वादिनी पांडे का चारामा में पुतला दहन किया गया | वीर नारायण सिंह गरीबों के मसीहा थे, कल्लूरी जैसे आरोपियों को अभयदान देने वाले मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को वीर नारायण सिंह के शहादत दिवस पर मुख्य अतिथि बनाए जाने को लेकर विरोध प्रदर्शन हुआ|

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छत्तीसगढ़ सरकार के आदिवासी विरोधी नीतियों के खिलाफ आदिवासी लगातार आंदोलन कर रहे हैं | इस बीच कई दफे आदिवासियों ने धरना प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा | किन्तु इससे सरकार को फर्क नहीं पड़ा | आदिवासीयों के बस्तर में संवैधानिक अधिकार भी छीने गए | आदिवासियों के साथ कई दफे पुलिस बल द्वारा बलात्कार की घटना को अंजाम दिया गया वहीँ फर्जी मुठभेड़ में आदिवासियों की हत्याएं हुई | अब भी फर्जी मुठभेड़ के रोज नए मामले सामने आ रहे हैं | नक्सलियों के नाम पर आदिवासियों का फर्जी आत्मसमर्पण और गिरफ्तारी के भी कई सारे मामले सामने आते रहे है |

सर्व आदिवासी समाज के नेता सोहन पोटाई का कहना है कि कल्लूरी आंध्रा के हैं, प्रमुख नक्सली भी सारे आंध्रा के हैं लेकिन कल्लूरी के रहते अब तक एक भी आंध्रा के नक्सली एनकाउंटर में मारे नहीं गए हैं |  कल्लूरी के आईजी रहते आंध्रा के ठेकेदार अंदरूनी इलाकों में आराम से काम कर रहे हैं और बस्तर के आदिवासियों की फर्जी मुठभेड़ में हत्या हो रही है | कल्लूरी पर कारवाई करने के बजाय सरकार उन्हें प्रधानमन्त्री से हाथ मिलवा रही है | जबकि कल्लूरी ने खुद मीडिया के सामने कबूल किया की मेरे कहने पर फ़ोर्स ताड़मेटला गई, जहाँ आदिवासियों के घर जला दिए गये थे | इसलिए मुख्यमंत्री रमन सिंह सहित छत्तीसगढ़ के आदिवासी मंत्रियों केदार कश्यप, महेश गागड़ा, रामसेवक पैकरा एवं भाजपा प्रवक्ता विश्वादिनी पांडे का चारामा में पुतला दहन किया गया | उनका कहना है कि आदिवासियों पर भाजपा प्रवक्ता के बयान के बाद अब तक इन नेताओं ने अपनी जबान नहीं खोली इसलिए हम उनके पुतले जलाकर विरोध कर रहे हैं |

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अपने ज्ञापनों के माध्यम से आदिवासी समाज ने लगातार सरकार को चेताया है | लेकिन इस गूंगी-बहरी सरकार को सुनाई नहीं दे रहा है | समाज के नेताओं ने राष्ट्रपति, मुख्य न्यायधीश उच्चतम न्यायालय तक से ज्ञापनों के माध्यम से गुहार लगाईं | लेकिन समाज को अब तक न्याय नहीं मिल पाया है | अब बस्तर में चरणबद्ध आदिवासियों द्वारा आन्दोलन किये जाने की खबर हैं | जिसकी शुरुआत अब चारामा से हुई है | शहीद वीर नारायण सिंह शहादत दिवस पर पाँचवी अनुसूची क्षेत्र बस्तर संभाग में आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को सरकार द्वारा लगभग समाप्त किये जाने के विरोध में सर्व आदिवासी समाज ने चारामा में विशाल प्रदर्शन किया| जिसमें करीब 20 हजार लोगों ने अपनी उपस्थिति दी और जमकर विरोध प्रदर्शन किया |

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आदिवासी क्षेत्र बस्तर में लागू 5वीं अनुसूची का कड़ाई से पालन किये जाने, एक स्थानीय टीवी न्यूज चैनल में भाजपा प्रवक्ता विश्वादिनी पांडे द्वारा दिए गये घृणित बयान पर एफआईआर दर्ज कर तत्काल कारवाई किये जाने, ग्राम जैसाकर्रा प.ह.न. 5 खसरा नंबर 1126/2, 1127 रकबा 0.07/0.05 का अवैध पट्टा निरस्त किये जाने, सुरक्षा जवानों द्वारा बलात्कार एवं हत्या की घटना को अंजाम दिए जाने की जाँच और दोषियों को सख्त सजा देने, पेशा कानून कड़ाई से लागू करने आदि प्रमुख माँगे हैं |

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आदिवासी समाज के नेताओं का यह भी कहना है कि बस्तर में उच्चतम न्यायालय के पी.रम्मी रेड्डी 1988, ए.सी.सेन 1993 और आर.एम. लोढ़ा जुलाई 2013 आदि फैसलों का भी उल्लंघन किया जा रहा है | बस्तर में रावघाट जैसी परियोजनाओं में मूल निवासियों को विस्थापित कर बस्तर के बाहर के लोगों को बसाने का षड्यंत्र रचा जा  है| जिसका वे विरोध कर रहे हैं | बस्तर में विभिन्न राजनैतिक संगठनों द्वारा भी आदिवासियों को उनके जल-जंगल-जमीन से बेदखल किये जाने का वर्षों से विरोध किया जाता रहा है |

 

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