संयुक्त राष्ट्र संगठन (UNO) में छत्तीसगढ़ के पत्रकारों पर दमन का मामला
बस्तर के पत्रकार संतोष यादव के साथ छत्तीसगढ़ सरकार की बदले की कार्यवाही पत्रकार प्रभात सिंह, आलोक पुतुल, रितेश मिश्रा, पवन दहत, मालिनी सुब्रमण्यम, सोमारू नाग आदि को प्रताड़ित करने सहित बस्तर में अघोषित आपातकाल, पुलिसिया राज और आदिवासियों के उत्पीड़न के खिलाफ “पत्रकार सुरक्षा कानून संयुक्त संघर्ष समिति” के महासचिव व संयोजक कमल शुक्ला पत्रकारों की सुरक्षा और संरक्षण के मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने वाली संस्था “कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट” के प्रतिनिधि मंडल के साथ “संयुक्त राष्ट्र संगठन (UNO)” के प्रतिनिधियों से मिलकर छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रेस के खिलाफ दमन और अत्याचार का मामला उठाएंगे और कार्यवाही की मांग करेंगे|
छत्तीसगढ़ सरकार की केन्द्रीय जेल जगदलपुर में पत्रकार संतोष यादव से पुलिसिया बर्बरता
जेल में बंद पत्रकार संतोष यादव के साथ बस्तर पुलिस ने जेल में घुसकर निर्मम मार-पीट की है । उसकी हालत काफी गंभीर है, उसे सख्त ईलाज की आवश्यकता है लेकिन लोगों को पता न चले इसलिए उसका ईलाज जेल के भीतर कराया जा रहा है| पत्रकार संतोष यादव को ऐसी स्थिति में हिरासत में लेने और जेल ब्रेक की धाराओं में मामले बनाने की भी खबर है। यह जानबूझ कर सुप्रीम कोर्ट में लगे जमानत आवेदन को प्रभावित करने के लिए, आईजी शिव राम प्रसाद कल्लूरी के निर्देश पर किया गया है। उसने कैदियों व बंदियों के साथ मिलकर जेल में उनके हिस्से का भोजन अधिकारी और कर्मचारी द्वारा चुरा लिए जाने के खिलाफ आवाज उठाई थी। ऊपर से छत्तीसगढ़ सरकार के एक जेल अधिकारी ने मिडिया के माध्यम से कहा है कि जेल में नारा लगाना भी जेल तोड़ना माना जायेगा, कहा है कि एक बार चेतावनी के बाद भी अगर नहीं माने तो गोली मार दी जायेगी। पत्रकारों पर लगातार हमले जारी है, जबकि अधिकांश दल्ले पत्रकार नेता बेशर्मी से सरकार की गोद में जा बैठे हैं। हिंदुस्तान टाईम्स के पत्रकार रितेश मिश्रा को भी कल्लूरी ने डराने की कोशिश की है। हालाँकि सरकार की काफी कोशिशों के बाद भी सच निकल कर आ रहा है और सरकार की न्यायालय से लेकर आम जनता के बीच किरकिरी हो रही है। पर लगता है कि एक बार फिर सभी पत्रकार (जो सही में पत्रकारिता करते हैं) को एकजूट होकर लड़ने की जरुरत है ।