रमन सरकार के इशारे पर चुन-चुनकर निशाना लगा रहे कल्लूरी

प्रोफेसरों, राजनीतिक दलों के लोग और ग्रामीण को हत्यारोपी बनाए जाने से भड़की कांग्रेस
कार्यशैली से उठ रहा सवाल, सवाल झीरम के सूत्रधार कहीं कल्लूरी तो नहीं?

प्रदेश कांग्रेस ने कहा है कि बस्तर के आईजी एसआरपी कल्लूरी अब बदले की भावना से कार्यवाही कर रहे हैं। दरभा ब्लॉक के कुम्मकोलेंग के ग्रामीण सामनाथ की हत्या नक्सलियों ने की है, लेकिन इस मामले में प्रोफेसरों, राजनीतिक दल से जुड़े लोगों पर एफआईआर दर्ज कर पुलिस यह संदेश देना चाहती है कि बस्तर में वही होगा जो आईजी कल्लूरी चाहेंगे। पीसीसी मीडिया चेयरमैन ज्ञानेश शर्मा ने जारी बयान में कहा है कि राज्य सरकार बस्तर में लोकतंत्र का खात्मा करना चाहती है। जिस तरीके से आईजी कल्लूरी काम कर रहे हैं, राजनीतिक दलों के लोगों को हत्या के मामले में फंसा रहे हैं, उससे तो यह सवाल उठने लगा है कि कहीं झीरम घाटी मामले के सूत्रधार कल्लूरी ही तो नहीं थे।
शर्मा ने कहा कि नंदिनी सुन्दर दिल्ली विश्वविद्यालय की तथा अर्चना प्रसाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली की प्रोफेसर हैं। संजय पराते छत्तीसगढ़ माकपा के राज्य सचिव हैं। विनीत तिवारी भी दिल्ली के ही रहने वाले हैं और लेखक हैं। मंजू कवासी गुफड़ी के सरपंच तथा मंगल राम स्थानीय ग्रामीण हैं। हत्या नक्सली करें और आरोपी इन लोगों को बनाया जाए, यह बात ही आश्चर्य पैदा करने वाली है। इससे साफ यह संदेश दिया जा रहा है कि बस्तर में कोई न आए, अगर आएगा तो उसे भी ऐसे ही मामलों में फंसा दिया जाएग। इस पर हैरत की बात यह है कि राज्य सरकार के एक भी नुमाइंदे ने कल्लूरी के इस कदम पर न तो कोई प्रतिक्रिया दी है न ही कुछ कहा है। इसका अर्थ यह हुआ कि “खुला खेल फर्रूखाबादी” खेलने के लिए कल्लूरी के सिर पर मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का वरदहस्त है। साफ जाहिर है कि भाजपा यह सब चुनावी नजरिए से कर रही है, बस्तर की सीटें जीतने के लिए भाजपा सरकार किस हद तक जा सकती है, यह उसका एक उदाहरण है।

उन्होंने कहा कि ताड़मेटला कांड की जांच सीबीआई कर रही है। केंद्र में भाजपा की सरकार है, राज्य में भाजपा की सरकार है। अगर राज्य सरकार को लगता है कि सीबीआई गलत है तो वह केंद्र सरकार से क्यों नहीं बात करती। कायदे से तो अब सामनाथ की हत्या का मामला भी सीबीआई के हवाले कर देना चाहिए, ताकि मालूम तो चले कि यह प्रोफेसर, राजनीतिक दलों के लोग और ग्रामीण कैसे हत्यारोपी हुए।

पीसीसी मीडिया चेयरमैन ने कहा कि बस्तर पुलिस के कारण शासन को हाल ही में हाईकोर्ट में मुंह की खानी पड़ी है, जब एक छात्र और एक नाबालिग को मुठभेड़ में मार दिया गया था और अदालत में शासन को यह कहना पड़ा कि अज्ञात लोगों ने हत्या की। इसी मामले में बस्तर पुलिस ने शहीद कर्मा के परिजनों के खिलाफ भी मामला दर्ज कर लिया था, यह भी कल्लूरी के निर्देश पर हुआ था। यह भी एक उदाहरण है कि भाजपा सरकार बस्तर में चुनाव जीतने की लालसा में कुछ भी कर सकती है। ताजा मामले में भी बस्तर पुलिस असल आरोपियों को पकड़ने की बजाय राजनीतिक दलों के लोगों, लेखकों और निर्दोष ग्रामीणों पर मामला दर्ज कर रही है। चुन-चुन कर निशाना लगा रहे हैं आईजी कल्लूरी और यह निशाने बता रही है राज्य की भाजपा सरकार। फर्जी मुठभेड़ कर आदिवासियों का खात्मा किया जा रहा है।

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