कांग्रेस सरकार में पैसा दो और प्रभारी सी.एम.ओ. बनो

योग्य और वरिष्ठ के होते हुए भी, कनिष्ठ बन रहे हैं सीएमओ

भूपेश बघेल के प्रिय मंत्री शिव डहरिया के नगरीय प्रशासन विभाग में आयोग्य व्यक्तियों को प्रभारी मुख्य नगरपालिका अधिकारी बनाने का खुलेआम चल रहा है खेल

नियम कानून की ऐसी तैसी हम तो चलाएंगे अपने मर्जी से राज

रायपुरछत्तीसगढ़ शासन नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग में नगरपालिका और नगर पंचायतों में सबसे बड़ा पद मुख्य नगरपालिका अधिकारी होता है । राज्य प्रशासनिक सेवा से सीधे सी.एम.ओ. पद पर चयनित अधिकारी अपने मन में सी.एम.ओ. बनने का सपना सजाये रखते है, लेकिन वर्तमान सरकार में जोड़-जुगाड़ से दर्जनों आयोग्य कर्मचारी पैसों के बल पर प्रभारी सी.एम.ओ. बन जा रहे है। सीधे विभागीय मंत्री के बंगले में चढ़ावा चढ़ाने के बाद मंत्री जी के आर्शीवाद से सीधे नगर पंचायत नगर पालिका के प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी बन जाते है और पीछे रह जाती है योग्य अधिकारी कर्मचारी की लंबी लाइन जो अपने से नीचे स्तर के कर्मचारी को साहब बोलने पर मजबूर हो जाते है उनके नीचे काम करने के लिए मजबूर हो जाते है। कोण्डागांव जिले में एक ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है जिसमें सबसे नीचे स्तर के कर्मचारी श्री दिनेश डे जो कि सहायक राजस्व निरीक्षक के रूप में कोण्डागांव में कार्य कर रहे थे उनको 20.07.2020 को कोण्डागांव से राजस्व निरीक्षक बताकर प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर पंचायत फरसगांव बना दिया जाता है। जबकि उनका मूल पद सहायक राजस्व निरीक्षक है आर.टी.आई. लगाने के बाद नगरीय प्रशासन को अपनी गलती माननी पड़ी फिर उन्होंने 28.12.2021 को एक संसोधित आदेश निकाला, जिसमें यह बताया गया कि श्री दिनेश डे के उक्त आदेश के पदनाम राजस्व निरीक्षक के स्थान पर सहायक राजस्व निरीक्षक पढ़ा जाए ।

दिनेश डे : जब योग्यता नही तो कैसे बने सीएमओ

छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा जारी पत्र 15.05.2013 के अनुसार प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी चालू प्रभार है । जिसका मतलब अगर किसी कारण से मुख्य नगर पालिका अधिकारी का पद खाली होता है तो चालू कार्यभार उनके नीचे सबसे योग्य और बड़े पद में काम करने वाले अधिकारियों को यह चालू प्रभार दिया जाऐगा जो कि सीमित समय के लिए रहेगा लेकिन नगरीय प्रशासन विभाग ने इस सहूलियत को पैसा कमाने का धंधा बना लिया है उनको दो साल के लिए फरसगांव प्रभारी मुख्य नगरपालिका अधिकारी नगर पंचायत बना के रखा गया। जबकि कोण्डागांव और फरसगांव में एक चपरासी को छोड़कर सब उनसे पद में बड़े है।

कांग्रेस के शासन में भ्रष्टाचार इतना ज्यादा फल फूल कर बेशरम के जंगल में तब्दील हो चुका है कि अब उस पर नियंत्रण भी मुश्किल हो चुका है । 26.09.2022 को सारे नियम कानून ताक में रखते हुए मंत्रालय नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग का नया आदेश निकला जिसमें श्री दिनेश डे को प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर पंचायत फरसगांव से प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर पालिका कोण्डागांव बना दिया गया । ऐसा मामला शायद ही पहले किसी सरकार में हुआ होगा जब सबसे निम्न पद के व्यक्ति को नगर पालिका का प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी बना दिया गया।

05.08.2013 में 5200-20200 ़ 1900 वेतन मान का यह कर्मचारी अगर नियमित प्रमोशन लेता है तो शायद अपने जीवन में कभी भी मुख्य नगर पालिका अधिकारी नहीं बन सकता लेकिन मंत्री जी की कृपा देखिए इनको पहले नगर पंचायत बाद में उनके गृह नगर के नगर पालिका अधिकारी बना दिया गया। छत्तीसगढ़ शासन में 05.03.2013 को एक पत्र निकाला था जिसमें स्पष्ट लिखा गया है कि प्रायः यह देखा जा रहा है कि नियमित रिक्त पदो पर चालू कार्यभार कनिष्ठ अधिकारियों / कर्मचारियों को सौप दिया जाता है। नियमित रिक्त पदो पर चालू प्रभार सौपे जाने हेतू वरिष्ठता एवं सहयोग्यता के मापदण्ड को अपनाया जाना चाहिए वरिष्ठता क्रम में उपर के अधिकारियों कर्मचारियों को प्रभार सौपा जाना चाहिए । लेकिन छत्तीसगढ़ शासन के जिम्मेदार अधिकारी अपने ही आदेश को ठेगा दिखाते हुए नीचे स्तर के कर्मचारियों को जो कि योग्य नहीं है जिम्मेदार पद देकर भ्रष्टाचार और कुशासन को बढ़ावा दे रहे है।

प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर पालिका परिषद/नगर पंचायत के प्रभार हेतू शासन के दिशा निर्देष के अनुसार – मुख्य नगर पालिका अधिकारी का पद स्थानांतरण या लंबे अवकाश या किसी कारण से रिक्त होने पर चालू प्रभार जो भी नगर पालिका परिषद/नगर पंचायत में वरिष्ठ अधिकारी / कर्मचारी पदस्थ हो यथा कार्यपालन अभियंता/सहायक आयुक्त /राजस्व अधिकारी/सहायक अभियंता /कार्यालय अधीक्षक/राजस्व निरीक्षक/स्वच्छता निरीक्षक/मुख्य लिपिक/लेखापाल/मुख्य लिपिक सह. लेखापाल/सहायक वर्ग 2/राजस्व उप निरीक्षक/सहायक वर्ग 3/सहायक राजस्व निरीक्षक को दिया जाए। उक्त निर्देषों को कड़ाई से पालन करना सुनिश्चित करने हेतु वर्ष 2012 में शासन का निर्देश भी है ।

पर उक्त निर्देषों को वर्तमान सरकार पालन तो नहीं कर रही है बल्कि उल्टे ठेंगा जरूर दिखा रही है जिस तरह सहायक राजस्व निरीक्षक श्री दिनेश डे को पहले प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर पंचायत बनाया गया फिर बाद में 2 साल बाद प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर पालिका परिषद कोण्डागांव बनाया गया। इससे यह समझ में आता है कि इनसे उपर में दिये गये कोई भी पद के व्यक्ति इन कार्यालयों में नहीं है। गौर करने वाली बाद ये भी है कि सहायक राजस्व निरीक्षक पद में भी वरीष्ठता होती है सूत्रों के अनुसार नगर पालिका कोण्डागांव में ऐसे सहायक राजस्व निरीक्षक पद में ही कई ऐसे भी कर्मचारी है जो सी.एम.ओ. साहब से सीनियर है लेकिन न तो उनके पास पैसा है न ही रायपुर में बड़े बाबूओं को खुश करने की हैसियत है इसलिए अब जिन्दगी भर मुख्य नगर पालिका अधिकारी का बनने का सपना दिल में रखे हुए रिटायर्ड हो जाऐंगे। ऐसे ही दर्जनों अयोग्य व्यक्तियों को मंत्री जी प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी पद की रेवड़ियां बाटते हुए तिजौरी भर रहे है और नगरीय प्रशासन विभाग उपर से नीचे तक भ्रष्टाचार की गर्त में समा गया है। कुछ अच्छा करने की आस लिये पी.एस.सी. पास करने वाले अधिकारी बस अपनी बारी का इंतजार कर रहे है जो कि बिना चढ़ावा दिये संभंव नहीं है।

इस पूरे मामले को लेकर जब बस्तर संभाग के संयुक्त संचालक नगरीय निकाय मिथिलेश अवस्थी से बात किया गया तो इस सवाल के जवाब में उन्होंने बस मुस्कुरा दिया और बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि इसका जवाब देना उनकी जवाबदारी नहीं है, जिन्होंने अयोग्य प्रभारियों की नियुक्ति जारी की है जवाब उनसे मांगा जाए ।

क्या कहते हैं सयुंक्त संचालक बस्तर संभाग

मिथिलेश अवस्थी

नगरी प्रशासन विभाग के संयुक्त सचिव आर एक्का के पास भी इस सवाल के जवाब में मुस्कुराने के अलावा कोई उत्तर नहीं था । उन्होंने भी इस मामले में अपना पल्ला झाड़ते हुए विभाग के सचिव अलरमेल मंगई डी पर मामला डाल दिया, जबकि सचिव अलर मेल मंगाई डी और विभागीय मंत्री शिव डहरिया ने जवाब देने के लिए फोन ही नही उठाया ।

क्या कहते हैं संयुक्त सचिव नगरी प्रशासन विभाग

आर एक्का

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