भारत और पाकिस्तान की मेहनतकश आवाम के नाम अपील: उदय Che

आज युद्ध का उन्माद जोरो पर है। प्रत्येक न्यूज चैनल, अख़बार खबरे ऐसे पेश कर रहे है जैसे युद्ध चल रहा है और वो युद्ध के मैदान से लाइव कवरेज जनता को दिखारहे हो, जैसे महाभारत के सीरियल में संजय धृतराष्ट्र को सुना रहा है। युद्ध की पल-पल की खबरे। महाभारत की कथा के अनुसार कहते है कि महाभारत में संजय के पास दिव्यदृष्टि थी। जो अपने घर बैठ कर युद्ध की प्रत्येक घटना को लाइव देख सकता था। कौन क्या कर रहा है, कौन मरा, कौन हारा, कौन जीताउसको सबकुछ दिखाई देता था। वो धृतराष्ट्र के पास बैठ कर युद्ध का आँखों देखा हाल सुनाता था।

धृतराष्ट्र अँधा था। संजय सुना रहा है, अँधा धृतराष्ट्र सुन रहा है युद्ध की खबरे आजकल जिसको लाइव कवरेज बोलते है।
उस समय में और आज के समय में कोई अंतर आया है तो वो अंतर ये है कि उस समय एक संजय सुनाने वाला था और एक अँधा धृतराष्ट्र सुनने वाला लेकिन आज हजारो संजय सुनाने के साथ-साथ दिखाने वाले भी है और करोड़ो अंधे धृतराष्ट्र सुनने के साथ-साथ देखने वाले भी है।

उस समय के एक संजय ने भी सच्चाई नही सुनाई ऐसे ही आज के हजारो संजय भी नही सुना रहे और न ही दिखा रहे। अंधे धृतराष्ट्र ने भी न सच्चाई सुनने की कोशिश की वैसे ही आज भी करोड़ो अंधे धृतराष्ट्र न सुनने की कोशिश कर रहेऔर न देखने की कोशिश कर रहे है। क्या है सच्चाई…

1. युद्ध क्यों और किसके लिए – प्रश्न ये है कि महाभारत का युद्ध हो या भारत के आजाद होने के बाद हुए युद्ध हो जिनमें लाखो लोग मारे गए। क्या ये युद्ध उन लाखो लोगो के फायदे के लिए लड़ा जा रहा था या कुछ सिमित लोगो के फायदे के लिए, अगर मरने वाली आम जनता के फायदे के लिए युद्ध नही लड़ा गया तो उन्होंने अपनी जान क्यों और किसके लिए कुर्बान की

2. कोई भी सत्ता अपनी नाकामयाबियों से आम जनता का ध्यान भटकाने के लिए, अपनी लूट के नए अड्डे नई जगह स्थापित करने के लिए और सत्ता के खिलाफ पनप रहे मेहनतकश के गुस्से को नकली दुश्मन की तरफ डायवर्ट करने के लिए युद्ध करवाती है। अक्सर इन युद्ध के दौरान सत्ताएं मेहनतकश आवाम के हीरोज को ठिकाने भी लगा देती है। युद्ध सबसे बड़ा दुश्मन है मेहनतकश आवाम के लिए। फिर भी क्यों लड़ती है आम जनता

3. प्रत्येक न्यूज चैनल भारत के प्रत्येक नागरिक को पाकिस्तान का दुश्मन बना देना चाहता है वैसे ही पाकिस्तान का प्रत्येक न्यूज चैनल पाकिस्तान के प्रत्येक नागरिक को भारत का दुश्मन बनाने पर लगा है। लेकिन दोनों देशों की 80% जनता की समस्याये, दुःख-दर्द क्या एक जैसे नही है। भारत भूख के सूचकांक में विश्वरँकिंग में 96 वें स्थान पर है तो पाकिस्तान 98वेंस्थान पर है। भारत में कुपोषण से मरने वाले बच्चों का प्रतिशत (15.2) जितना है पाकिस्तान में भी लगभग उतना ही है। भारत में शिक्षा, स्वास्थ्य के जो बदतर हालात है वैसे ही पाकिस्तान में है। भारत का किसान गरीबी के कारण आत्महत्या कर रहा है तो पाकिस्तान का किसान भी आत्महत्या कर रहा है। भारत के मजदूर के हालात बहुत ही दयनीय है उसको न्यूनतम वेतन, मुलभुत जरूरी सेवाएं यहां का पूंजीपति नही दे रहा वैसे ही पाकिस्तान के मजदूर के हालात है। भारत का पूंजीपति जितना क्रूर है पाकिस्तान का पूंजीपति भी वैसा ही क्रूर है। भारत में एक इंसान रोटी के लिए अपना बच्चा बेच देता है, किडनी बेच देता है वैसे ही पाकिस्तान से भी ऐसी खबरें आती रहती है। पाकिस्तान में भी धार्मिक आंतकवादी देश की सत्ता पर काबिज है तो भारत में भी धार्मिक आंतकवादी सत्ता को जकड़े हुए है। भारत और पाकिस्तान दोनों मुल्क अपनी-अपनी GDP का बहुत बड़ा हिस्सा शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार पर खर्च करने की बजाए रक्षा पर खर्च करते है। दोनों मुल्क अपनी-अपनी सेनाओ को मजबूत कर रहे है।उसी सेना को अपने-अपने मुल्क के मजदूर-किसान आंदोलन के खिलाफ, राष्ट्रिय और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की लूट के विरुद्ध लड़ने वालों के खिलाफ, राष्ट्रीयता की आजादी मांगने वालों के खिलाफ, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार मांगने वालों के खिलाफ, जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए लड़ने वालों के खिलाफऔर अल्पंख्यक, आदिवासियों और दलितों के खिलाफ इस्तेमाल करते है।

मेरीदोनों देशों की मेहनतकश आवाम से अपील है कि हम मेहनतकश आवाम का दुश्मन साँझा है, हमारी समस्याये, दुःख दर्द सांझे है, हमारी संस्कृति एक जैसी है, तुम्हारे घर के जो हालात है, वैसे ही हमारे घरों के हालत है। तुमको भी धकेल दिया है गन्दी बस्तियों में रहने के लिए और हमें भी, हम भी अपने बच्चों की, बीबियों की, भाइयो की लाश कंधे पर ढोनेको मजबूर है और तुम भी, आपका बच्चा बिना इलाज, बिना दूध के मर जाता है तो मेरे यंहा भी यही हाल है। आपके यहाँ भी गरीब के बच्चेके हाथों में खिलोनो की जगह मालिको ने मशीन थमा दी है तो मेरे यहाँ भी लुटेरा मालिक बच्चों का खून चूस रहा है। आपके यहाँ भी धार्मिक आंतकवादी कलाकारों, बुद्धिजीवियों, वज्ञानीको, प्रगतिशील लोगो को मार रहे है तो हमारे यहाँ भी मार रहे है। आपके यहाँ मेहनतकश आवाम के खिलाफ फरमान सुनाने वाले जाहिल धर्म गुरु, कबीले है तो हमारे यहाँ धार्मिक और जातीय पंचायते फरमान सुनाती है। प्यार के दुश्मन मतलब “नफरत के सौदागर यहाँ भी वहाँ भी है”
हमारा दुश्मन साँझा है पूंजीपति और उसको स्पोर्ट करने वाली साम्राज्यवादी सत्ता। इसलिए हम मेहनतकश आवाम को इस युद्ध के उन्माद के खिलाफ मजबूती से लड़ना जरूरी है। हमको मिलकर लड़ना होगा शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, वेतनके लिए, हमको लड़ना है कुपोषण, गरीबी के खिलाफ, हमको युद्ध करना है धार्मिक और जातीय आंतकवादियो के खिलाफ, हमको मिलकर लड़ना है राष्ट्रीय, बहु राष्ट्रीय कम्पनियों की उस लूट के खिलाफ जो लूटना चाहते है हमारे जल, जंगल और जमीन, हमको लड़ना है छुआछूत के खिलाफ जिसने एक बहुत बड़े मेहनतकश तबके की जिंदगी को तबाह किया हुआ है।

मेहनतकश आवाम के पास 2 रास्ते है एक रास्ता है पूंजीवादी, साम्राज्यवादी और फांसीवादियो के गठजोड़ में फंस कर उनके मुनाफे के लिए युद्ध लड़ना और गला काटना अपने ही दूसरे मेहनतकश भाई का।इस रास्ते को अपनाने के लिए हमारी अपनी-अपनी सत्ताएं हमको राष्ट्रवाद के नाम पर, एक दूसरे देश का डर दिखा कर, धर्म बचाने के नाम परइस रास्ते पर चलाना चाहती है। ये रास्ता मेहनतकश की बर्बादी का रास्ता है।
दूसरा रास्ता है मेहनतकश आवाम जात, धर्म, सम्प्रदायों और राष्ट्रोंकी सीमाओं को भूल कर एकजुट हो जाये और युद्ध लड़े अपनी मेहनत के मूल्य के लिए, भुखमरी, गरीबी, शोषण, सामाजिक-आर्थिक असमानता के खिलाफये रास्ता मुक्ति कारास्ता है। धरती को, प्रकृति को और इंसान को बचाने का रास्ता है।

अब आपके हाथ में है आप कोनसा रास्ता चुनते हैं। अपने बच्चों का भविष्य कैसा बनाना चाहते हैये सब आपके चुनाव परनिर्भर है।
उदय CHE

इस पोस्ट में व्यक्त विचार लेखक के अपने विचार है। यदि आपको इस पोस्ट में कही गई किसी भी बात पर आपत्ति हो तो कृपया हमें bhumkalsamachar@gmail.com पर ई-मेल करें… धन्यवाद

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