ऐसा बने पेसा नियम जिसके अंतर्गत सरकारी या निजी जमीन की खरीदी बिना ग्राम सभा की अनुमति के ना हो: आदिवासी समाज

पेसा नियम पर आयोजित परिचर्चा में रखी यह मांग

दंतेवाड़ा ( भूमकाल समाचार ) पेसा अधिनियम के क्रियान्वयन हेतु नियम बनाए जाने के लिए राज्य में पंचायत मंत्री टी. एस. सिंहदेव द्वारा सभी समाज के साथ आयोजित परिचर्चा का दूसरा सत्र आज दंतेवाड़ा के एजुकेशन सिटी में आयोजित हुआ। इस परिचर्चा में चार ज़िला दंतेवाड़ा, बीजापुर, बस्तर और सुकमा के 18 विकासखण्ड से 200 से अधिक ज़िला, जनपद एवं ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों के साथ सर्व आदिवासी समाज के प्रमुख प्रतिनिधियों ने भाग लिया। उनके साथ ही धाकड़, बंजारा, माहरा एवं यादव समाज के प्रमुख प्रतिनिधियों ने भी कार्यक्रम में अपनी सहभागिता दी। 

कार्यक्रम के शुरुवात में परिचर्चा का उद्देश्य बताते हुए पंचायत मंत्री ने कहा कि सरकार ऐसा नियम बनाना चाहती है जो पेसा अधिनियम के क्रियान्वयन में सहायक हो। इसलिए सरकार समाज के लोगो के साथ बैठ कर सभी को सर्व मान्य नियम बनाने कि कोशिश कर रही है। उन्होंने देश के अन्य राज्यों में बने पेसा नियमों के प्रावधानों को लोगो से साझा किया और कहां की हम चाहे तो वहां की व्यवस्था अपना सकते है अथवा अपने लिए नई व्यवस्था भी बना सकते है।

परिचर्चा में भाग लेते हुए विकासखण्ड बस्तर के लोगो ने कहा कि वर्तमान में ग्राम सभा सिर्फ वयस्क लोगो से मिल कर बनती है जबकि गांव ने लड़का जब हल चलाने लगता है तो उसे वयस्क माना जाने लगता है। इसलिए ग्राम सभा को यह छूट होनी चाहिए कि वह किसको अपना सदस्य माने।

तोकापाल विकासखण्ड के लोगो ने यह मांग रखी कि वर्तमान में ग्राम पंचायत का सचिव ही ग्राम सभा का सचिव होता है लेकिन वह चाहते है कि ग्राम के पढ़े लिखे व्यक्ति है ग्राम सभा का सचिव बने तथा ग्राम सभा का कार्यवाही विवरण वह ही लिखे। साथ ने उन्होंने कहा कि ग्राम सभा में गणपूर्ती 50 प्रतिशत से होनी चाहिए तथा सामुदायिक संसाधन के मामले में यह कम से काम 75 प्रतिशत होनी चाहिए। 

कोंटा विकासखण्ड से आए लोगो ने गांव में शांति और न्याय व्यवस्था बनाए रखने के लिए ग्राम सभा की समिति रखने की मांग की जैसा कि परंपरा अनुसार पहले से सभी गांव में है। उन्होंने यह भी निवेदन किया कि पुलिस या वन विभाग कोई भी केस बिना ग्राम सभा की सहमति के पंजीबद्ध ना करे। इससे निर्दोष व्यक्ति जेल जाने वाले बच जाएंगे।

गीदम विकासखण्ड के लोगो ने भूमि अधिग्रहण के संबंध में बात करते हुए कहा कि बिना ग्राम सभा की अनुमति के कोई भी भूमि अधिग्रहण ना हो। अगर अधिग्रहण करना भी हों तो पहले ग्राम सभा के समक्ष स्थानीय भाषा में अधिग्रहण का पूरा विवरण रखा जाए तथा उस जमीन का उपयोग पूरा होने पर जमीन ग्राम सभा को वापस कर दी जाए। 

भोपालपटनम के लोगो ने लघु वनोपज पर ग्राम सभा की मलिकी की बात रखते हुए ग्राम सभा को ट्रांजिट परमिट जारी करने के अधिकार की मांग की। साथ ही जंगल को नुक़सान पहुंचने वालो पर जुर्माना लगाने का अधिकार ग्राम सभा को देने हेतु प्रावधान पेसा नियमों में रखने हेतु कहा।

दंतेवाड़ा जिले के कुआकोंडा विकासखण्ड के लोगो ने गौण खनिज ग्राम सभा के नियंत्रण में देने तथा सिर्फ अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों को ही गौण खनिज के खनन कि अनुमति देने की मांग रखी। खनन की अनुमति देने से पहले ग्राम सभा के समक्ष पूरी खनन योजना रखने तथा रॉयल्टी की पूरी राशि ग्राम सभा कोष में जमा करने हेतु प्रावधान बनाने का उन्होंने निवेदन किया।

बीजापुर जिले के उसूर विकासखण्ड के लोगो ने बिना प्रचार प्रसार के पंचायत चुनाव करने की व्यवस्था बनाने की मांग रखी जिससे की ग्राम सभा के समक्ष प्रतिनिधि सिर्फ अपनी बात रखने के बाद ग्राम सभा के लोग आपसी सहमति से अपने प्रतिनिधि चुन सकें। इसके पंचायत चुनाव में होने वाले खर्च पर भी लगाम लगेगी।

आदिवासी समाज के संरक्षक अरविंद नेताम ने बस्तर में हो रही फर्जी ग्राम सभा पर चिंता जताते हुए कहा कि जहां भी ऐसा पाया जाता है वहां पर अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए सजा का प्रावधान होना चाहिए। आदिवासी लोगो के देवी देवताओं के आस्था के विषय को सरकार द्वारा अनदेखा करने पर उन्होंने कहा कि सरकार सभी देवी देवताओं के सीमा क्षेत्र का चिन्हांकन करवाए तथा उन्हे सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज करवाए। 

सुकमा के पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने यह कहा कि पेसा कानून व पांचवी अनुसूची का उलंघन लगतार क्षेत्र में होता हां रहा है जैसे कि गुमियापाल गांव के पूरे पहाड़ को बिना ग्राम सभा से पूछे किसी कंपनी को बेच दिया गया । इसी प्रकार एक जिले की ज़मीन की रजिस्ट्री असवैंधानिक रुप से दूसरे जिले में कि जा रही है। पेसा नियम में इन प्रावधानों को मजबूत करने से आदिवासी समाज को किसी रैली या धरना प्रदर्शन की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। 

सभी को सुनने के बाद पंचायत मंत्री ने यह माना कि यह सभी संवेदनशील मुद्दे है तथा इन पर निर्णय लेना अपने आप में कठिन कार्य है। उन्होंने यह आश्वासन दिया कि सरकार इस पर गंभीरता पूर्वक विचार करने के लिए सभी के साथ एक बार फिर से रायपुर में बैठेगी और निर्णय लेगी।

इस संबंध में पहली परिचर्चा जिला कांकेर में 18 नवंबर को ग्राम खैरखेडा में आयोजित हुई थी जिसमें 5 जिले के 16 विकासखण्ड से 200 प्रतिनिधियों के साथ हुआ था जिसमें पंचायत मंत्री ने यह घोषणा की थी राज्य सरकार पेसा नियम बजट सत्र तक अधिसूचित कर देगी। पेसा को लागू करना राज्य सरकार के घोषणा पत्र में किए गए वादों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा है तथा पंचायत मंत्री ने समय समय पर नियम बनाने तथा उसको अधिसूचित करने हेतु कटिबद्धता व्यक्त की है।

आदिवासी समाज की ओर से संरक्षक अरविंद नेताम तथा सोहन पोटाई, अध्यक्ष बस्तर विकास प्राधिकरण लखेश्वर बघेल, अध्यक्ष हस्तशिल्प विकास बोर्ड चंदन कश्यप, उपाध्यक्ष बस्तर विकास प्राधिकरण विक्रम शाह मंडावी, विधायक दंतेवाड़ा देवती महेंद्र कर्मा तथा संभागीय अध्यक्ष सर्व आदिवासी समाज बस्तर संभाग प्रकाश ठाकुर उपस्थित थे। 

मंगल कुंजाम

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