आदिवासी अस्मिता की जगार कर उसे जीवन के सवालों से जोड़ा था दादा मरकाम ने

गोडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व विधायक एवं छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन के संस्थापक सदस्य दादा हीरा सिंह मरकाम जी का निधन आदिवासी अस्मिता, चेनता और जनवादी संघर्षो के लिए अपूर्णीय क्षति हैं l बी डी शर्मा जी के बाद जनवादी संघर्षो में मेरी भूमिका तय करने में दादा का विशेष योगदान रहा l
छत्तीसगढ़ में जन संघर्षो के अलायंस बनाने और अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस मनाने जुलाई 2010 में रायपुर में एक बैठक हमारे द्वारा आयोजित की गई l पूरे प्रदेश में जल -जंगल -जमीन एवं खनिज संसाधनों की लूट, पांचवी अनुसूची, पेसा और उस दरम्यान कुछ वर्ष पूर्व ही बने वनाधिकार मान्यता कानून के घनघोर उल्लंघन और राजकीय दमन के खिलाफ जन संघर्षो को एकजुट करने सामूहिक संघर्ष के आहवान के तहत छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन का गठन किया गया l महत्वपूर्ण यह हैं कि छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन नाम हीरा दादा ने ही दिया था l
जून 2011 में दादा ने कहा कि आप लोग स्थानीय स्वशासन और ग्रामसभा की बहुत बात करते हैं, आइए हमारे क्षेत्र में और एक गाँव से शुरुवात करते हैं l दादा ने कहा मेने दिल्ली में शर्मा जी को भी बोल दिया हैं, अब करके दिखाने का वक्त हैं l दादा ने कहा तो सभी को आना ही था l में बी डी शर्मा जी को रायपुर से लेकर बिलासपुर दादा के घर पहुंचा फिर लाखन भाई और दादा के साथ तारा पहुचे l देर रात तक गंभीर चर्चा होती रही और अगले दिन सुबह ग्राम पूटा में बढ़ी सभा हुई जहाँ पता चला कि पूरा क्षेत्र खनन में उजड़ने वाला हैं l दादा के कहने पर हमने हसदेव अरण्य में समुदाय के साथ कार्य की शुरुवात की l मदनपुर गाँव के छोटे से कार्यालय में दादा की अचानक उपस्थिति और फिर संगठन को मदद करने का सिलसिला काफी समय तक जारी रहा l छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन की बैठकों और कार्यक्रमों में भी दादा की सतत भागीदारी बनी रही l पिछले एक दो वर्षो में उनके स्वास्थ में गिरावट के कारण भागीदारी में थोड़ी कमी आई लेकिन संपर्क बना रहा l आज उनकी कमी बहुत ज्यादा महसूस हो रही हैं l
दादा हीरा सिंह जी को विनम्र श्रधांजलि …

आलोक शुक्ला

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