गरीब भूमिहीन किसानों की फसल को जब्त करना पंचायत की मनमानी पंचायत प्रतिनिधि स्वयं किये हैं अवैध कब्जा

राजिम तहसील अंतर्गत ग्राम सुरसाबांधा में ग्राम पंचायत एवं ग्रामसभा के पदाधिकारियों द्वारा 27 परिवारों के तैयार धान फसल को काटकर जब्ती बनाया जा रहा है जबकि गांव के ही सरपंच, उपसरपंच, कोटवार एवं फसल जब्त करने वाले अन्य व्यक्तियों द्वारा खुद ही शासकीय घास भूमि में कब्जा कर धान फसल बोया गया था जिसे स्वयं काटकर अपने अपने घर ले गए और इन 27 लोगों का फसल काटकर जब्त कर रहे हैं। ग्राम पंचायत का यह कृत्य भेदभाव और अन्याय पूर्ण रवैय्या है।
अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के राज्य सचिव तेजराम विद्रोही ने 27 पीड़ित परिवारों से मिलकर कर वस्तु स्थिति से अवगत हुआ।
तेजराम विद्रोही ने कहा कि नायब तहसीलदार राजिम के समक्ष 11 जून 2018 को वर्तमान हल्का पटवारी सुशील कुमार साहू ने पटवारी प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए ग्राम के कुल 71 रकबा के शासकीय घास भूमि में अवैध कब्जा किये जाने की जानकारी दिया था। इनमें से 10 खसरा नंबर में 27 व्यक्तियों द्वारा करीब 35 सालों से कब्जा कर फसल बोकर अपने परिवार का भरण पोषण किया जा रहा है। इसी प्रकार बाकी 61 खसरा नंबर में ग्राम के कोटवार, सरपंच, उपसरपंच सहित पंचायत के अन्य व्यक्तियों द्वारा भी कब्जा किया गया है लेकिन केवल 27 परिवारों को बेदखल करने उनकी फसल को जब्त किया जा रहा है। गौरतलब है कि 14 अक्टूबर 2020 को 27 कब्जाधारी किसानों का राजिम तहसील में पेशी था जहाँ उन्होंने अपना जबाव पेश किया था। दूसरे दिन बिना कोई आदेश के पंचायत द्वारा फसल जब्ती की कार्यवाही शुरू की गई जो पीड़ित गरीब किसानों के साथ अन्याय है। इस दौरान किसानों ने माननीय उच्च न्यायालय से प्राप्त स्थगन आदेश दिनांक 20/08/2020 की छाया प्रति ग्राम पंचायत को दिया था जिसे फर्जी कहकर पंचायत द्वारा मानने से इनकार कर दिया गया है।
विद्रोही ने पीड़ित किसानों से मुलाकात में न्यायपूर्ण कार्यवाही में किसानों को सहयोग प्रदान की बात कही।
इस दौरान पीड़ित किसान मोहनलाल साहू, यादराम साहू, बसंत राम, लालजी वर्मा, असन राम साहू, सुन्दर लाल विश्वकर्मा, फत्ते लाल साहू, ताराचंद साहू, प्रभुराम साहू, पुराणिक साहू, बहुर यादव, दीनू साहू, रामदुलार, साहू, लोचन मरार, ठाकुरराम मरार, लालाराम, किरीट राम, पोखराज साहू, दुष्यंत वर्मा, मदन लाल साहू, परमानंद साहू, बाला राम मरार आदि उपस्थित रहे।

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