रमन सिंह इस्तीफा दो कल्लूरी को गिरफ्तार करो : BBSSS

बस्तर बचाओ संघर्ष समिति ने राष्ट्रपति को दिया ज्ञापन राज्यपाल के माध्यम से… 

आज दोपहर सर्किट हाउस रायपुर से बस्तर संयुक्त संघर्ष समिति के लोग जुलूस के रूप में राज्यपाल भवन पहुचे .वे नारे लगा रहे थे “कल्लूरी को गिरफ्तार करो, रमन सिंह इस्तीफा दो ”
राजभवन में राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सोंपा (संलग्न )
प्रतिनिधि मंडल में सोनी सोरी – संकेत ठाकुर , संजय पराते, बृजेन्द्र तिवारी , का सौरा यादव ,कल्याण पटेल , आलोक शुक्ला ,का आर डी पी राव , ओम प्रकाश ओझा , एपी जोसी आदि उपस्थित थे .
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ज्ञापन का मूल रूप निम्न है
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बस्तर बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति
(25 सामाजिक-राजनैतिक संगठनों का मंच)
बी-32, श्रीराम विहार, पुरेना, रायपुर, छत्तीसगढ़ 07714043622 bastarbachaosanyuktsamiti@gmail.com
-दिनांक 27 अक्तूबर 2016
प्रति,
महामहिम राष्ट्रपति
भारत सरकार
राष्ट्रपति भवन
नई दिल्ली
माध्यम : माननीय राज्यपाल, छत्तीसगढ़, राजभवन, रायपुर

महोदय,
अत्यंत खेद का विषय है कि छत्तीसगढ़ राज्य में माओवाद उन्मूलन के नाम पर आदिवासियों का दमन और मानवाधिकार का क्रूरतापूर्वक हनन हो रहा है. दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य है कि निर्दोष आदिवासियों को फर्जी मुठभेड़ो में मारा जा रहा है, गाँवों को छोड़ने मजबूर किया जा रहा है, महिलाओं के साथ बलात्कार हो रहे है, स्कूली बच्चो को माओवादी बताकर मौत के घाट उतारा जा रहा है.
ऐसा प्रतीत होता है कि आदिवासियों पर दमनात्मक कार्यवाही छत्तीसगढ़ के राज्य सरकार के निर्देश पर हो रही है. इसका प्रत्यक्ष प्रमाण विगत 21 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई के हलफनामे से स्पष्ट होता है. ज्ञातव्य है कि दिनांक 11 से 16 मार्च-2011 के बीच सुकमा जिला के ताड़मेटला, मोरापल्ली और तिमपुरम गांवों में एक भयावह घटना घटी थी जिसमे तत्कालीन एसएसपी दन्तेवाड़ा शिवराम प्रसाद कल्लूरी के आदेश पर पुलिस और सीआरपीएफ ने संयुक्त तलाशी अभियान चलाया था। इस दौरान तीन आदिवासी मारे गए, तीन महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया गया और तीनों गांवों में 252 घर जला दिए गए। तब राज्य सरकार ने दावा किया था कि सम्पूर्ण घटना माओवादियो के साथ सुरक्षा बलों की मुठभेड़ के दौरान घटी थी और माओवादियों ने ही आदिवासियों के घरो में आग लगायी था. ग्रामीणों द्वारा इस घटना को सुरक्षाबलों द्वारा अंजाम दिए जाने की जानकारी पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को दी गयी थी. बाद में कोई कड़ी कार्यवाही नही होने पर सुप्रीम कोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश और प्रोफेसर नंदिनी सुंदर की ओर से याचिका दायर की गई. इस मामले की जाँच सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने की और 21 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई ने गवाहों और दस्तावेजों के आधार पर यह बताया कि गांवों में सीआरपीएफ, विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) और राज्य पुलिस की टुकड़ी की मौजूदगी के दौरान ही आगजनी, आदिवासियों को मौत के घाट उतारने और महिलाओं के साथ बलात्कार की घटना घटित हुई थी।
जबकि छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से यह कहा गया था कि गांवों में आगजनी की घटना को माओवादियों ने अंजाम दिया था. जाहिर है इस पूरे मामले के निष्कर्ष के रूप में केंद्र सरकार की मुख्य एजेंसी सीबीआई की जाँच से स्पष्ट हो गया है कि ताड़मेटला कांड के मुख्य अपराधी राज्य सरकार और उनके नुमाइंदे एस आर पी कल्लूरी है जो वर्तमान में बस्तर के आईजी बने बैठे है. माओवादियों के उन्मूलन के नाम पर बस्तर आईजी शिवराम प्रसाद कल्लूरी के नेतृत्व में निर्दोष आदिवासियों पर घनघोर दमन चल रहा है. निर्दोष आदिवासियों की हत्या, महिलाओं के साथ सुरक्षा बलों द्वारा सामूहिक बलात्कार, लूट, मारपीट सहित उन्हें अनेक तरह से प्रताड़ना दी जा रही है. उनको घरों से भगाकर सैकड़ों गावों को वीरान करवा दिया गया है. जिन आदिवासियों ने विरोध किया उनके घरों को लूटा गया व जलाया गया.
वर्तमान में भी राज्य सरकार की शह पर आईजी कल्लूरी के नेतृत्व में आदिवासियों पर निर्मम अत्याचार जारी है. जिसके चंद उदाहरण निम्न है :
1. इसी वर्ष 3 फरवरी को मारडूम में हिडमो की हत्या पुलिस द्वारा की गई जिसकी शिकायत डीजीपी से की गई और डीआईजी स्तरीय जाँच के आदेश दिए गये.
2. 11 जून को सुकमा के गोमपाड़ में मडकम हिडमे की सुरक्षा बलों द्वारा बलात्कार कर हत्या कर दी गई. इनमें से किसी भी मामले में कोई भी दोषी पुलिस अधिकारी को गिरफ्तार तक नही किया गया.
3. दिनांक 16 अगस्त को दंतेवाडा जिला के चांदामेटा गाँव के एक किशोर अर्जुन कश्यप की हत्या सुरक्षाबलों ने उसे रु. 3 लाख का इनामी नक्सली बताया जबकि वह किशोर न्यायालय से जमानत मिलने के बाद पेशी में लगातार उपस्थित हो रहा था.
4. दिनांक 23 सितम्बर को मारडूम थाना क्षेत्र से हाल ही में ग्राम बुरगुम में दो स्कूली छात्रो की हत्या कर उन्हें मुठभेड़ में मारे गये माओवादी बताया गया.
5. जिन लोगो ने पुलिस अपराध को आम जनता के सामने लाया उन्हें जेल में डालकर प्रताड़ित किया गया. ताड़मेटला कांड की विडिओ बनाने वाले स्वतन्त्र पत्रकार लिंगाराम कोड़ोपी को झूठे मामलो में फंसाकर डेढ़ साल तक जेल में डाला गया और उन्हें अमानवीय प्रताड़ना दी गयी.
6. इसी तरह सोनी सोरी पर मारडुम मामले को सामने लाने के बदले में पहले तेजाबी केमिकल से हमला किया गया और अब झूठे मामले में गिरफ्तार करने और जान से मारने की धमकी दी जा रही है.
7. सीपीआई नेता मनीष कुंजाम पर झूठे अपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया और उनकी सभा पर पुलिस संरक्षण में अपराधियों से हमला करवाकर आईजी कल्लूरी द्वारा मंच पर कब्जा किया गया.
8. इसी तरह जून माह में सीपीआई-सीपीएम एवं जेएनयू – डीयू के प्रतिनिधिमंडल द्वारा बस्तर दौरे के बाद आदिवासियों पर राजकीय दमन की जो कड़वी सच्चाई उजागर हुई उससे चिढ़कर प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेताओं को माओवादी कहकर राष्ट्रद्रोह के केस में फंसाने की कोशिश की गई.
9. पुलिस ज्यादती की निष्पक्ष रिपोर्टिंग करने वाले निर्भीक पत्रकारों प्रभात सिंह, संतोष यादव सोमारू नाग आदि को प्रताड़ित कर जेल में डाल दिया गया और जमानत पर रिहा होने के बाद भी उन पर सतत पुलिस दबाव बना हुआ है.
10. निर्दोष आदिवासियों का पक्ष रखने वाले वकीलों एवं सामाजिक कर्यर्ताओं शालिनी गेरा, ईशा खंडेलवाल, बेला भाटिया आदि को पुलिस प्रायोजित हिंसा और धमकी के द्वारा बस्तर छोड़ने को मजबूर किया गया.
उपरोक्त सभी घटनाओ से जाहिर है कि बस्तर में पुलिस संरक्षण में लोकतन्त्र की हत्या और मानवाधिकार का घनघोर दमन चल रहा है. हाल ही में 24 अक्टूबर को बस्तर सम्भाग के सभी 7 जिला मुख्यालयों जगदलपुर, कोंडागांव, दंतेवाडा, सुकमा, नारायणपुर, बीजापुर और कांकेर में निर्दोष आदिवासियों के मानवाधिकार के लिए संघर्षरत भारत की 5 बेटियों आम आदमी पार्टी के नेत्री सोनी सोरी, दिल्ली की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर, अकादमिक रिसर्चर बेला भाटिया, पत्रकार मालिनी सुब्रमणियम के साथ साथ सीपीआई के पूर्व विधायक मनीष कुंजाम और सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर उनके पुतले बस्तर पुलिस के द्वारा सार्वजनिक स्थल पर जलाये गये. कानून व्यवस्था सम्हालने वाली पुलिस का ऐसा कृत्य देश में पहला मामला है जिसमे इतने बड़े पैमाने पर राजनैतिक एवम सामाजिक कार्यकर्ताओ को पुलिस द्वारा बुरी तरह धमकाया गया है.
महोदय उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ में कानून व्यवस्था जनविरोधी बन गई है जो कि लोकतंत्र के लिए भयावह खतरा है. वर्तमान भाजपा सरकार का इस तरह सत्ता में बने रहना प्रदेश की जनता को पुलिसिया अपराधिक तत्वों के हवाले कर देना है. अत: हम आप से मांग करते है कि :
1. बस्तर विगत साढ़े तीन दशक से माओवादी हिंसा और पुलसिया अत्याचार की अग्नि से अशांत है. यहाँ के समस्त आदिवासी सदियों से शांतिप्रिय रहे है उनकी जीवनशैली को बहाल करने शांति वार्ता हेतु त्रिपक्षीय प्रयास प्रारम्भ किये जाये, जिसमे सरकार और माओवादियो के अलावा स्थानीय आदिवासी एवं सामाजिक-राजनैतिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हो.
2. शांति स्थापना हेतु अनुकूल वातावरण निर्माण के लिए छत्तीसगढ़ की जनविरोधी, लोकतंत्र विरोधी भाजपा सरकार को तत्काल बर्खास्त किया जाये.
3. ताड़मेटला कांड में दोषी एवं जिम्मेदार तमाम पुलिस कर्मियों-अधिकारियो की गिरफ्तारी कर अपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाये.
4. राजनैतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं के पुतला दहन में शामिल सभी पुलिस कर्मियों पर पुलिस फ़ोर्स एक्ट (1966) की धारा 4 के तहत प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई की जाये.
5. ताड़मेटला कांड की स्वत: जिम्मेदारी लेने वाले निर्दोष आदिवासियों की हत्या के अपराधी बस्तर आईजी शिवराम प्रसाद कल्लूरी को शासकीय नौकरी से बर्खास्त कर अपराधिक मुकदमा प्रारम्भ किया जाये.
6. आदिवासी सलाहकार परिषद में मंत्रियों या सचिवो की नियुक्ति पर रोक लगाई जाये.
7. बस्तर में विचाराधीन कैदियों के मामलों के त्वरित निराकरण के लिए बुच कमेटी को भंग कर नई कमेटी सुप्रीम कोर्ट से रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में मानवाधिकार कार्यकर्ताओ को शामिल करते हुए बनाई जाये.
8. छत्तीसगढ़ में हुए तमाम माओवादी मुठभेड़ो की जाँच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में विशेष जाँच आयोग का गठन कर की जाये.
9. बस्तर में पुलिस द्वारा लगातार प्रताड़ित हो रहे पत्रकारों के लिए पत्रकार सुरक्षा कानून लागु किया जाये.
10. बस्तर में आदिवासियों के हित में संघर्षरत सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ताओं और वकीलों को विशेष केन्द्रीय सुरक्षा प्रदान की जाये.
हम उम्मीद करते है कि हमारे उपरोक्त निवेदन को स्वीकार कर आप अतिशीघ्र अपेक्षित कार्रवाई करेंगे.
-धन्यवाद

* सोनी सोरी – आम आदमी पार्टी * अरविन्द नेताम – सर्व आदिवासी समाज छत्तीसगढ़ * नवल सिंह मंडावी – छत्तीसगढ़ गोंडवाना समाज * सुनउराम नेताम – आदिवासी कल्याण संस्थान छत्तीसगढ़ * संजय पराते – मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी * सौरा यादव – भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (ML) रेड स्टार * विजेंद्र तिवारी – भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ML लिबरेशन * कमल शुक्ल – बस्तर पत्रकार संयुक्त संघर्ष समिति * सुधा भारद्वाज – पीयूसीएल छत्तीसगढ़ * कलादास डहरिया – छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा (मज़दूर कार्यकर्ता समिति) * आलोक शुक्ला -छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन * रिनचिन – छत्तीसगढ़ महिला अधिकार मंच * जनकलाल ठाकुर – छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा * जीतगुहा नियोगी – जनमुक्ति मोर्चा * विजय – भारत जन आंदोलन * व्ही एन प्रसाद राव – छत्तीसगढ़ क्रिश्चयन फेलोशिप * एपी जोसी – छत्तीसगढ़ क्रिश्चियन फोरम * दाउद हसन – जमात-ए-इस्लामी स्टूडेंट फेडरेशन * गोल्डी जार्ज – दलित मुक्ति मोर्चा * नन्द कश्यप – छत्तीसगढ़ किसान सभा * प्रभाकर ग्वाल – एसटी एससी ओबीसी मोर्चा
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बस्तर बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति, छत्तीसगढ़
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