तनिष्क को यह विज्ञापन वापस लेना ही चाहिए था

अंकित नव आशा

यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर के
विरुद्ध ही नहीं बल्कि एक षड्यंत्रकारी प्रयास था। पहले तो इस देश में हिन्दू मुस्लिम की शादी करवाई इन्होंने, उस पर से सास से बहू का इतना प्यार दिखा दिया ऊपर से यह तक कह दिया कि बेटी को खुश करना। यह तो सांस्कृतिक उपहास की पराकाष्ठा थी। हम बेटी को खुश करते हैं? यह हमारी संस्कृति है क्या भला? विज्ञापन ही गलत था, इसलिए उसे वापस होना ही चाहिए था। असली विज्ञापन क्या होता मैं बताता हूँ।

  1. ये कि घर में शादी है, सब खुश हैं, पूरा माहौल बना हुआ है। मौसा फूफा रूठे हुए हैं। बारात आ गयी है दुल्हन सजी हुई है। अचानक दूल्हे वाले कहते हैं कि हमें तो 5 लाख और चाहिए तब ही बारात अंदर जाएगी। लड़की वालों के पास उतने पैसे नहीं है, लड़की की माँ अपने संदूक से वर्षों पुराने अपने गहने निकालती है और कहती है ये लीजिए तनिष्क के हैं कम से कह 5 लाख के तो होंगे। लड़के वाले कहते हैं, तनिष्क है तो भरोसा है। और बारात का आगमन हो जाता है।
    ये है हमारी संस्कृति। ऐसे विज्ञापन बनाने चाहिए।
    या फिर
  2. कुछ मुस्लिम लोग एक पिक अप में गाय का ईलाज करवाने ले जा रहे थे। कुछ लोगों ने उन्हें रोक कर पीट दिया। फिर जब मुस्लिम लोह बोले कि यह तो हमारी गाय है इनका ईलाज करवाने ले जा रहे तो पीटने वाले बोलें “तुम्हें इसलिए पीटा कि गाय हमारी माँ है, और उनके गले में पीतल नहीं बल्कि तनिश्क़ से सोने की घण्टी बनवा के पहनाओ। और मुस्लिम लोग गाय को प्रणाम कर उसके लिए सोने की घण्टी बनवा के लाते हैं और कहते हैं माँ सबका ख्याल रखती है और माँ का ख्याल हम रखते हैं तनिष्क।
  3. एक लड़का और लड़कीं अंतर्जातीय विवाह कर लेते हैं, घर से भाग कर। लड़की तथा कथित ऊंचे जाति की है और लड़का तथाकथित दलित। लड़की के परिवार वाले उससे मिलने आते हैं, और तोहफ़े में तनिष्क का एक सोने का हार ले कर आते हैं। लड़की बहुत खुश होती है। उसका भाई बोलता है ला मैं पहना देता हूँ। उसका भाई हार पहनाता है और हार से ही गला घोंट कर लड़की को मार देता है। फिर वॉयसओवर होता है, मज़बूती जो आपके सम्मान की रक्षा करे, तनिष्क।

ये सभी है हमारी संस्कृति। ऐसा कुछ बनाया जाए तो हमें लगे कि हम जवाब दे रहे इन अतातायियों को। कहाँ तनिष्क वो सब विज्ञापन बना रहा है। प्रेम, सौहार्द और अपनेपन से परिपूर्ण। हम नफरती लोग हैं भाई, हमें नफ़रत दिखाइए। ताकि हम कह सके कि सेक्युलर एक ओर से नहीं बनते हैं। मुस्लिम को घर में किराएदार ना रखें, मोहल्ले में घर न दें, मुस्लिम महिलाओं को बुर्के वाली बोलें, गद्दार, पाकिस्तानी सब कहे, दो लोगों के प्रेम को लव जिहाद कहें, और फिर जब कोई इसके पर काम करने की कोशिश करे तो हिन्दू विरोधी और संस्कृति विरोधी कहें। और इस भीड़ पर क्विंटल भर धिक्कार है।

और हाँ, तनिष्क ने सोशल मीडिया पर विरोध के डर से विज्ञापन वापस नहीं लिया है बल्कि इसलिए लिया होगा कि अगर लुटेरी भीड़ ने उनकी दुकानों और वर्कशॉप पर हमला कर दिया तो किस हद का नुकसान झेलना पड़ेगा क्योंकि लुटेरी भीड़ पर तो कार्रवाई होगी नहीं। इस लुटेरी भीड़ का पैदा होना वर्तमान समय में सबसे बड़ा सामाजिक षड्यंत्र है।

अंकित नव आशा

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