तबलीगी जमात से संबंध रखने की अफवाह के आधार पर कोरोना नेगेटिव आने के बाद भी 27 दिन से कोरेण्टाइन के नाम पर कैद,

तीन बार टेस्ट होने के बाद भी उसे अब तक नहीं दिया गया किसी रिपोर्ट की कॉपी

देश में सांप्रदायिकता का उन्माद खड़ा करने को लेकर कांग्रेस संघ पर निशाना साधते रहती है, पर बस्तर में प्रशासन साम्प्रदायिक शक्तियों के इशारे पर

कांकेर (भूमकाल समाचार) । छत्तीसगढ़ के मुखिया लगातार अपने बयानों में संघ को निशाना बनाते रहते हैं पर छत्तीसगढ़ सरकार के भीतर किस तरह से धार्मिक उन्माद फैलाने वाले लोग काबीज है इसका उदाहरण यह कि एक मुस्लिम युवक को कोरोना का बहाना बनाकर बस अफवाह के आधार पर कुछ कट्टर साम्प्रदायिक लोगों की शिकायत पर कोरोना के नामपर सुकमा प्रशासन लगभग एक माह से बंधक बनाकर रखी हुई है ।

कोरोना के नामपर बंधक बनाए युवक का वक्तव्य

आश्चर्य यह कि इस अफवाह पर दो-दो जिला के कलेक्टर
और पुलिस अधीक्षक गुमराह हुए, यहां तक कि सुकमा में तो इसी फर्जी खबर के आधार पर लाक डाउन तक कर दिया गया, पूरे तोंगपाल में अभी भी कंटेन्मेंट जोन बनाकर रखा गया । इस युवक के साथ संपर्क में नही आने वाले 33 से अधिक लोगों को जबरदस्ती कोरेण्टाइन करके रखा गया है ।

इस पूरे मामले की कहानी शुरू होती है 4 जुलाई से, जब तोंगपाल में मोटर मैकेनिक की दुकान चलाने वाले शाहनवाज खान का बिहार से आना होता है । वह खुद स्थानीय अस्पताल में जाकर बिहार से वापस आने की सूचना देता है, उसे तत्काल होम कोरेण्टाइन कर दिया जाता है । उसका होम उसका दुकान ही है, मगर उसे रोज नित्य कर्म के लिए जंगल व नाला जाना पड़ता था, यह बस्तर के सभी कस्बों व गांवों में स्वच्छता अभियान के दावों की पोल भी खोलती है ।

7 जुलाई का उसका पहला कोरोना टेस्ट होता है, जिसके एक सप्ताह बाद उसे बताया जाता है कि उसका रिपोर्ट नेगेटिव आया है । इसी बीच उसे साधारण सर्दी खांसी होती हैं और उसकी दवाई तोंगपाल के ही एक मेडिकल दुकान से प्राप्त करता है । मगर उसे सर्दी-खांसी की दवा लेते और खांसते देख कुछ लोग अफवाह उड़ा देते हैं कि उसे कोरोना है, वह दिल्ली से आया है और वह तबलीगी जमात से सम्बंधित है । ध्यान रहे कि तोंगपाल बस्ती की कुल जनसंख्या 5 हजार से कम है, जहां सब एक दूसरे को जानते हैं ।

उक्त युवक का कहना है कि उसके बाद बस्ती एवं कई लोगों ने इकट्ठा होकर उसे तोंगपाल छोड़ देने नही तो जान से मार देने की धमकी दी । दबाव में आकर प्रशासन द्वारा उसके होम कोरेण्टाइन खत्म होने के दो दिन पहले 16 जुलाई को फिर से सैंपल लिया जाता है और उसे फिर से पकड़ कर जबरदस्ती तोंगपाल के ही एक कोरेण्टाइन सेंटर में बंद कर दिया गया । 5 दिन बाद उसे बताया गया कि उसका रिपोर्ट पासेटिव आया है मगर जब उसने रिपोर्ट मांगा तो उसे ना दिखाया गया ना दिया गया, फिर उसे 21 जुलाई को जगदलपुर मेडिकल कॉलेज भेजने वह पिछली बार जांच के बाद ढिमरा पाल स्थित कोविड-19 में डाल दिया गया । 27 जुलाई को डिमरापाल से उसे डिस्चार्ज करते हुए बताया गया कि वह बिल्कुल ठीक है किंतु उसे उसे सुकमा प्रशासन ने सीधे उठाकर सुकमा के एक कोरेण्टाइन सेंटर में लाकर फिर भर्ती कर दिया । इस सेंटर में सेंट्रल पैरामिलिट्री फोर्स के जवानों को कोरेण्टाइन किया गया है ।

उक्त युवक काफी घबराया हुआ है उसका कहना है –

*”पिछले 8 महीने से धंधा पानी बंद होने से वैसे भी मैं कंगाल हो चुका हुं, केवल लोगों द्वारा अफवाह उड़ाये जाने के कारण से मुझे कोरोना का संदिग्ध बताकर महीने भर से परेशान किया जा रहा है और अगर मुझे कोरोना है या नहीं है तो जो भी टेस्ट हुए हैं उसका रिपोर्ट क्यों नहीं सौंपा गया ? मैं 10 फरवरी को अपने घर बिहार गया, वहां से वापस आने की सोच रहा था तब तक लॉक डाउन लग चुका था अब लाक डाउन की अवधि में मैं कहां तब्लीग़ी जमात में शामिल होने जाता, यह आरोप झूठ है न तो मैं दिल्ली गया और न ही मुम्बई , यह जानबूझकर कुछ लोगों ने अफवाह फैलाई । मुझे भी शांति पूर्वक अपना व्यवसाय करके जीने का हक है अपनी रिपोर्ट जानने का हक है मगर जब यह सवाल करता हूं तो मुझे डांट पिलाई जाती है । पिछले दिनों परेशान होकर जब मैंने अपना वीडियो वायरल किया था तो सुकमा एसडीएम ने आकर मुझे खूब डांटा था और बताया था कि मुझे टीबी है इसीलिए रखा गया है , मगर उन्होंने न कोरोना पासेटिव की रिपोर्ट दिखाई और न टीबी की । अब मैं हताश हो गया हुं , आत्महत्या का विचार भी आ रहा है ।”*

क्या कहते हैं सुकमा एसडीएम श्री इस्माईल

इस मामले में सुकमा एसडीएम श्री स्माईल का कहना है कि उक्त युवक की पहला रिपोर्ट नेगेटिव आया था, पर उसकी नाक बहने और खांसी आने जैसे कोरोना के लक्षण देखने के बाद 16 जुलाई को फिर से सैंपल लिया गया, यह रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उसे 21 से 27 तक डिमरापाल में भर्ती किया गया, उन्होंने बताया कि कोरोना के मामले में अफवाह की कोई गुंजाइश नहीं है प्रशासन अफवाह के आधार पर काम नहीं करता है । मरीज की कोरोना रिपोर्ट ICMR की वेवसाईट में दर्ज है , यह मरीज को नही दिया जाता । साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि कोरोना मरीज के स्वस्थ हो जाने के बाद भी उसे एक सप्ताह तक को कोरेण्टाइन कर के रखे जाने का नियम है, मरीज के तोंगपाल स्थित निवास में शौचालय की सुविधा नहीं है इसलिए उसके अनुरोध पर ही उसे सुकमा के कोरेण्टाइन सेंटर में रखा गया है , उसके साथ किसी भी प्रकार की जोर जबरदस्ती नहीं की गई ।

जबकि इस संबंध में एम्स के एक डॉक्टर से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि ICMR की ऐसी कोई वेबसाइट नहीं है, जिसमें पूरे देश के कोरोना मरीजों के नाम रोज दिए जाते हो। उनका कहना है कि रिपोर्ट देने की जिम्मेदारी हॉस्पिटल की ही है और इसे प्राप्त करने का अधिकार मरीज को है।

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