आपदा काल में कोरोना के नामपर जनधन पर गिद्धों की नजर 20 हजार की लागत के समान का बिल 90 हजार तक बनाया जा रहा

पंचायतों से चौदहवें वित्त की राशि के बंदर बांट की साजिश

किरीट ठक्कर ।


गरियाबंद। विकास खंड की ग्राम पंचायतों में जबरिया सामग्री सप्लाई किये जाने की जानकारी प्राप्त हो रही है। कोरोना संक्रमण की रोकथाम के नाम पर कुछ ग्राम पंचायतों में एन 95 मास्क , पीपीई सूट , सोडियम हाइड्रोक्लोराइड , हेंड सेनेटाइजर , स्प्रेयर आदि सामग्री बिना किसी मांग के पहुँचाई जा रही है और 15 से 20 हजार मूल्य के कुल सामान के लिए 90 हजार रुपये तक का बिल थमाया जा रहा है। ग्राम पंचायतों के भोले-भाले आदिवासी सरपंच पशोपेश में है की क्या करें , उन्हें इन सामग्रियों की आवश्यकता या उपयोगिता की विशेष दरकार नही है , क्योंकि पहले ही पंचायत प्रतिनिधियों ने यथा संभव अपने गांव में संक्रमण से बचाव के उपाय कर लिये है। लगभग सभी ग्रामवासियों को मास्क का वितरण किया जा चुका है। विकाशखण्ड में बिहान की महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा निर्मित मास्क के , वितरण और बिक्रय के आंकड़े बताते हैं की पंचायतों में पर्याप्त मात्रा में मास्क वितरित किया गया है , इसके अतिरिक्त वन विभाग तथा समाज सेवियों द्वारा भी गांवों में भरसक मास्क का वितरण किया गया है।
ग्राम पंचायत कसेरू के उपसरपंच दादू सिन्हा बताते हैं की हमारी पंचायत से उपरोक्त सामग्री के लिए ना कोई मांग पत्र जारी किया गया है और ना ही कोई प्रस्ताव पारित किया गया है। इसके बाद भी एक वाहन में भरकर उपरोक्त सामग्री गांव तक पहुंचाई जा चुकी है और बिल भी दिया गया है। ग्राम कसेरू के सरपंच पति ने भी स्वीकार किया है की सामग्री और बिल पंचायत में पहुचाया गया है और इसके लिये मुझे गरियाबंद से किसी ने फोन भी किया था , पूछने पर भी कमल दिवान ने इस प्रतिनिधि को फोन करने वाले नाम नही बताया। इस खेल में कुछ एक पूर्व /वर्तमान ,जिला तथा जनपद के जनप्रतिनिधियों का दबाव सुनने में आ रहा है किंतु नाम का खुलासा कोई नहीं कर रहा , अलबत्ता सामग्री और बिल जरूर पहुंचा है। दिनांक 22 मई का बिल जो इस प्रतिनिधि के हाथ लगा है किसी आरके फ़ार्मूयस्टिकल रजबन्धा मैदान रायपुर का है जो कि जीएसटी बिल है और 90 हजार 750 रुपयों का है। जनपद सीईओ एच आर सिदार पूरे मामले से अनभिज्ञता जाहिर कर रहे हैं , जबकि दबी जबानों में चर्चा है की इस खेल में जनप्रतिनिधियों के साथ साथ जिले के उच्चधिकारियों का भी हाथ है। यही कारण है कि खुले तौर पर भंडार क्रय अधिनियमो का उल्लंघन किया जा रहा है और बिना कोटेसन बिना वर्क ऑर्डर सीधे दबावपूर्वक पंचायतों को सामग्री पहुँचाई जा रही है।


पिछले माह ही जिला अंतर्गत इसी तरह का गोरखधंधा मैनपुर जनपद में भी सामने आया था। बताया जा रहा है की पत्रकारों की जागरूकता की वजह से ये धंधा वहाँ अधिक फल फुल नही पाया , इस मामले में विचित्र संयोग ये है की मैनपुर जनपद की ग्राम पंचायत जिडॉर में भी आरके फ़ार्मूयस्टिकल रजबन्धा मैदान रायपुर का ही बिल प्रस्तुत किया गया था।

किरीट ठक्कर ।

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