मरने दो भूख से सालों को, कटने दो नामुरादों को ड्रिंक्स के बाद आपने खाया है आम,आप सोईये

आज की कविताब: सैफ़ के दो नज़्म

बस आप सोईये

नज़्म: 1

काट रहा है ज़बान तो ये निज़ाम, आप सोईये
आप के पास तो है वक़्त तमाम, आप सोइये

मरने दो भूख से सालों को, कटने दो नामुरादों को
ड्रिंक्स के बाद आपने खाया है आम,आप सोईये

गोबर ओ मूत का विज्ञान, धर्मों से लेके महाज्ञान
इंसानियत का करते क़त्ल ए आम, आप सोईये

नानक गौतम बुद्ध फ़रीद ओ राम सब चले गये
ये कलयुग है यहाँ फ़क़त त्राहीमाम, आप सोईये

नज़्म : 2

ईमान कि रूह मरोड़ दी,ज़िंदा लाशों से लगते हो
टी.वी ओ अखबारों में स्याही से बारूद भरते हो

इन्सा से इन्सा भिड़ा दिया,हर मसले पे लड़ा दिया
लोकतंत्र के आंगन का,बस चराग़ बुझाया करते हो

तुम हक़ कि बात करोगे? क्रंति का आग़ाज़ करोगे?
फ़क़त कलंदर के आगे, तो थूक के चाटा करते हो

कौन बिका, कितने में बिका, किस नाड़ा कहाँ खुला
बलबूते इस ज्ञान के,विधायक मंत्री को सैट करते हो

सैफ़

ऋषि वालिया ‘सैफ़’

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