तुम कब्र खोद सकती हो अपने अस्तित्व मिटाने वालो का शोषण का साम्राज्य चलाने वालो का

तुम कब्र खोद सकती हो
अपने अस्तित्व मिटाने
वालो का
शोषण का साम्राज्य
चलाने वालो का
तुम कब्र खोद सकती हो।।

वे लोग कहते हैं
चारदीवारी में रहकर
तुम्हारी मानसिकता
संकीर्ण हो चुकी है
तुम कुछ नहीं कर सकती
तुम्हारा काम है
किच-किच करना
और सास बहू की कहानी में
अपना जीवन बिताना
वे कहते हैं
दायरे में रहना चाहिए तुम्हें
क्योंकि तुम
चारदीवारी के लिए बनी हो
दुनिया दारी की समझ
तुमसे परे हैं
और परे हैं
सियासी मसलों को समझना
कुछ लोगों को यह
सच भी लगता है
लगता है
चूल्हे चौके के इर्द-गिर्द
घूमती है तुम्हारी मानसिकता
इस लिए
एक लम्बे अरसे के बाद
तुम समझ सकोगी
कब्र खोदने का मतलब
पर,
इतिहास पलटकर देखो
तो,
तुम्हीं बनी थी कभी
रूस की महिलाएँ
शोषकों के लिए
कब्र खोदने वाली महिलाएं
और आज जब
नजर उठाकर देखूं
शाहिन बाग की ओर
रौशन बाग की ओर
और वैसे रौशन बनने वाले
और जगहों की ओर
तब यकिन होता है
ज्यादा दूरी नहीं है
घर की चारदीवारी
और शोषणकारी व्यवस्था के बीच
तुम करने पर आओ
तो जुल्मी इरादों के खिलाफ
कभी भी बन सकती हो
मुहतोड़ जवाब
कठिनाइयों को सहकर
जुल्म व शोषण के खिलाफ
तुम मोर्चा खोल सकती हो
और करने पर आओ
तो एक दिन इनका
कब्र खोद सकती हो ।।

इलिका प्रिय

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!