एक और दिन शुरू हुआ है !!

आज की कविता कृष्ण कान्त

एक और दिन शुरू हुआ है
आया है अखबार अभी
झूठ नया-ताज़ा आया है
भक्ती का बाजा आया है
राष्ट्रवाद की शहद में लिपटा
उच्च कोटि गांजा आया है
एक और दिन शुरू हुआ है

राहजनों पर कौन ध्यान दे
शोर बहुत है कौन कान दे
असली खेल तो दिल्ली में है
चोरों खातिर खुला खजाना
जनता कुत्ता बिल्ली में है
भाषण में सब कुछ चंगा है
एक और दिन शुरू हुआ है

शोर इधर से शोर उधर से
झौं-झौं जाने किधर-किधर से
फिर दिन भर हम मगज धुनेंगे
खींसें उनकी देख भूनेंगे
बड़े-बड़े काबिल लोगों से
हम उल्लू फिर आज बनेंगे

हर दिन का यही सिलसिला
हर दिन का ये हश्र हुआ है
एक और दिन शुरू हुआ है

कृष्ण कान्त

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