क्रूरता को करुणा ने कभी भी जीतने नही दिया

चंचल भू

शुरुआती दौर में जालिम का जुल्म उठता दिखता जरूर है लेकिन अंत पराजय तक जाता है । इंसानी सभ्यता शायद इसी करुणा की वजह से जिंदा है ,वरना यह इंसान कब का लुप्त हो चुका होता । यह बात दीगर है कि जुल्म की ज्यादती ज्यों ज्यों उफान पर जाती है , करुणा उसे सांत्वना देती है – जुल्म की उम्र ज्यादा नही होती इंसान के बच्चे ! इसके प्रतिकार में तन कर खड़े हो , न झुको , न मानो इतिहास में दब्बू माने जाओगे ।
नीचे एक तस्वीर है । करुणा की इससे बेहतर कथा समूची इंसानी सभ्यता में नही मिलेगी । एक शख्स को हुकूमत मौत की सजा सुनाता है । भूख से मरने की सजा और उसे सख्त पहरे के साथ कारागार में डाल दिया जाता है । इस कैदी की बेटी इससे मिलने आती है । इसका एक दुधमुंहा बच्चा है जो इस लड़की की गोद मे है । बहुत अनुनय विनय के बाद इसे अपने बाप से मिलने की अनुमति मिल जाती है लेकिन जामातलाशी के बाद की कोई खाने पीने की सामग्री तो नही ले जा रही है । यह लड़की अपने बाप से मिलती है और उसे स्तनपान कराती है । इस तरह वह जिंदा रह जाता है । अब हुकूमत के चौकने की बारी थी . हुकूमत ने कैदी जिंदा रहने की वजह जाननी चाही बहुत खोज के बाद लड़की यह स्वीकार कर लेती है कि उसने अपने पिता को प्रतिदिन स्तनपान कराया है । क्रूर हुकूमत पसीज गया था और कैदी को जीवनदान दे दिया ।


करुणा हर युग मे जिंदा रहती है क्यों कि युग निर्माण महिला करती है पुरुष नही । कुदरत ने उसे बनाया है पालनहार वही है । गांधी इसी करुणा से सिंचित होकर इंसानी सभ्यता के तवारीख पर दस्तखत करते हैं । 150 साल हो गए उन्हें जमीन पर आए हुए। सारी दुनिया उनके 150वें जन्मदिन के मनाने की तैयारी में है और हम उनकी तस्वीर पर बंदूक चलाने का अभ्यास कर रहे हैं।

Chanchal Bhu

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!