अगर अब भी आपको लगता है कि सरकार देश भक्त है तो आपको ईलाज की जरूरत है :- कृष्णकांत

मनमोहन ने शिक्षा अधिकार कानून दिया, मोदी ने उसे कूड़ेदान में डाल दिया। मनमोहन ने भोजन का अधिकार कानून दिया, मोदी ने उसे कूड़ेदान में डाल दिया। मनमोहन ने लोकपाल कानून पास किया, मोदी ने उसे लागू करने में पांच साल लगाया और ऐसा लोकपाल बनाया जो सरकार की इजाजत के बिना कुछ नहीं कर सकता। जांच के लिए वह सरकार पर निर्भर है। मनमोहन ने सूचना का अधिकार कानून दिया, मोदी ने उसे कमजोर करने का कानून पास कर दिया। सूचना आयोग को सरकरी दया पर पलने का प्रस्ताव लोकसभा से पास हो गया है। बोफोर्स के बाद हथियार खरीद के पारदर्शी कानून बने थे। राफेल खरीदने में उन नियम कानूनों को ठेंगा दिखा कर मनमानी डील की गई। रक्षा विभाग, सेना, रक्षा समिति, मंत्रालय सब बेअसर किये गए। पहले से प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट मौजूद था, उसे बदलकर कमजोर कर दिया गया। अब वही जांच हो सकती है, जिसकी इजाजत सरकार दे।


भ्रष्टाचारी कब अपनी जांच की इजाजत देता है? देश के सिस्टम में मौजूद अच्छाइयों को, उसके संघीय ढांचे को, उसके लोकतांत्रिक स्वरूप को एक एक करके खत्म किया जा रहा है।
हम चंद्रयान पर ताली बजाते रह गए और हमारी सरकार ने हमसे छल किया। आरटीआई संशोधन बिल पास करके जनता को मिला एक अधिकार छीन लिया गया।


अगर अब भी आपको लगता है कि सरकार बड़ी देशभक्त है तो अब मामला गंभीर है। आपको इलाज की ज़रूरत है।
मनमोहन सौम्य छवि के हैं तो हमें भ्रष्ट लगते हैं। मोदी कड़क छवि के हैं तो ईमानदारी के देवता लगते हैं। हम ताकतवर के अपराधों को अपने ऊपर कृपा मानते हैं।
नोटबन्दी जैसे कांड के बाद खुलेआम विधानसभाएं खरीदी जा रही हैं। आज सिर्फ एक पार्टी के पास पैसा है। सिर्फ एक पार्टी को सब चंदा मिल रहा है।पूरे देश भर मे सिर्फ एक पार्टी के आलीशान दफ्तर बने। इलेक्टोरल बांड जैसा फ्रॉड करके सारे संसाधन पर एक पार्टी काबिज है।


और आप उसकी ईमानदारी की कंठी भजते हुए अघाते नहीं हैं। समस्या उनमें नहीं है। समस्या हमारी लोकतंत्र के प्रति आस्था में है।
बाकी तो जो है सो हइये है।

कृष्ण कांत जी के फेसबुक वॉल से

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