तानाशाह से मत डरो – 2

उसका भोजन
कई लोग चखते हैं, उससे पहले
उसको डर है
किसी रोज़
कोई ज़हर मिला देगा उसके खाने में

उसका पानी
विदेश से आता है
उसे लगता है
देश में उसका पानी
करोड़ों लोग विषाक्त कर देना चाहते हैं

उसके कपड़े
एक ही दर्ज़ी सिलता है
और वो दर्ज़ी
किसी और के कपड़े नहीं सिलता
कि हो आस्तीन में किसी के घुसने की जगह न

उसका कमरा
बार-बार जांचा जाता है
कि कहीं किसी रोज़
कोई छुपा न बैठा हो
उसके कमरे में और रात को अचानक

और ये डर ऐसे हैं
कि न उसे ठीक से खाने देते हैं
न पीने, न एक कपड़ा दो बार पहनने
और न ही
सो पाता है वो रात भर

वो इतना डरा हुआ है
कि मन में बात करते भी घबराता है
कि कहीं, कोई उसकी बात
सुन तो नहीं लेगा
और इसलिए वो ज़ोर-ज़ोर से झूठ बोलकर
घोषित करता है
कि ये उसके मन की बात है

वो इतना डरा हुआ है
कि आप बोल देंगे धीमे से भी
तो वो देश छोड़ देगा
हमेशा के लिए
और रहेगा किसी दूर देश के
निर्जन मकान में
और फिर भी सो नहीं सकेगा चैन से

आप उससे क्यों डरते हैं?
क्या आप भी उसकी तरह हैं?

मयंक

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