मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तथा सरकार को बदनाम करने के लिए फ़र्ज़ी खबरें भी छापो फिर सरकार से जम कर विज्ञापन लो और मलाई काटो – कुणाल शुक्ला

उदाहरण दस हैं पर चलिये आज तीन उदाहरण देता हूँ।

पहला:गोठान में ताला लग गया है सरपंच कर्ज में डूब गया। ब्रह्मांड के सबसे बड़े हिंगलिश अखबार ने यह फ़र्ज़ी खबर छापी, सरकार की जम कर किरकिरी हुई।जबकि वास्तविकता यह थी कि गायें दोपहर चरने कहीं बाहर गयी थीं,सरपंच के ऊपर कोई कर्ज नहीं था। मुख्यमंत्री को स्वयं सोशल मीडिया पर खंडन करना पड़ा।गायों से आबाद गोठान की फोटो शेयर करनी पड़ी,पर तब तक विपक्ष बहुत फजीहत कर चुका था।

दूसरा:खबर छपी की बस्तर के जवानों का जोखिम भत्ता बंद कर दिया गया है,टोटल फ़र्ज़ी बात थी पर तब तक विपक्ष ने इसे जम कर भुनाया और सरकार की किरकिरी करी।पर इस खबर को छापने बनाने वालों पर क्या कोई कार्यवाही हुई?

तीसरा:राजधानी में साम्प्रदायिक तनाव फैलाने के लिए इस खबर को गड़ा गया,साम्प्रदायिक सनसनी फैलाने के लिए दिखाया गया कि हिंदू परिवार को मुसलमान प्रताड़ित कर रहे हैं,लड़कियां छेड़ रहे हैं, जबकि जबकि यह सिर्फ एक मामूली जमीन के टुकड़े पर कब्जे को लेकर विवाद था।सरकार की इस फ़र्ज़ी खबर को लेकर बदनामी खूब हुई।

रमन सिंह के कार्यकाल में फ़र्ज़ी खबरें दिखाने की हिम्मत तो दूर असली गड़बड़ घोटाले की खबरें दिखाने छापने की हिम्मत नहीं थी। याद करिये यही हिंगलिश अखबार है न जिसने मुख्यमंत्री रमन सिंह के लिए एंटी स्टोरी किया था तब इसका सरकारी विज्ञापन छः माह के लिए बंद कर दिया गया था और हमारे कलेक्टर ओपी भैया ने लीज़ की जमीन के दुरुपयोग का नोटिस अलग से थमा दिया था।
वैसे लीज़ के दुरुपयोग का मामला अभी भी जिंदा है बस बोतल खोल कर जिन्न बाहर निकालना है।

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