आपके लिए लोहे का पहाड़ बस है बैलाडीला का नन्दीराज पहाड़ , पर 84 गांवों के आदिवासियों का देवता है

तामेश्वर सिन्हा 

दन्तेवाड़ा (छत्तीसगढ़)। यह महज एक पहाड़ नहीं है, न पहाड़ में स्थित महज लौह भंडार है,  जिस पर पूरे कारपोरेट की नजर लगी हुई है। इन कारपोरेट समूहों के लिए यह सिर्फ लौह अयस्क खनन का भंडार हो सकता है। लेकिन आदिवासियों के लिए यह उससे आगे भी मतलब रखता है। यह पहाड़ी आदिवासियों की आस्था का केंद्र है। यह वही पहाड़ी है जहां आदिवासियों के पुरखों के प्रतीक “आंगा देव्” की लकड़ी मिलती है। यह वही पहाड़ी है जहां 84 गांव के लोग एकजुट होकर जात्रा (देव मेला) मनाते हैं, नाचते हैं, झूमते हैं और गाते हैं। दूसरे शब्दों में अपने पुरखों की पारंपरिक जिम्मेदारी का निर्वहन करते हैं। 

यहां छत्तीसगढ़ के दन्तेवाड़ा जिले के किरन्दुल में स्थित उसी 13 नम्बर पहाड़ी की बात हो रही है जिसे एनएमडीसी ने अडानी को लौह अयस्क खनन के लिए लीज पर दिया हुआ है जिसके विरोध में 6 जून से 20 हजार से ज्यादा ग्रामीण एनएमडीसी प्रशासनिक मुख्यालय के सामने इकट्ठा होकर प्रदर्शन कर रहे हैं। दक्षिण बस्तर के कोने-कोने से पहुंचे इन आदिवासियों के पहाड़ बचाने को लेकर चलने वाले आंदोलन का आज तीसरा दिन है। आदिवासी अनिश्चित कालीन प्रदर्शन कर रहे हैं। 

आरोप है कि एनएमडीसी ने लौह अयस्क खनन के लिए 13 नम्बर पर्वत श्रृंखला को अडानी को सौंप दिया है। जिसके विरोध में दक्षिण बस्तर के आदिवासी राशन-पानी लेकर एनएमडीसी कार्यलय के सामने पारंपरिक नृत्य-गान कर विरोध कर रहे हैं। 

दंतेवाड़ा के भोगाम गांव से आये  बल्लू भोगामी का कहना है कि एनएमडीसी द्वारा 13 नंबर की जो खदान अडानी समूह को उत्खनन कार्य के लिए दी गयी है उस पहाड़ी में हमारे कई देवी देवता विराजमान हैं।  बल्लू ने आगे बताया कि बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा जिलों की कई नदियां इस पहाड़ से निकलने वाले लोह चूर्ण के कारण लाल हो गई हैं, जिसके चलते भूमि बंजर होने के साथ-साथ सेहत पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

गौरतलब है कि क्षेत्र के हजारों ग्रामीण अलग-लग गांवों से मीलों पैदल चल कर एनएमडीसी किरंदुल परियोजना के प्रशासनिक भवन के सामने इकट्ठा हो गए हैं। और वहां पहुंच कर उन्होंने अनिश्चित कालीन विरोध शुरू कर दिया है। इस विरोध प्रदर्शन को आदिवासी समाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी, कांग्रेस, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे), आम आदमी पार्टी, सीपीआई जैसे राजनीतिक दलों का भी समर्थन हासिल है।

आप को बता दें कि छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के बचेली में संचालित एनएमडीसी (नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कार्पोरेशन) में शुक्रवार को उत्पादन पूरी तरह से ठप्प हो गया है।  7 जून की सुबह 3 बजे से ही आदिवासी यहां प्रदर्शन कर रहे हैं। 

मिली जानकारी के मुताबिक अडानी ग्रुप ने सितंबर 2018 को बैलाडीला आयरन ओर माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड यानी बीआईओएमपीएल नाम की कंपनी बनाई और दिसंबर 2018 को केन्द्र सरकार ने इस कंपनी को बैलाडीला में खनन के लिए उसे 25 साल के लिए लीज पर दे दी। बैलाडीला के डिपॉजिट 13 में 315.813 हेक्टेयर रकबे में लौह अयस्क खनन के लिए वन विभाग ने वर्ष 2015 में पर्यावरण क्लियरेंस दिया है। जिस पर एनएमडीसी और राज्य सरकार की सीएमडीसी को संयुक्त रूप से उत्खनन करना था।

इसके लिए राज्य व केंद्र सरकार के बीच हुए करार के तहत संयुक्त उपक्रम एनसीएल का गठन किया गया था, लेकिन बाद में इसे निजी कंपनी अडानी इंटरप्राइजेस लिमिटेड को 25 साल के लिए लीज पर हस्तांतरित कर दिया गया। डिपॉजिट-13 के 315.813 हेक्टेयर रकबे में 250 मिलियन टन लौह अयस्क होने का पता सर्वे में लगा है। इस अयस्क में 65 से 70 फीसदी आयरन की मात्रा पायी जाती है।

आदिवासियों का देव स्थल है अदानी को दिया गया 13 नम्बर पर्वत श्रृंखला 

क्षेत्र के आदिवासी फूलसिंह मंडावी बताते हैं कि बैलाडिला के पर्वतों पर आदिवासियों के ईस्ट देव नंदराज विरजमान हैं। इसका जात्रा (मेला)  84 गांव के लोग एकजुट होकर मनाते  हैं। अडानी को जिस 13 नंबर पहाड़ को उत्खनन करने के लिए एनएमडीसी और एनसीएल ने  लीज पर दिया है, उस पहाड़ में नंदराज की  पत्नी पिटोड़ रानी विराजमान हैं। इसमें बस्तर संभाग के सभी आदिवासियों की आस्था जुड़ी हुई है, इसिलए 3 दिनों  से हज़ारों की संख्या में आदिवासी अनिश्चितकालीन विरोध जता रहे हैं। हमारी मांग है कि कोई भी कंपनी क्यों न हो उस पहाड़ी पर खनन की इजाजत किसी को भी नहीं दिया जाना चाहिए। सरकार या संबंधित कंपनी के अधिकारी इस बात की घोषणा करें कि वहां कोई भी कंपनी माइनिंग नहीं करेगी और जो भी प्रस्ताव पास किया गया था उसको निरस्त किया जाता है। अनिश्चितकालीन प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा जब तक इसको सुनिश्चित नहीं किया जाता है। 

एनएमडीसी और सीएमडीसी की संयुक्त भागीदारी वाली कंपनी ने दिया स्पष्टीकरण

दंतेवाड़ा जिले के किरंदुल स्थित डिपाजिट 13 लौह अयस्क की खदान को अडानी को दिये जाने की बात और इस पर हो रहे विरोध प्रदर्शन को लेकर डिपाजिट 13 की मालिकाना हक वाली कंपनी एनसीएल ने अपना पक्ष रखा है। एनसीएल के सीईओ वीएस प्रभाकर ने  प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि अडानी को केवल डिपाजिट 13 के खनन और विकास का काम पारदर्शी तरीके से टेंडर आमंत्रित कर नियम और प्रक्रियाओं के अधीन दिया गया है। विज्ञप्ति के माध्यम से कंपनी ने स्पष्ट किया है कि खदान में केवल खनन और माइनिंग डेवलपमेंट का कान्ट्रैक्ट अडानी ग्रुप को दिया गया है और वह भी नियमों के तहत खुली निविदा आमंत्रित करके। निविदा की पूरी प्रक्रिया ई-टेंडरिंग पोर्टल के जरिये पारदर्शी तरीके से किया गया है। विज्ञप्ति में यह भी जानकारी दी गई है कि इस टेंडर प्रक्रिया में कुल चार कंपनियों ने हिस्सा लिया था, जिसमें से एक कंपनी का टेंडर निरस्त किया गया था। तीन कंपनियों ने निविदा प्रक्रिया में अंतिम तौर पर हिस्सा लिया, जिसमें एल 1 होने के आधार पर अडानी ग्रुप को यह टेंडर जारी किया गया है। यही वजह है कि डिपाजिट 13 खदान में खनन और विकास का काम अडानी ग्रुप को सौंपा गया है।

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