कोरा कागज़

क्या तुम मुझे पढ़ रहे हो??
सुन रहे हो मुझे…
मेरी आवाज क्या तुमने सुनी नहीं पहले कभी???
क्या तुमने मुझे पहचाना….???
क्या तुम मुझे देख रहे हो!
क्या तुमने मुझे देखा है पहले भी??

करवाती हूँ खुद का परिचय तुमसे..
फिर क्या तोड़ सकोगे अपने मौन को??
क्या ग्लानि सह पाओगे???
अगर हां ..तो पढ़ो अब….मुझे

मैं वही दामिनी हूँ
जिसकी योनि में तुमने लोहे की सरिया डाली थी….
वही सोनी सोरी हूँ…
जिसपर तेज़ाब फेंका था तुमने…
वही 8 बरस की अशिफ़ा हूँ,
जिसे उत्तेजना की सुइयां लगा लगा कर,
मंदिर में तुम लूटते रहे अस्मत जिसकी…
मैं वही संस्कृति हूँ,
जिसे लहू लुहान के मार डाला तुम्हारी हवस ने …

हां मैं वही हूँ…
जिसे तुम पूजते हो,
9 दिन व्रत रख कर….
और चढ़ाते हो भोग…भी
फिर भोग करते हो मेरा…मेरे शरीर का…मेरी आत्मा का….
मेरा शरीर जैसे तहस नहस करने को ही बना हो…तुम्हारे लिए
जैसे तुम्हारी वासना बुझाने की वस्तु हूँ मै ..

मैं वही हूँ …जिसे कन्या भोज कराते हो तुम…
मैं वही हूँ…. जो हर रोज़ सामना करती है तुम्हारी गिद्ध नज़रों का…
जो टिकी रहती हैं मेरे वक्ष पर ….
मैं वही हूँ… जिसे गर्भ में ही मारा था तुमने,
और वही हूँ…. जिसे दहेज़ की आग में,
तुमने ज़िंदा भून दिया ….

मैं वही #me_too हूँ…..
मैं वही यौन शोषण झेल चुकी लड़की हूँ…
मैं वही चाइल्ड सेक्युअल एब्यूज की विक्टम हूँ.
मैं वही एसिड अटैक सर्वाइवर हूँ.
मैं वही मर चुकी स्त्री हूँ….
जिसे तुमने रौंदा है…अपने पुरुषत्व से….
मैं वही हूँ जिसकी भावनाओं को,
प्रेम के छल से छत्त विछत किया तुमने….
हां मैं वही हूँ,
जिसके पैरों को देखकर तुम्हारे हवस के संस्कार जाग जाते हैं…

मेरे ढंके शरीर को भी तुम्हारी नज़रें,
निर्वस्त्र करती हैं ….मैं उसी नज़र की प्रतिक्रिया हूँ….
मैं वही हूँ .
जिसके प्रेम को मूर्खता कहा तुमने…
मैं वही हूँ…
जिसकी गम्भीरता का उपहास किया तुमने….
मैं वही हूँ..
जिसकी शारीरिक बनावट पर भेद-भाव स्थापित किया….तुमने

मैं वही हूँ,
जिसे नक़ाब,हिजाब,घूंघट में ढंकते हो तुम…
मैं वही प्रतिमा हूं ,
जिसके सामने कैंडल्स जलाते हो तुम…
मैं तुम्हारी वही माँ हूँ, पत्नी हूँ, साथी हूँ, बहन हूँ…. बेटी हूँ…
जो झुकती है तुम्हारे वर्चस्व के सामने..

मैं वही हूँ …जिसे तुमने पाप योनि
में जन्मा हुआ बताया…
मैं वही हूँ ,
जिसकी माहवारी के रक्त को,
गुनाहों की सज़ा कहा तुमने….
मैं वही हूँ,
जिसकी प्रसव पीड़ा को तुमने ईश्वर का इंसाफ कहा है …

हां मैं वही हूँ….
जो एक पल में तुम्हारे लिए देवी है,
दूसरे ही पल भोग की वस्तु….
मैं वो हूँ जिसे तुमने सजावट का सामान बना दिया…
नुमाइश की चीज बना दी..

पर मैं नहीं हूं देवी,
नही सजाने की वस्तु
न ही पर्दा करने की पाबन्द

मैं हूँ सावित्री बाई…
मैं हूँ कमला दास….
मैं हूँ सुनीता विलियम्स,
कल्पना की उड़ान हूँ मैं…
मैं हूँ मैरी कॉम भी….
मैं रुवेदा सलाम हूँ….

मैं तुम्हारी तरह इंसान हूँ…
मुझे उड़ने दो,
पढ़ने दो,
लड़ने दो,
सोचने दो…
मुझे जीने दो….
मुझे इंसान रहने दो….
मुझे इंसान रहने दो….

रोशनी बंजारे “चित्रा”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!