रमन के चेहरे पर फेयर एंड लवली चुपड़ने के खेल में लगे टोप्पो पर जुर्म दर्ज

राजकुमार सोनी 

रायपुर. कमाल के हैं टोप्पो साहब…। टोप्पो मतलब राजेश सुकुमार टोप्पो। कद-काठी में छोटे हैं. लगता है कि जैसे अभी-अभी किसी गांव की हायर सेकेंडरी स्कूल से बारहवीं पास करके निकले हैं. नाम के साथ सुकुमार चस्पा है तो यह अहसास भी होता है कि सुकुमार ही होंगे, लेकिन ऐसा नहीं है. प्रदेश में जब भाजपा की सरकार थीं तो पूर्व मुख्यमंत्री और सुपर सीएम के नाम से कुख्यात एक भ्रष्ट अफसर की नाक के बाल बने हुए थे. टोप्पो साहब से हर कोई भयभीत रहता था. हर छोटी-बड़ी खबर में अखबार और चैनल के मालिकों को फोन किया करते थे और समझाइश देने से भी नहीं चूकते थे कि खबर कैसी लिखी जानी चाहिए. साहब को हाइलाइट करने का गुर समझाते रहते थे. उनकी भक्ति को इस कदर शक्ति मिली हुई थीं कि वे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल की सीडी बनवाने के खेल में लगे हुए थे. बहुत बाद में यह भी साफ हुआ कि पूर्व मुख्यमंत्री के निवास में पदस्थ ओएसडी अरुण बिसेन और सुपर सीएम के इशारे पर वे छत्तीसगढ़ के चुनिंदा पत्रकारों को बैंकाक-पटाया ले जाकर उनकी सेक्स सीडी भी बनवाना चाहते थे. ( हालांकि पहली खेप में वे पत्रकारों के एक दल को बैकांक-पटाया भेजने में सफल भी हो गए. ) लेकिन इधर नई सरकार बनने के बाद टोप्पो ईओडब्लू के हत्थे चढ़ गए हैं. शुक्रवार को उन पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा- 7 ( सी ) व धारा 13 ( ए ) के तहत दो मामलों में अपराध दर्ज कर लिया गया हैं. ईओडब्लू के प्रमुख जीपी सिंह के मुताबिक यह रिपोर्ट संवाद के प्रमुख उमेश मिश्रा, पंकज गुप्ता, हीरालाल देवांगन, जेएल दरियो की कमेटी की ओर से प्रारंभिक जांच के बाद सौंपी गई रिपोर्ट और नए सिरे की गई तहकीकात के आधार पर दर्ज की गई है. उन्होंने बताया कि अभी कई खुलासे बाकी है. संभव है आगे कुछ और मामलों में एफआईआर दर्ज हो.

बचाव में लगे थे टोप्पो

पुरानी सरकार में आग भूंकने वाले टोप्पो नई सरकार के बनते ही थोड़े समय के लिए अंर्तध्यान हो गए थे. जैसे सुपर सीएम के बारे में यह अफवाह प्रचारित थीं कि वे गोवा के मुख्यमंत्री पर्रिकर के यहां जगह बनाने में सफल हो गए हैं ठीक वैसे ही टोप्पो को लेकर कहा जा रहा था कि वे नौकरी छोड़कर किसी मल्टीनेशनल कंपनी को ज्वाइन करने वाले हैं. इधर सामाजिक कार्यकर्ता उचित शर्मा उनकी करतूतों का भांडा फोड़ने में लगे हुए थे. सूचना के अधिकार के तहत हासिल की गई जानकारियों के बाद उचित शर्मा यह प्रमाणित करने में सफल हो गए कि जनसंपर्क और संवाद के प्रमुख रहने के दौरान टोप्पो ने कई करोड़ रुपए की वित्तीय गड़बड़ियों को अंजाम दिया है. बताते हैं कि टोप्पो ने पिछले दिनों राज्य के कई कद्दावर अफसरों और नेताओं से अपने बचाव के लिए मेल-मुलाकात की थीं. प्रशानिक हल्कों में यह चर्चा थीं कि वे किसी न किसी तरह की जोड़-जुगाड़ से बच निकलेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. शुक्रवार को उनके साथ-साथ क्यूब मीडिया एंड ब्रांडिग लिमिटेड, मूविंग फिक्सल सहित अन्य कुछ कंपनियों के प्रमुखों को आरोपी बनाया गया है.

48 फर्म जांच के दायरे में

नई सरकार बनने के बाद जनसंपर्क और संवाद के अधिकारियों ने 21 निविदा प्रक्रियाओं के तहत पंजीबद्ध 48 फर्मों और एजेंसियों को जांच के दायरे में रखा था. जिन कंपनियों को जांच के दायरे में रखा गया उनमें मुंबई की बैटर कम्युनिकेशन, एड फैक्टर, टच वुड, 77 इंटरटेनमेंट, एक्सेस माई इंडिया, दिल्ली की वीडियो वॉल, करात इंटरटेनमेंट, ग्रीन कम्युनिकेशन, सिल्वर टच, यूएनडीपी, गुजरात की वॉर रुम, मूविंग फिक्सल, रायपुर की ब्रांड वन, व्यापक इंटरप्राइजेस, क्यूबस मीडिया लिमिटेड, आईबीसी 24, कंसोल इंडिया, भिलाई की कंपनी क्राफ्ट, आसरा, कैकटस शामिल थीं. इसके अलावा आलोक नाम के एक प्रोफेसर ने भी संवाद में अपनी दुकान खोल रखी थी. जबकि क्यूब मीडिया के सीईओ श्री डोढ़ी का कारोबार भी संवाद से ही संचालित हो रहा था. हैरत की बात यह है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अफसर की पत्नी की जितनी सक्रियता मुख्यमंत्री निवास में बनी हुई थीं उससे कहीं ज्यादा वह संवाद में सक्रिय थीं. अफसर की पत्नी यही से पूर्व मुख्यमंत्री के साथ छत्तीसगढ़ के गरीब बच्चों की तस्वीरों को फेसबुक, वाट्सअप में शेयर करती थी और लिखती थीं- गरीब बच्चों को आशीष दे रहे हैं हमारे बड़े पापा…हम सबके बड़े पापा.

भाजपा के प्रचार का अड्डा बन गया था संवाद

शासन की नीतियों का प्रचार-प्रसार तो अमूमन सभी शासकीय विभाग करते हैं,लेकिन छत्तीसगढ़ के संवाद का दफ्तर भाजपा के प्रचार का अड्डा बन गया था. यहां विभिन्न निजी कंपनियों के लिए कार्यरत कर्मचारी सुबह से लेकर शाम तक सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों में यही देखा करते थे कि विपक्ष की कौन सा मैटर ट्रोल हो रहा है. पाठकों को याद होगा कि कंसोल इंडिया से जुड़े कर्मचारियों ने ही सोशल मीडिया में किसानों की कर्ज माफी को लेकर झूठी पोस्ट वायरल की थी. इस निजी कंपनी में एक कद्दावर अफसर की पत्नी का भाई कार्यरत था. वैसे तो इस कंपनी के कई जगहों पर कार्यालय थे लेकिन रायपुर के अंबुजा माल स्थित मुख्य दफ्तर में ही इस कंपनी ने प्रदेश के मूर्धन्य संपादकों, इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया के पत्रकारों को धन बांटा था और उनका वीडियो भी बनाया था. फिलहाल इस दफ्तर में ताला जड़ गया है.

सुपर सीएम का दखल

हालांकि अभी केवल आईएएस टोप्पो पर जुर्म दर्ज किया गया है, लेकिन बताते हैं कि जनसंपर्क विभाग और संवाद में सुपर सीएम की जबरदस्त दखलदांजी कायम थीं. वे हर पल यहीं देखते थे कि मुख्यमंत्री रमन सिंह के चेहरे को कैसे प्रोजेक्ट किया जाए. सीएम को प्रोजक्ट करने के चक्कर में कई बार अन्य मंत्रियों की तस्वीरों को भी हटा दिया जाता था. जनसंपर्क विभाग और संवाद का दफ्तर उनके निर्देशों की पालना में ही लगा रहता था. एक कर्मचारी ने बताया कि जनसंपर्क और संवाद का काम सही आकंड़ों को प्रस्तुत करना है, लेकिन पूरा महकमा जनता के समक्ष झूठ परोसने के काम में ही लगा हुआ था. विभाग के एक कर्मचारी का कहना है कि संवाद ने जिला विकास नाम की जो पुस्तिका प्रकाशित की थीं उसमें सारे के सारे आकंड़े झूठे थे लेकिन सरकार के कामकाज को बेहद विश्वसनीय और अनोखा बताने के लिए कमजोर आकंड़ों को मजबूत बताने की कवायद की गई थीं.

कुछ ऐसे चला खेल

यह कम हैरत की बात नहीं है कि वर्ष 2003 के बाद से जनसंपर्क विभाग कभी भी जनता से सीधा संपर्क नहीं रख पाया। विभाग और उसकी सहयोगी संस्था संवाद में बट्टमार और उठाईगिर जगह बनाने में इसलिए सफल हो गए हैं क्योंकि निजी कंपनियों के लोग अफसरों और कर्मचारियों को बगैर किसी मध्यस्थता के सीधे घर पर जाकर कमीशन देने लगे थे. विभाग के कतिपय लोग यह भी कहते हैं कि कतिपय अफसर शराब और शबाब के शौकीन थे. जिसका फायदा निजी कंपनियों ने जमकर उठाया. इस विभाग में निजी कंपनियों की इंट्री तब सबसे ज्यादा हुई जब वर्ष 2014 में मोदी प्रधानमंत्री बनने में सफल हुए. गुजरात से यह हवा चली कि मोदी को जिताने में सोशल मीडिया की अहम भूमिका है. मोदी ने एक टीम बनाकर काम किया और….

सर्वविदित है कि संवाद का काम केवल पब्लिसिटी मैटर क्रियेट करना है, लेकिन मोदी की जीत के बाद निजी कंपनियों को काम देने के लिए विज्ञापन निकाला गया. सबसे पहले मुंबई की एड फैक्टर ने इंट्री ली. यह कंपनी वर्ष 2015 से लेकर 2017 तक सक्रिय रही और इसे प्रत्येक माह लगभग साढ़े पांच लाख रुपए का भुगतान मिलता रहा. इसी कंपनी में कार्यरत तुषार नाम के एक शख्स ने कुछ ही दिनों में वॉर रुम नाम की एक नई संस्था खोली और जनसंपर्क आयुक्त राजेश टोप्पो के साथ मिलकर लंबा खेल खेला.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!