किसान आंदोलन के समर्थन में मालवा-निमाड़ में ट्रैक्टर-ट्रॉली यात्रा

21-22 दिसम्बर 2020 अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वयक समिति, संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वाधान में दो दिवसीय ट्रेक्टर ट्राली यात्रा निकाली गई। मेधा पाटकर के नेतृत्व में निकाली गई इस यात्रा में मध्य  प्रदेश के मालवा-निमाड़ अंचल के गाँवों के किसानों के अलावा महाराष्ट्र के किसान और इंदौर शहर के विभिन्न संगठन के अनेक लोग शरीक हुए। 

21 दिसम्बर को बड़वानी से शुरू हुई यह यात्रा 22 दिसम्बर को निसरपुर में खत्म हुई। किसान आंदोलन को समर्थन देते हुए निकाली इस यात्रा में बड़ी संख्या में महिलाओं ने अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज की। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य सिंघु बॉर्डर, दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को समर्थन देने के साथ ही ग्रामीण अंचलों में रहने वाले किसान, मजदूर एवं साधारण जनता को तीन नए किसान कानूनों की जानकारी देने के साथ लोगों को इस आंदोलन से जोड़ना और उनकी समझ को बढ़ाना था।

इस रैली में इंदौर से कॉमरेड विनीत तिवारी (प्रगतिशील लेखक संघ), कॉमरेड एस.के. दुबे (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी), कॉमरेड अरविंद पोरवाल (शांति एवं एकजुता संगठन-एप्सो), कॉमरेड अशोक दुबे (रूपांकन), कॉमरेड सारिका श्रीवास्तव (भारतीय महिला फेडरेशन), कॉमरेड विवेक मेहता (एटक), रामस्वरुप मंत्री (सोशलिस्ट पार्टी) और हाऊल क्लब के सदस्य अर्चना, प्रणय, संदीप चन्देल और उजान ने शामिल होकर अपनी एकजुटता दर्ज की।

धरमपुरी में लोगों को सम्बोधित करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, इंदौर के जिला सचिव कॉमरेड एस के दुबे ने कहा कि किसान विरोधी यह सरकार केवल कॉरपोरेट का हित देखती है। सरदार वल्लभभाई पटेल का इतना बड़ा स्टेच्यू बना देने मात्र से ही उनका सम्मान नहीं बढ़ जाता, उस सम्मान को कायम रखना भी जरूरी है। जिस एयरपोर्ट का नाम पहले सरदार वल्लभभाई पटेल टर्मिनल था वो बिना कोई पूर्व सूचना के अचानक कब और कैसे अडानी एयरपोर्ट बन जाता है हमें इस घटना पर विचार करके समझने की जरूरत है। साथ ही सरकार की निजीकरण की भयावह नीति को समझना और उसका विरोध करना भी जरूरी है। सरकार किस तरह विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के विभिन्न उद्योगों और व्यवसायों को जानबूझकर कोई सुविधाएँ नहीं देकर कमजोर कर रही है जिससे निजी कंपनियों को बढ़ावा मिल सके और उनका वर्चस्व कायम रखा जा सके। बीएसएनएल, रेलवे, स्वास्थ्य विभाग और अन्य सरकारी विभाग इस तरह के ही ज्वलन्त उदाहरण हैं जिन्हें खुद देश की सरकार द्वारा ही कमजोर किया गया जिससे जियो जैसी निजी कम्पनियाँ अपनी जड़ें मजबूत कर पाईं। कॉरपोरेट सहयोगी यह सरकार किसान समर्थक सरकार हो ही नहीं सकती।

खलघाट एवं मनावर में सभा एवं गाँववासियों को सम्बोधित करते हुए प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय सचिव कॉमरेड विनीत ने कहा कि तीन नए किसान कानूनों का विरोध करने के साथ हमें खेती-किसानी से जुड़े खेतिहर मजदूरों की मजदूरी बढ़ाने की माँग भी इसके साथ शामिल की जानी चाहिए। देश के किसान और कृषि से जुड़े लोग अपने लिए किस तरह का कानून चाहते हैं इस पर हमें भी अपनी तरफ से एक मसौदा तैयार करके सरकार एवं देशभर के लोगों के बीच लाना चाहिए। कॉमरेड विनीत ने कहा कोई यह न समझे कि इन कानूनों का असर सिर्फ खेती करने वालों तक ही रहेगा इससे हर वह शख्स प्रभावित होगा जो अनाज का उपभोग करता है। पंजाब – हरियाणा के इन किसानों को अमीर किसान बताकर जनता को भ्रमित किया जा रहा है बेशक उनकी स्थिति देश के अन्य किसानों की तुलना में बेहतर है लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि इन कानूनों का असर केवल उन तक ही सीमित रहेगा। सबसे ज्यादा प्रभावित होंगी महिलाएँ जो खेतो में भी काम करती हैं और घरों में भी और जिनके नाम पर न खेत होता है और न घर।

इस यात्रा की मुख्य नेतृत्वकर्ता मेधा पाटकर ने लोगों को बताया कि सिंघु बॉर्डर, दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन से सरकार डर गई है और आंदोलन को किसी भी तरह खत्म करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है। ठिठुरती ठंड में बैठे किसानों को यह कह प्रचारित किया जा रहा है कि ये खालिस्तानी हैं, इन्हें पकिस्तान और चीन मदद पहुँचा रहा है, यह बहुत ही शर्मनाक बात है। अडानी की कमाई है तीन सौ चौरासी करोड़ रुपये प्रतिदिन और अम्बानी एक हजार पैंतालीस करोड़ रुपये प्रतिदिन। लेकिन सरकार फिर भी उनका ही कर्ज माफ करती है किसानों का नहीं। उन्होंने आह्वान किया कि मध्य प्रदेश और पूरे देश के किसानों को पंजाब -हरियाणा के किसानों की अगुवाई में शामिल होकर दूसरी आजादी के संघर्ष के दर्शन करने दिल्ली जाना चाहिए। मंदसौर में हुए किसान हत्याकाण्ड के बाद बनी किसान संघर्ष समन्वय समिति में देश के पाँच सौ से ज्यादा जनसंगठन जुड़े हुए हैं और पूरी तरह अहिंसक आंदोलन को जारी रखे हुए हैं। देश के किसानों की इतनी अवहेलना देखकर दुनिया के चौदह देशों के जनसंगठनों ने भारत सरकार की आलोचना की है और अपना समर्थन किसान आंदोलन को दिया है।

धरमपुरी में लोगों के बीच बात रखते हुए भारतीय महिला फेडरेशन, मध्य प्रदेश की महासचिव कॉमरेड सारिका ने कहा कि इतिहास गवाह है देश में जितने भी बड़े आंदोलन हुए हैं प्रत्येक में महिलाओं की सक्रिय एवं अग्रणी भूमिका रही है। चाहे आज़ादी का आंदोलन रहा हो या नर्मदा आंदोलन। दिल्ली के सिंघु बॉर्डर में भी महिलाओं की सक्रिय भागीदारी है और मध्य प्रदेश की इस ट्रेक्टर रैली में भी महिलाओं का योगदान सराहनीय है। तीन नए कृषि कानून केवल किसानों को ही प्रभावित नहीं करेंगे बल्कि भंडारण की छूट एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य न होने से देश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली को भी खतरे में डाल देंगे। अभी गरीब लोगों को भले ही पौष्टिक आहार न मिल रहा हो लेकिन कम से कम पेट में कुछ आहार तो जा रहा है। जिस दिन सार्वजनिक वितरण प्रणाली से अनाज मिलना बंद हो जाएगा भुखमरी से मरने वालों की संख्या बहुत बढ़ जाएगी। 

एप्सो, मध्य प्रदेश के महासचिव कॉमरेड अरविंद पोरवाल ने कहा कि छोटे व्यापारियों, फल-सब्जी-ठेलेवालों सब पर इन तीन नये कृषि कानूनों का दुष्प्रभाव पड़ेगा। दिल्ली में किसान सरकार के लागू किये बिलों के खिलाफ़ प्रदर्शन कर रहे, यदि यह बिल पास हो जाते है तो बड़े-बड़े पूँजीपतियों का शोषण और अधिक बढ़ जाएगा।

धरमपुरी और मनावर में हुई जनसभाओं में किसान आंदोलन को अपना समर्थन देने स्थानीय विधायक श्री पँछीलाल मेड़ा और डॉक्टर हीरालाल अलावा भी शामिल हुए।

यह यात्रा 22 दिसम्बर की रात में निसरपुर में समाप्त की गई। मार्ग में आने वाले प्रत्येक गाँव में यात्रा में शामिल साथियों ने लोगों को तीन नए कृषि कानूनों की जानकारी दी और लोगों को इनसे होने वाले खतरों से चेताया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!