भूपेश बघेल के लिए आसान नहीं टारगेट 70 जोगी परिवार का गढ़ है मरवाही विधानसभा मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल की ओछी मानसिकता का प्रमाण है अजीत जोगी की फोटो हटवाना


विजया पाठक

छ्त्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के देहांत के बाद खाली हुई मरवाही विधानसभा सीट का उपचुनाव मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए एक बड़ी चुनौती बनने जा रही है। भूपेश बघेल ने भी इसकी गंभीरता को देखते हुए मरवाही उपचुनाव को ‘टारगेट 70’ का नाम दे दिया है। करीब 15 साल तक विपक्ष में रहने के बाद 2018 में कांग्रेस पहली बार चुनाव जोगी के बिना लड़ी थी। हालांकि, यहां यह देखना दिलचस्प होगा कि पिछले पांच चुनावों यानी 25 वर्षों से जोगी परिवार की यह सीट किस करवट बैठती है। तब जब मरवाही उपचुनाव में छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस पार्टी के कैंडिडेट अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी हैं। मरवाही विधानसभा सीट पिछले 5 चुनावों में जोगी परिवार से बाहर नही गई, लेकिन इस उपचुनाव को और खासकर इस सीट को बघेल की साख से जोड़कर देखा जा रहा है। बघेल अपने व्यक्तिगत राजनीतिक कद को बढ़ाने और विरोधियों को शांत करने के लिए एक बड़े अवसर के रूप में देख रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के नेता भी कह रहे हैं कि मरवाही उपचुनाव बघेल के लिए एक तीर से कई शिकार करने वाला साबित होगा लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री का यह गढ़ फतह करना आसान नही है। बघेल के लिए अजीत जोगी हमेशा ही एक राजनीतिक मोहरा रहे हैं। बघेल ने इस विधानसभा उपचुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी है और वो खुद मरवाही के पार्टी कार्यकर्ताओं से जुड़ गए हैं और निर्देश दे रहे हैं। गौरतलब है कि 2.5 लाख मतदाता वाली मरवाही विधानसभा से अजीत जोगी छ: बार चुनाव जीते हैं और सर्वाधिक वोटों से चुनाव जीतने का भी रिकार्ड उनके नाम है। जोगी लोकप्रिय नेता थे और सम्‍मान के साथ घर-घर में उनका फोटो लगा है। मरवाही विस जोगी परिवार का गढ़ बन गया है। क्षेत्र के लोग अजीत जोगी को पूजते थे। यही कारण है कि लोगों ने उनकी तस्‍वीरें अपने घरों में लगाई हैं। उनकी लोकप्रियता से घबराकर मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल घर-घर में साड़ी बटवा रहे हैं ताकि थोड़ी बहुत सहानुभूति उन्‍हें भी मिल जाए। यही नहीं घरों से जोगी के फोटो निकलवा रहे हैं। मरवाही विस के लोग फोटो निकलवाने के विरोध के चलते धरने पर भी बैठे थे और एक पंचनामा बनाया था। सरकार ने क्षेत्र के सरपंचों से जबरदस्‍ती दवाब बनाकर शिकायत करवायी है। मरवाही विस उपचुनाव में भूपेश बघेल ओछी हरकतों पर उतर आए हैं। लोगों को धमकाना, सत्‍ता का रौब झाड़ना छोटी मानसिकता का ही प्रमाण है। मरवाही क्षेत्र के जनमानस के दिलो-दिमाग में जोगी जी बसे हैं। संवैधानिक रूप से हम किसी भी व्‍यक्ति के अनुयायी हो सकते हैं और देखा जाए तो जोगी जननेता थे और आज वह मरवाही की जनता के बीच नहीं हैं। अर्थात स्‍वर्णवासी हैं और किसी भी व्‍यक्ति को पूजा जा सकता है। कोई भी पार्टी हो उसे दलगत राजनीति से ऊपर उठकर ऐसा कार्य नही करना चाहिए। अजीत जोगी की तस्‍वीरें हटवाना अशोभनीय कृत्‍य है। अगर ऐसा ही रहा तो आने वाले समय में भूपेश बघेल जैसे नेता जवाहर लाल नेहरू, महात्‍मा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी और लाल बहादुर शास्‍त्री जैसे महान नेताओं की तस्‍वीरें गायब करा देंगे। क्‍योंकि ऐसे नेताओं की यह छोटी विचारधारा है।
मुख़्यमंत्री का हालिया बयान कि कांग्रेस मरवाही उपचुनाव हर हाल में जीतेगी, उनकी गंभीरता को दर्शाता है। बघेल के लिए यह चुनाव जीतना सिर्फ राजनीतिक चुनौती नही है बल्कि उनके साख के लिए भी जरूरी है। बघेल जोगी परिवार के बड़े आलोचक माने जाते हैं। कांग्रेस यदि चुनाव हारती है तो यह मुख्यमंत्री के लिए व्यक्तिगत हार भी होगी और संगठन में उनके आलोचक और भी मुखर हो जाएंगे। मरवाही विधानसभा में आज भी जोगी परिवार वहां वोटर के दिलो दिमाग में रहता है। 2018 में भी जब कांग्रेस ने प्रदेश में 67 सीट जीता था तब भी मरवाही पर जोगी का कब्जा बरकरार था। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मरवाही विधानसभा अमित जोगी का पैतृक क्षेत्र होने के कारण परिवार की जनता में पूरी पैठ है। जोगी परिवार का इस विधानसभा में पैठ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले पांच चुनावों में मरवाही विधानसभा इनके पास ही बरकरार है।
दरअसल प्रदेश में सिर्फ मरवाही विधानसभा सीट ही एक ऐसी सीट है जहां राज्‍य बनने के 20 साल के भीतर पांच चुनाव हो चुके हैं और यहां छठवीं बार चुनाव होने जा रहा है। राज्‍य बनने के बाद अजीत जोगी छत्‍तीसगढ़ के प्रथम मुख्‍यमंत्री बने और 2001 में मरवाही से भाजपा विधायक रामदयाल उईके ने कांग्रेस सरकार के सीएम के लिए अपना इस्‍तीफा दे दिया। राज्‍य बनने के पहले के पहले साल ही यहां उपचुनाव हुए जिसमें तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री अजीत जोगी ने भाजपा प्रत्‍याशी अमर सिंह को 51 हजार से अधिक वोटों से पराजित किया था। चूंकि 1998 में विधानसभा का आम निर्वाचन हुआ था इसलिए 2003 में फिर से चुनाव हुए। इस बार भी अजीत जोगी ने भाजपा के दमदार नेता नंदकुमार साय को 54 हजार150 वोटों से एकतरफा जीत हासिल की। इसके बाद उन्‍होंने 2008 में जोगी ने भाजपा के ध्‍यान सिंह को 42 हजार वोटों से हराया। जबकि 2013 में अजीत जोगी ने मरवाही में अपने बेटे अमित जोगी को प्रत्‍याशी बनाया। अमित ने भी अजीत जोगी की तरह एकतरफा 46,250 वोटों से जीत हासिल की। अमित जोगी को जहां 82,909 वोट मिले थे जबकि भाजपा प्रत्‍याशी समीरा पैकरा को 36,659 वोट ही मिले थे।

विजया पाठक एडिटर, जगत विज़न

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