अधिकारियों की लापरवाही से बढ़ रहा है कोरोना ?

ऐसे ही गैर ज़िम्मेदार अधिकारियों के कारण फैल रहा है कोरोना !

कंटेंटमेंट ज़ोन में खुले प्रतिष्ठान

यूकेश चंद्राकर

भोपालपटनम (भूमकाल समाचार ) । छत्तीसगढ़ के सीमांत तहसील मुख्यालय भोपालपटनम में तेजी से फैल रहे कोरोनावायरस नियंत्रण के लिए बनाए गए कंटेंटमेंट जोन में चोरी छुपे दुकान खोलने और लोगों की भीड़ बढ़ने की शिकायत पत्रकार को प्राप्त होने पर जब उसने भोपालपटनम के सबसे प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी एसडीएम को सूचना दी तो एसडीएम नाराज हो गए और उल्टा पत्रकार से सवाल करने लगे कि वे सटीक माध्यम से सूचना मिलने पर ही कार्यवाही करेंगे ।

पत्रकार, पत्रकारिता याने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के पहरेदार माने गए हैं, इस नाते हम, लोक याने आमजनों की बात तन्त्र याने व्यवस्था के ज़िम्मेवारों को सूचनाओं के माध्यम से खूबियों, खामियों या समस्याओं के बाबत उन्हें अवगत करवाते हैं भारत जैसे लोकतंत्र में आमजन, मीडिया पर भी भरोसा करते हैं ! मीडिया की सूचना पर प्रशासन तत्काल कार्यवाही कर ना केवल जनता का विश्वास अर्जित कर सकती है बल्कि समस्या का निदान भी हो सकता है ।

कोरोना की समस्या के लिए भी आमजन उसे फैलने नहीं देने के उद्देश्य से या भय से, मीडिया को अपनी स्थिति बताया करते हैं । अगर आमजन किसी पत्रकार को फोन कर मदद मांगें कि उनके इलाके के कंटेंटमेंट ज़ोन में दुकानें खुल रही हैं, इसलिए उनके एसडीएम को इस संबंध में जानकारी दी जाए, ताकि कोरोना याने जिस महामारी से दुनिया भर में लाखों मर रहे हैं, उस महामारी को फैलने से रोका जाए इसके लिए वहां की दुकानें बंद करवाई जा सकें । अगर ऐसी सूचना या मदद की गुहार पर एक पत्रकार उस इलाके के एसडीएम से संपर्क कर उन्हें वस्तुस्थिति बताए तो क्या एसडीएम को पत्रकार से बहस करनी चाहिए या सूचना की तस्दीक की जानी चाहिए ?

देखा जाए तो सूचना के लिए धन्यवाद का पात्र होना चाहिए वह पत्रकार । उसकी सूचना पर तत्काल तस्दीक की कार्रवाही की जानी चाहिए, लेकिन इस मुल्क में कुछ ऐसे भी अधिकारी हैं जिन्हें फोन पर डिबेट अच्छी लगती है वह भी तब, जबकि महामारी रोकने के उद्देश्य से उन्हें सूचना दी जाती है और ज़िम्मेदार अधिकारी अपनी ज़िम्मेदारी के पूरी करने के बजाय व्यर्थ की बातों में उलझाने, उलझने और बहस करने लग जाते हैं। हम पूरी घटनास्थिति से आपको वाकिफ कराएं उसके पहले आप इस खबर को समझने की कोशिश कीजिये, आपका प्रशासन आपके साथ कैसे खड़ा है ? छत्तीसगढ़ के बस्तर का दक्षिणी छोर का ब्लॉक मुख्यालय भोपालपट्टनम, तेलंगाना और महाराष्ट्र की सीमाओं को छूता है । यहां कोरोना के मामलों में बढोत्तरी देखी जा रही है । एहतियात के तौर पर स्थानीय प्रशासन ने कंटेंटमेंट ज़ोन बना रखे हैं । कुछ कंटेंटमेंट ज़ोन तहसील कार्यालय और थाने के नज़दीक ही हैं । वार्ड नंबर 7 और 10, इन कंटेंटमेंट ज़ोन में दुकानें खुली होने की सूचना यहां के स्थानीयों ने हमें देकर हमसे मदद मांगते हुए कहा कि हम इस बारे में यहां के अधिकारियों से बात कर उन्हें ( जिन्हें कोरोना नहीं है) सुरक्षित रखने की दिशा में एक कदम बढ़ाएं । हमने सिर्फ सूचना देने के उद्देश्य से यहां के एसडीएम उमेश पटेल को फोन मिलाया और उन्हें जानकारी दी । उमेश पटेल ने हमारे सूचना दिए जाने पर सूचना की तस्दीक कर संक्रमण रोकने की दिशा में कदम उठाने के बजाय हमसे फज़ूल की बातें करते हुए बातचीत को बहस की दिशा में मोड़ दिया । बातचीत की ऑडियो सुनिए –

एसडीएम उमेश पटेल की बातचीत ऑडियो

कोरोना के कारण पूरा विश्व एक बड़ी त्रासदी का सामना कर रहा है, क्या आपके इलाके के अधिकारियों का रवैया भी ऐसा ही होता है जब आप इस संक्रमण से लोगों को बचाने की कोशिश करते हैं ? ऐसे अधिकारी जो खतरे की सूचना दिए जाने पर अपना राग अलापते हुए आपसे बहस करते हों, तब आप कितने सुरक्षित हैं ? स्थिति बद से बदतर हो चली है । ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड और अमेरिका की तरफ दुनिया नज़रें गड़ाए देख रही है । कोरोना के रोकथाम के लिए वैक्सीन पर सबसे ज़्यादा सफलता इन्हीं दोनों ने पाई है, बहरहाल ह्यूमन ट्रायल के परिणामों का इंतज़ार किया जा रहा है । यूके समेत कुछ सम्पन्न (अब त्रस्त) देशों ने वैक्सीन की एडवांस बुकिंग भी कर रखी है, भारत फिलहाल अपने सबसे बड़े मुद्दे “राम मंदिर” पर है और सबसे बड़े दुश्मन पाकिस्तान और पाकिस्तान के सहयोगी चीन से निपटने के लिए राफेल का स्वागत कर रहा है ! इटली में पर्यटकों के लिए पर्यटन पर ऑफर लागू किये जा रहे हैं और न्यूजीलैंड ने कोरोना से जंग ही जीत ली है । आप तय कीजिये कि आपका मुल्क कहाँ खड़ा है ? अगर आप अपने मुल्क को कहीं से भी पिछड़ा या भटका हुआ देख रहे हैं तो सोचिए, सोच समझकर इस पर बात कीजिये, सवाल पूछिये कि कहीं ऐसा तो नहीं कि आपके राज्य और आपके देश के बिगड़ते हालातों के ज़िम्मेवार उमेश पटेल जैसे अधिकारी तो नहीं ? या उमेश पटेल जैसे अधिकारियों की मानसिकता को बढ़ावा देने वाले नेताओं ने एक होकर इस देश को आज के वर्तमान पर लाकर खड़ा कर दिया है ?

यूकेश चंद्राकर

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