जाति प्रमाण पत्र ना बन पाने की वजह से आदिवासी बच्चे छोड़ रहे हैं पढ़ाई , कई सरकारी योजनाओं के लाभ से भी वंचित

मनकु राम नेताम

पखांजूर /संगम ( भूमकाल समाचार ) कोयलीबेड़ा क्षेत्र के सुदूर क्षेत्र में निवास करके जीवन यापन करने वाले जनजातियों के अभ्यर्थियों के लिए अपनी जाति को प्रमाणित करने दस्तावेज उपलब्ध कराना बड़ी मुश्किल हो गया है ।

जाति प्रमाण पत्र नही बनने के कारण कई परिवार के बच्चो की पढाई बाधित हो गई है । इसी वजह से कोयलीबेड़ा ब्लॉक के कई गांवों के बच्चों ने पढाई छोड़ दिया है क्योंकि उच्च स्तरीय शैक्षणिक संस्थानों में आदिवासी कहलाने के लिए जाति प्रमाण पत्र की मांग किया जाता है और जाति प्रमाण नही बनने के कारण कई अन्य समस्याएं भी आती है ।

समस्या का प्रमुख कारण है उनके पूर्वजों के पास अचल संपत्ति या उसके दस्तावेज की अनुउप्लब्धता एव शैक्षणिक योग्यताओं का नही होना होता है । इसके अलावा ये लोग पूर्वजों के ऐसे अपने दस्तावेजों को पीढ़ी दर पीढ़ी सम्हाल कर रखने के अभ्यस्त भी नही थे और ऐसी सुविधा भी लोगो के पास नही थी । इसके अतिरिक्त 1950 के पूर्व के सम्बंधित अनिवार्य दस्तावेज को प्राप्त करने की प्रक्रिया एव प्रयास भी बहुत अधिक मुश्किल होता है ।

इसी कारण अंदरूनी क्षेत्र के कई गांवो के बच्चे लगातार स्कूल छोड़ रहे है । ग्रामीणों ने बताया कि हमारे पास सरकारी दसतावेज नही है, स्कूल में जाति प्रमाण पत्र की मांग करते है और हमारे पास जमाबंदी, व 50 साल के रिकॉर्ड पट्टा भी नही है । कई बार ग्राम सभा से प्रस्ताव बनाकर तहसील कार्यालय में जमा किये लेकिन नही बना, जिससे मजबूरन स्कूल छोड़ना पड़ा । ग्राम कंदाडी के बैजू राम पद्द सरदू ,सोहन धुर्व, रमेश जाड़े, सचिन नुरूटी , आल्दण्ड के सुजीत नुरूटी रामजी पद्द दीपक पद्द, करन कतवो, गौरी धुर्व, मानु जुरी, सुनील नरेटी, रुपेश कतवो , मान साय नुरेटी, मंगल पद्द , रामलला वड्डे , महेश पद्द , अनिल नुरूटी , महेश पद्द जीवन पद्द ,अजित नुरूटी , ग्राम केसेकोड़ी के बीरेंद्र मड़कम , गानबत्ती ,पालीस आचला , रमेश यादव , प्रेम यादव माया यादव , टिकेश उईके , अशोक उइके , झाडू यादव ,सविता पददा, ग्राम पानी डोबीर में 19 छात्र -छात्राएं , ग्राम गट्टाकल के 11, ग्राम मीचेबेड़ा 16, ग्राम आलपरास 4, बारकोट 2 और मेहड़ा के 2 अभ्यर्थियों के पास कोई भी सरकारी दसतावेज नही है ।

अभ्यर्थियों ने बताया कि सरकारी दसतावेज नही होने के कारण ग्राम सभा से प्रस्ताव बनाकर तहसीलदार के पास जमा किये थे किंतु मिशाल रिकॉर्ड , पट्टा ,जमाबंदी की मांग कर रहे है। ग्राम सभा के प्रस्ताव से आस्थाई प्रमाण पत्र बन जाता है किंतु स्थाई प्रमाण पत्र नही बन पाता है ।

सोहन धुर्व सहित अन्य की माने तो मैट्रिक तक की पढ़ाई ऐसे वैसे हो जाती है किंतु उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज में मांग की जाती है।

जबकि इस संबंध में बहादुर के तहसीलदार शेखर मिश्रा का कहना है कि यदि रिकॉर्ड नही है तो ग्राम सभा के प्रस्ताव से प्रमाण पत्र बन जायेगा ।

मनकु राम नेताम

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