छत्तीसगढ़ सरकार में मजदूरी के पैसे नहीं मिले पर भेज दिया जेल… रिहा हुआ तो फर्जी मुठभेड़ में मारने बुला रहे थाने…

आदमखोर सरकार मिशन 2016 के नाम पर कर रही आदिवासियों की हत्या ??

प्रभात सिंह @ भूमकाल समाचार
बस्तर जिले में सतसपुर पंचायत के आश्रित ग्राम सुलेंगा के आदिवासियों लखमा मंडावी, बोटी मंडावी, जिलो मंडावी, लच्छों कश्यप एवं डोरका मंडावी की कहानी ऐसी है कि जिसे सुनकर आपके रौंगटे खड़े हो जायेंगे | बस्तरिया आदिवासियों पर छत्तीसगढ़ सरकार के जुल्मों की इतेहाँ की दास्ताँ सुनकर एक बारगी आप भी अपने आँखों के आँसू नहीं रोक पायेंगे…

बस्तर जिले के मारडुम थाना अंतर्गत एक गाँव सुलेंगा जो माओवादियों की पहुँच से दूर तो नहीं है | किन्तु इन्द्रावती नदी के इस पार होने और पूल नहीं होने के कारण माओवादियों का कम ही आना-जाना होता है | ग्रामीण बताते हैं कि इस गाँव में माओवादी साल-दो साल में एक बार ही आते हैं | कारण बताते सुलेंगा के ग्रामीण कहते हैं कि हमारा गाँव इन्द्रावती नदी के इस पार स्थित हैं, बारिश के मौसम में माओवादियों का उस पार से इस पार आना संभव नहीं होता है और इधर साल दो साल में कभी आ भी जाते हैं तो गाँव में चावल माँगते हैं खाना बनाते हैं खाते हैं और चले जाते हैं | किन्तु पुलिस वाले हमारे गाँव महीने में एक या दो बार जरुर आते हैं | मारडुम थाने का थानेदार शुक्ला फ़ोर्स के साथ गाँव में आता है वे रुकते हैं तो मुर्गा और बकरे की मांग करते हैं विरोध करने पर मारपीट करते हैं | अक्सर जब जाते हैं तो मुर्गा और बकरा भी हमसे लूट कर ले जाते हैं |

आपको बताते चले की मारडूम थानेदार शुक्ला पर राजनैतिक रैली करवाने एवं स्कूली छात्रों को उसमें शामिल करवाने के आरोप लगे साथ ही मनीष कुंजाम ने आरोप लगाया था कि मारडूम थानेदार शुक्ला ने अपने लोगों को उनकी रैली में घुसाकर माओवादियों के विरुद्ध नारेबाजी करवाई ।

छत्तीसगढ़ सरकार में बस्तर पुलिस हमेशा दावा करती रही है कि माओवादियों के संगठन में शामिल बस्तरिया आदिवासियों को आन्ध्रप्रदेश के माओवादी शादी करने नहीं देते, इसलिए बस्तरिया नक्सलियों के बच्चे होने की कोई गुंजाइश ही नहीं हो सकती है | किन्तु सरकार के दावे के उलट सुलेंगा के जिन आदिवासियों को छत्तीसगढ़ सरकार ने फर्जी मामले बनाकर जेल भेजा और जिन्हें छत्तीसगढ़ सरकार की पुलिस पकड़ने थाने बुला रही है ऐसे आदिवासियों की शादी भी हुई है और उनके दो से आधा दर्जन तक बच्चे भी हैं |

माओवादी संगठनों द्वारा शादी नहीं कराये जाने के बाद आत्मसमर्पित नक्सलियों की छत्तीसगढ़ सरकार में बस्तर आईजी शिव राम प्रसाद कल्लूरी एवं बस्तर कलेक्टर अमित कटारिया के द्वारा जगदलपुर शहर में सामाजिक एकता मंच नाम के संगठन के साथ मिलकर गाजे-बाजे के साथ पगड़ी बांधकर शादी करवा चुके है | आत्मसमर्पण के पूर्व माओवादियों की शादी नहीं होने से कुछ समय पहले ही “अग्नि” के लोगों के साथ मिलकर दरभा को नक्सली मुक्त बताते आत्मसमर्पित नक्सलियों की शादी बस्तर आईजी शिव राम प्रसाद कल्लूरी ने दरभा में करवाई है | जिस नक्सली को केवल सिग्नेचर करना आता है, लिखना-पढना नहीं जानता, उसे छत्तीसगढ़ सरकार ने आत्मसमर्पण के बाद हथियार दे रखे हैं | इसे सलवा जुडूम का मोडिफाइड संस्करण समझा जा सकता है |

जिलो को मजदूरी के पैसे नहीं दिए भेजा जेल
जिलो मंडावी छत्तीसगढ़ सरकार की मशीनरी पर आरोप लगाते हुए कहता है कि “उसे घर से मारडुम के थानेदार शुक्ला ने थाना परिसर में शौचालय बनाने के लिए गोदी (गड्ढा) खोदने बुलाया था | मारडुम में मारेंगा के 07 मजदूर और बदरेंगा के मिस्त्री के साथ मैं काम कर रहा था | एक सप्ताह काम किया, काम ख़त्म होने के बाद उन लोगों को थानेदार ने जाने दिया किन्तु मुझे एक सप्ताह और थाने में रखा; दो सप्ताह के बाद मुझे झूठे केस में जेल भेज दिया | केस कौन-कौन सा था नहीं मालुम | यह चार साल पहले की बात है दो साल पहले ही दो साल जेल में रहने के बाद केस ख़त्म होने के बाद रिहाई हुई | वकील साहब 8 हजार रुपये लिए थे उन्हें 5 हजार रुपये और देने हैं |” जिलो की इसी साल शादी हुई है दो एकड़ जमीन होने के बाद भी छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पुलिसिया मुठभेड़ में मार दिए जाने के डर से वह इधर-उधर छुप कर रह रहा है | उसके परिवार पर रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है उसके पास अब छत्तीसगढ़ से पलायन कर आंध्रप्रदेश या तेलंगाना जाकर मजदूरी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है |

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बोटी नक्सली तो बच्चे क्या उपर वाला पैदा कर गया
बोटी मंडावी दुःखी होते हुए बताता है कि उसकी उमर 40 साल के आस पास होगा | उसे छत्तीसगढ़ सरकार की आदिवासी विरोधी नीति के तहत पुलिस ने फर्जी मामला बनाकर ने 6-7 साल पहले जेल भेज दिया था | उसके उपर कितने केस लगे थे उसे नहीं पता है किन्तु उसे इतना याद है कि एक मर्डर के केस में उसे पुलिस ने गिरफ्तार किया था | जो गुनाह उसने किया ही नहीं था उसके लिए उसे 03 माह जेल में गुजारने पड़े | केस ख़त्म होने के बाद उसकी रिहाई हुई | गाँव में उसके परिवार में 5 एकड़ जमीन हैं, आदिम काल से उसका परिवार खेती करता आ रहा है | परिवार में वह 5 भाई और एक बहन हैं | बोटी की दो लड़की और एक लड़का है | सोनी सोढ़ी कहती है कि नक्सलियों की नीति के सम्बन्ध में छत्तीसगढ़ सरकार की पुलिस ही हमेशा कहती आई है कि नक्सली संगठनों में आदिवासियों को शादी करने एवं बच्चा पैदा करने की इजाजत नहीं होती यदि किसी ने भी गुपचुप शादी कर भी ली होगी तब क्या पौराणिक कहानियों के अनुसार दिव्य फल खाने से या भगवान के आशीर्वाद से बिना पति के सम्भोग के बच्चे पैदा हो रहे हैं | इससे स्पष्ट हैं कि ये निर्दोष हैं इन्हें जबरन पुलिस ने आंकड़े दिखाने के लिए गिरफ्तार किया था | यदि ऐसा नहीं होता तो इन्हें न्यायालय से इन्साफ नहीं मिलता |

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बोटी के छोटे भाई मल्लू को पकड़ कर ले गई पुलिस
बोटी के पाँच भाइयों में सबसे छोटे भाई का नाम मल्लू मंडावी है | बोटी पुलिस पर आरोप लगाते कहता है कि “हमारे गाँव में कोई भी नक्सली संगठन में नहीं है, नदी के उस पार से नक्सली लोग कभी-कभार साल दो साल में आते हैं | इस साल राखी के 03 दिन पहले मारडुम थानेदार शुक्ला फ़ोर्स के साथ गाँव में आया था | मेरे भाई मल्लू मंडावी के साथ अन्य दो ग्रामीण गंगों मंडावी एवं काजे कश्यप को घर से नक्सली बताकर थानेदार अपने साथ ले गया, मैं पुलिस के डर से उनसे मिलने भी नहीं जा रहा हूँ, कहीं वे मुझे भी नक्सली बताकर मार न दें |” इनका वकील कौन है बोटी को नहीं पता है |

इन लोगों ने आगे जो बताया वह कम चौंका देने वाला नहीं हैं इन ग्रामीणों से बातचीत में पता चला कि मल्लू गाँव में ही रहता था उसके 01 लड़का 02 लड़की, गंगों के 02 लड़का 02 लड़की एवं काजे कश्यप के तो 06 बच्चे (2 लड़का 4 लड़की) हैं | यदि ये नक्सली होते तो फिर इन्हें शादी की इजाजत माओवादी संगठन से मिलती ही नहीं ऐसे में बच्चा होने का प्रश्न ही नहीं उठता |

सतसपुर ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम सुलेंगा के ग्रामीण जब मारडुम बाजार जाते हैं तो उन्हें बाजार में पुलिस कहती है उन्हें लेकर आओ मिलने के लिए लेकिन इनका कहना है कि पुलिस हमें भी बुरगुम के उन छात्रों की तरह पकड़कर मारने के लिए बुला रही है | ये लोग बताते हैं कि मारडुम बाजार जाने वालों में उपसरपंच बुधुराम मंडावी, सुलो मंडावी, झुनकी मंडावी एवं फूलो मंडावी जैसे कई गाँव के लोगों ने हमें यह बताया है | सुलेंगा के इन ग्रामीणों ने उच्च न्यायालय बिलासपुर में छत्तीसगढ़ सरकार के खिलाफ मामला दर्ज कराया है |

सरकार ने विकास के नाम पर कुछ भी तो नहीं दिया…
लखमा मंडावी रुआंसे शब्दों में कहता है सुलेंगा गाँव के पनियाकोंटा पारा में केवल आंगनबाड़ी है, गाँव में 70 से अधिक बच्चे स्कूल नहीं होने के कारण आज तलक अनपढ़ हैं | मेरी बेटी मंझिला 4 साल की उम्र में उचित ईलाज नहीं मिलने से मर गई | पता नहीं क्या बिमारी हुई, मारडुम के अस्पताल दिखाने ले गया था | एक दिन बाद ही चल बसी | गाँव की सुक्को 40 साल की थी उचित ईलाज नहीं मिलने से इस साल वह भी मर गई | पिछले साल डोरा और दुरगो दम्पतियों की एक माह के भीतर ईलाज नहीं मिलने से मौत हो गई | गाँव में हर साल ऐसे ही लोग मरते रहते हैं | इस सरकार के लोग हमें देखने नहीं आते हैं | गाँव में केवल नर्सें पहुँचती हैं वह भी पोलियो ड्राप पिलाने के नाम पर दुबारा कोई झाँकने नहीं आता हैं |

नेता मंत्रियों के लोग भी केवल चुनाव के समय ही आते हैं | रुपये, कम्बल, साड़ी आदि देकर कहते हैं हमें वोट दो फिर चले जाते हैं | चुनाव के बाद कोई झाँकने तक नहीं आता है |

पुरे सुलेंगा में 5 हैंडपंप हैं, लेकिन किसी का पानी पीने योग्य नहीं है | सुलेंगा के पनियाकोंटा में एक भी हैण्डपम्प नहीं है | लखमा ने बताया हमारे पारा से दो किलोमीटर दूर बोरिंग (हैंडपंप) होने के कारण वहाँ पानी लेने नहीं जाते हैं | हमारे पारा के लोग नदी में चुआं बनाकर पानी निकालकर पीते हैं | गाँव में आजादी के दशकों बाद भी सरकार ग्रामीणों के लिए पक्की सड़क नहीं बनवा पाई है | गाँव जाने कच्ची सड़क पर 5 नाले हैं जिस पर पुलिया नहीं है | छत्तीसगढ़ सरकार के दावों की पोल खोलती सच्चाई यह है कि आज तलक सुलेंगा में बिजली नहीं पहुँच पाई है |

आदमखोर सरकार मिशन 2016 के नाम पर कर रही आदिवासियों की हत्या
छत्तीसगढ़ सरकार के बस्तर पुलिस का मिशन 2016 के नाम पर आदिवासियों को जल-जंगल-जमीन से बेदखल करने की यह घिनौनी साजिश है | इसके तहत ही निर्दोष आदिवासियों की हत्या की जा रही है | बस्तर आईजी के प्रचार तंत्र अग्नि की रैली के पहले छत्तीसगढ़ सरकार का बस्तर में कुख्यात आईजी शिव राम प्रसाद कल्लूरी की तारीफ़ किया जाना और बस्तर में 40 हजार करोड़ के निवेश की घोषणा इस बात की ओर इशारा करता है कि आने वाले दिनों में बस्तर में भारी अशांति का माहौल होगा | ऐसे ही छत्तीसगढ़ सरकार की आदिवासियों पर पुलिसिया दमन जारी रहेगा | कांग्रेस एवं छजका ने तो इस सरकार को हाल की घटनाओं के बाद आदमखोर सरकार कहा है | छत्तीसगढ़ सरकार के खिलाफ छत्तीसगढ़ के आदिवासी लामबंद होकर चरणबद्ध आन्दोलन कर रहे हैं | आदिवासी नेताओं से हुई बातचीत पर यह बात निकलकर सामने आई है कि छत्तीसगढ़ में आदिवासियों और दलितों पर ऐसे ही अत्याचार होते रहे तो आने वाले दिनों में आदिवासियों का गुस्सा इस सरकार पर फूटेगा |

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