शहादत को भ्र्ष्टाचार की श्रद्धांजलि

44 जवानों की शहादत और 44 करोड़ की लागत के बाद भी 15 वर्षों में नही बनी 44 किमी सड़क

यूकेश चंद्राकर,

बीजापुर एक विभाग जिसमें प्रधानमंत्री पदनाम सीधा जुड़ा हो और ये पूरा विभाग भ्रष्टाचार में आकण्ठ डूबा हो तब सिस्टम पर विश्वास करना कितना आसान होगा आपके और हमारे लिए ? हम बात कर रहे हैं प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की । बीजापुर जिले में इस विभाग द्वारा बनवाई गई लगभग 400 करोड़ की सड़कों में भारी भ्र्ष्टाचार किया गया है । हर भ्रष्टाचार की पोल खुली लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ ई ई बदले गए, इंजीनियर सस्पेंड किये गए मज़ेदार तो ये कि सस्पेंड होने के 10 दिन में ही बहाल भी हो गए । कोई भी ठोस कार्रवाही नहीं होने के कारण इस विभाग में भ्र्ष्टाचार खुलेआम चल रहा है जिस पर राजनीतिक दल आजकल प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राजनीति करने में व्यस्त हैं ।

क्या कहते है महेश गागड़ा, पूर्व मंत्री (छग शासन)


प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत जिले भर में तकरीबन 300 सड़कें बनवाई जानी थीं, जिनमे से महज दहाई सड़कों का काम करवाया गया जिनमें से हर सड़क में खुलेआम भष्टाचार को अंजाम दिया गया है । ठेकेदार, विभागीय कर्मचारी अधिकारी मिलकर सड़कें बनवाते हैं जिन पर रोलर नहीं चलाया गया, मुरुम की जगह मिट्टी, गिट्टी की जगह बोल्डर जैसी चीजों का इस्तेमाल किया गया । pmgsy के अंतर्गत स्वीकृति मिली किसी भी सड़क का निर्माण किसी भी सूरत में अलाइनमेंट चेंज कर नहीं बनाया जा सकता लेकिन कम से कम 10 सड़कें ऐसी हैं जिनका अलाइनमेंट पूरी तरह चेंज कर कार्य कराया गया है सिर्फ भ्र्ष्टाचार से मिले पैसों से अपनी तिजोरियां भरने के लिए । हर सड़क के बनने के साथ ही संबंधित ग्रामीण शिकायत लेकर पूर्व कलेक्टर के डी कुंजाम या विधायक विक्रम मंडावी से शिकायतें करते रहे लेकिन आज तक करोड़ों के भ्र्ष्टाचार वाले इस विभाग पर प्रशासनिक और सत्ता की दयादृष्टि यथावत बनी हुई है ।
इस विभाग में भ्रष्टाचार ऐसा मामला है जिस पर मीडिया हर भ्र्ष्टाचार की रिपोर्ट्स दिखाती ज़रूर है लेकिन काँग्रेस के कार्यकाल में शायद एक शह इस विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों को मिला हुआ है । शह मिलने की बात इसलिए जरूरी हो जाती है क्योंकि विभाग द्वारा बनवाई गई या बनवाई जा रही एक भी सड़क ऐसी नहीं है जिसमें भ्र्ष्टाचार नहीं हुआ हो, भ्र्ष्टाचार की जानकारी कलेक्टर, विधायक को न हो और तो और मीडिया – सोशल मीडिया में भी भ्र्ष्टाचार से जुड़ी खबरें लगातार चलती रहती हैं । पूर्व कलेक्टर कुंजाम और विधायक विक्रम की कार्यप्रणाली पर शक तब और भी ज़्यादा गहरा जाता है जब एक एक कर सिलसिलेवार खुलासे होते हैं लेकिन किसी तरह की ठोस कार्रवाही देखने को नहीं मिलती जबकि होना तो ये चाहिए कि विधिवत कार्रवाही की जानी चाहिए थी । अगर ऐसा होता है कि एक एक कार्य की जांच हो तो तय है कि सभी ज़िम्मेदार कर्मचारी अधिकारी जेल की सलाखों के पीछे नज़र आएंगे और कईयों को जवाब देना पड़ जायेगा । बड़े अफसोस की बात है जहां सख्त कार्रवाही होनी चाहिए वहां आज बीजापुर की राजनीति चल रही है

क्या कहते विक्रम मंडावी, विधायक बीजापुर


बीजापुर जिला मुख्यालय से गंगालूर होते हुए हिरोली तक 44 किलोमीटर की सड़क बनवाई जानी थी जिसके लिए 44 करोड़ रुपये स्वीकृत थे । 25 किलोमीटर लंबी सड़क का कार्य करवाया गया जिसमें भ्र्ष्टाचार की इंतेहा तब देखी गयी जब बिछाई गई डामर की परत उंगलियों से उखाड़ने पर उखड़ गयी । इस सड़क की गुणवत्ता में हुए भ्र्ष्टाचार का नमूना खुद बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी ने उंगली से माप कर दिखाया था । इसके बाद संबंधित इंजीनियर सतानंद महिकवार को सस्पेंड किया गया जो सिर्फ 10 दिन में बहाल होकर वापस आ गए । सस्पेंड होने के बाद इतनी जल्द वापसी बहुत कुछ कह रही है खैर भ्र्ष्टाचार के खुलासे के बाद सड़क की गुणवत्ता ठीक करने के लिए 6 करोड़ रुपये फिर से स्वीकृत किये गए । इस तरह बीजापुर की वो सड़क जिस पर 15 सालों में 44 जवान शहीद हो गए, 44 करोड़ की लागत के बावजूद भ्र्ष्टाचार होता है जिस पर मलाई 6 करोड़ की लगाई गई । समझने की बात है कि किस तरह पैसों का बंदरबांट किया गया है वह भी उस सड़क पर जिस पर नक्सलियों के अलग अलग हमलों में कुल 44 जवान शहीद हो गए याने शहादत की सड़क पर भ्रष्टाचार की श्रद्धांजलि बीजापुर प्रशासन और वर्तमान सरकार दे चुकी । इस सड़क का ज़िक्र इसलिए जरूरी है क्योंकि आसानी हो सके समझने में । यदि इस एक सड़क की तकनीकी जांच होगी तो आप समझ जाइये क्या नतीजे देखने को मिल सकते हैं ।
दंपाया से बन्देपारा अलाइनमेंट बदला गया, पापनपाल से पटेलपारा सड़क ही कहीं और बनवा दी गयी, एन एच से संतोषपुर तक की सड़क का कार्य 3 किलोमीटर तक नगर पालिका ने करवाया, जिसके किनारों का कार्य करवाकर और पुराने पुल पर पोताई करवा कर pmgsy ने रुपयों का आहरण कर लिया है । संतोषपुर मामले में सवाल ये उठता है कि आखिर नगर पालिका क्षेत्र में pmgsy को स्वीकृति कैसे मिल गयी ?
सड़कों की बात करें तो जितनी भी सड़कें pmgsy द्वारा बनवाए गए हैं या बनवाये जा रहे हैं एक भी सड़क pmgsy के मानकों, मापदंडो पर खरी नही उतरती है । ऐसे में जिला प्रशासन, प्रदेश सरकार और विपक्ष का गणित देखते ही बन रहा है । विभाग प्रमुख बदल रहे हैं, जिलाधीश बदल गए हैं, विधायक बदल गए, विपक्ष बदल गया नहीं बदली है तो सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी । इन मामलों पर पूर्व मंत्री महेश गागड़ा और विधायक विक्रम मंडावी की बयानबाजियों के दौर चलते हैं, आरोप प्रत्यारोप के खेल चल रहे हैं, प्रेस कॉन्फ्रेंस के सिलसिले चल गए लेकिन करोड़ों के भ्र्ष्टाचार के बावजूद अब तक किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाही का न होना सभी जिम्मेदारों को सवालों के घेरे में खड़ा कर देता है ।
अंदेशा इस बात का ज़्यादा प्रबल भी नज़र आता है कि हो न हो इस पूरे मामले में सभी ज़िम्मेदार लोगों की जेबें गर्म की गई होंगी जिस कारण कार्रवाही के नाम पर महज खानापूर्ति ही की गई और अब बयानबाजी चल रही है ।

यूकेश चंद्राकर

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