जहां न पहुंचे प्रशासनिक जानकारी, वहां सर्व आदिवासी समाज और मेडिकल टीम ने निभाई जिम्मेदारी,

15 कीलोमीटर पैदल चलकर पहुंचे बेंगपाल, बाहर से आए लोगों को किया परीक्षण तीन बच्चों को किया आइसोलेट।

        मंगल कुंजाम🖊

किरंदुल :- छत्तीसगढ़ नक्सल प्रभावित अंदरूनी कई गांव ऐसे हैं, जहां आज भी शासन और प्रशासन की योजना पहुंचना तो दूर, बल्कि योजनाओं की जानकारी भी नहीं मिल पाती। इसकी बड़ी वजह यह है कि एक ओर नक्सली दहशत तो दूसरी ओर रास्तों का आभाव। वहीं, दूसरी ओर इन दिनों कोरोना जैसी गंभीर महामारी संक्रमण लगभग पूरे विश्व में फैला हुआ है। ऐसे हालात में इन गांवों में जानकारी और बचाव के संदेश भेज पाना भी असंभव है। लेकिन स्वास्थ्य और सर्व आदिवासी समाज की टीम ने इस असंभव काम को कर दिखाया है, दंतेवाड़ा जिले के किरंदुल से करीब 30 किलो मीटर दूर एक गांव, जहां स्वास्थ्य विभाग की टीम और सर्व आदिवासी समाज ने पहाडों और जंगलों को पर करते हुए पहुंचकर लोगों की जांच की। वहीं, इस दौरान बाहर राज्य से आए तीन लोगों को होम आइसोलेट भी किया। इस काम में सर्वआदिवासी समाज की ‘सतत निगरानी दल’ ने स्वास्थ्यकर्मियों की मदद की।

यहां गांव दंतेवाड़ा जिले के गुमियापाल पंचायत आश्रित ग्राम बेंगपाल की है जहां आज तक प्रशासनिक अमला नहीं पहुंच पाई है। इन गांव के ग्रामीणों का आज भी राशन सहित दैनिक उपयायेग की वस्तुओं के लिए आस—पास के गांवों के भरोसे रहना पड़ता है। इस गांव में पहुंचने के लिए मुख्यालय से कुछ दूर तक तो कच्चे सड़कें हैं, लेकिन अंतिम 15 किलोमीटर पैदल ही जाना पड़ता है। वहीं, दूसरी ओर कोरोना संकट के बीच आस पास के गांवों में लगभग 126 लोग अपने घर लौटे हैं। ये सभी लोग काम की तलाश में दूसरे राज्य गए हुए थे। इस बात की जानकारी होते ही स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों ने सर्वआदिवासी समाज के लोगों के साथ बेंगपाल पहुंचे, यहां पहुंचने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम को पहाड़ और जंगल के बीच पथरीले रास्तों से होकर गुजरना पड़ा, लेकिन जिम्मेदारी और लोगों तक सुविधा पहुंचाने का जूनून उन्हें गांव तक ले गया।

बेंगपाल पहुंचने के बाद सर्वआदिवासी समाज के लोगों ने स्थानीय बोली भाषा मे गांव के लोगों से बात की और उन्हें कोरोना के संबंध में जानकारी देते हुए जांच के लिए घरों से बाहर आने को कहा। इसके बाद मेडिकल टीम ने गांव में बाहर से आए सभी लोगों की जांंच की। जांच के दौरान तीन बच्चों को सर्दी, बुखार जैसी समस्याएं पाई गई। इसके बाद तीनों बच्चों को होम आइसोलेशेलन में रखा गया है, साथ ही पूरे ग्रामीणों को गांव से बाहर नहीं जाने की हिदायत दी गई है।

बताया गया कि कोरोना संकंट के दौरान इलाके के दोक्कापारा हिरोली, समलवार और बेंगपाल के लगभग 126 मजदूर दूसरे राज्यों से अपने घर लौटे हैं। यहां आने के बाद कुछ मजदूर सीधे अपने घर पहुंच गए तो कुछ लोगों को ग्रामीणों और सतत निगरानी दल की मदद से गांव के बहार रुकवाया गया और उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इसके बाद उन्हें आइसोलेशन में रखा गया है। इस दौरान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र किरंदुल चिकित्सा अधिकारी डॉ भवरी संतोष , डॉ नीरज कुमार, राजेश बहेरा, सलीम रजा , नैना कश्यप, त्रिरत्ना बंसोड़ , भीकेश मेंर्या,गमलेश भुआर्य के द्वारा बेंगपाल पहुंचे सभी लोगो का स्वस्थ निरीक्षण किया गया
साथ ही सतत निगरानी दल’ की सराहनीय पहल
कोरोना संकट के दौरान सर्व आदिवासी समाज की सतत निगरानी दल लगातार इलाके के गांवों में बैठक कर लोगों को कोरोना के संबंध में जागरूक करने में लगे हुए हैं। इस काम में सर्वआदिवासी समाज के जिला सचिव ​धीरज राणा, जिला पंचायत सदस्य शंकर कुंजाम, तुलसी मंडावी, नंदाराम कुंजाम और पंचायत सचिव सुनील भास्कर अपनी पूरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।

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