शाबाश हिमवीरों,सोनपुर itbp कैम्प के जवान दूसरी बार देवदूत बनकर आए..

Itbp के जवानों का जज्बा देखिये,कड़ेनार की दुःखद घटना को भूलकर इंसानियत बचाने में लग गए

*नितिन सिन्हा की रिपोर्ट*

नरायणपुर:- जिले के बीहड़ो,से आ रही तस्वीरों को देखकर किसी भी भारतीय नागरिक का हाँथ हिमवीरों(itbpके जवानों) को सलाम करने के लिये बरबस ही उठ जाएगा।

वायरल वीडियो के अनुसार जहां अभी तीन दिन पहले कुछ किमी की दूरी पर itbp के जवानों के आपसी संघर्ष में 6 जवानों की मौत हुई थी। जिसकी जांच के लिए बल के अधिकारी और पुलिस प्रशासन की प्रक्रिया अभी चल ही रही है,इस बड़े दुख को भूलाकर नारायणपुर जिले के सोनपुर itbp कैम्प के 6 जवानों ने एक बार फिर से उदारता का परिचय दिया है। सर्चिंग पर निकले जवानों ने मानवता की रक्षा करते हुए इंस्पेक्टर प्रमोद तिवारी के नेतृत्व में करीब 16 किमी की दूरी तय करके पैदल टूटे-फूटे स्ट्रेचर में बुरी तरह से बीमार महिला को ला रहे आदिवासी ग्रामीणों की मदद कर पीड़िता की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

इस विषय मे मिली अब तक की जानकारी के अनुसार नारायणपुर के दुरान्त बीहड़ जंगल में स्थित पहुंचविहीन धुर नक्सल प्रभावित गांव टहकाडोंड के ग्रामीण एक बीमार महिला को बांस के बने टूटे-फूटे स्ट्रेचर में लादकर कर जैसे-तैसे पैदल ही अस्पताल ला रहे थे। बड़ी परेशानी से वे करीब 12 से 13 किमी की दूरी पैदल तय कर पाए थे,और थक हार कर असहाय बैठ गए थे। इस पर ग्रामीणों को सर्चिंग में निकले itbp सोनपुर कैम्प के जवान मिल गए। जवानों ने परेशान ग्रामीणों को देखा और हाल चाल जानने के दौरान उनकी नजर बीमार और मरणासन्न अवस्था में पड़ी महिला पर पड़ गई। जवानों ने बिना समय गंवाए पहले तो बीमार महिला का वहीं प्राथमिक उपचार किया। उसके बाद बांस से बने स्ट्रेचर को वापस से ठीक करते हुये, बीमार महिला को कंधा देकर करीब दो किमी की दूरी पैदल ही तय किया। जहां पर पूर्व सूचना पर रामकृष्ण मिशन आश्रम की खटारा जीप(एम्बुलेंस) पहुंची हुई थी,वहां तक महिला को पहुंचाया। जहां से आश्रम के लोग महिला को बेहतर इलाज के लिए जिला मुख्यालय नारायणपुर ले गए।

यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि बीते सप्ताह बुधवार को नारायणपुर जिले के धुर नक्सल प्रभावित ग्राम एहनार निवासी सोनारु नुरेटी ने सोनपुर कैम्प आकर itbp के जवानों से कुछ इसी तरह के माहौल में प्रसव पीड़ा से तड़प रही अपने छोटे भाई की गर्भवती पत्नी के लिए मदद की मांग पर सहायता पहुंचाई थी । तब भी itbp के जवानों ने अपनी जान के खतरे को नजरअंदाज करते हुए जिला पुलिस बल के जवानों के सांथ की संयुक्त टीम बनाकर कैम्प में रखा मेडिकल किट सांथ में लेने के बाद पीड़ित महिला की मदद करने पहुंच गए थे । इधर सोनपुर itbp कैम्प प्रभारी ने 102 वाहन को फोन कर बुलवा लिया। एम्बुलेंस 102 के चालक दल और मेडिकल स्टाफ ने घटना स्थल को संवेदनशील बताते हुए अंदर जाने से साफ मना कर दिया था । वे लोग कुछ घण्टो के इंतजार के बाद कैम्प से भी निकल गए। इधर जवान 7 किमी की दूरी तय कर घटना स्थल बेलगर नाले के पास प्रसव पीड़ा से कराह रही महिला तक पहुंच गए। इस जगह में घनघोर जंगलो के बीच itbp कैम्प के मेडिकल स्टाफ और रामकृष्ण आश्रम की महिला मेडिकल टीम की सदस्या ने संयुक्त रूप से सहायता कर प्रसव पीड़ा से कराह रही महिला की तमाम विपरीत परिस्थितियों के बीच सिमित संसाधनों में भी सुरक्षित प्रसव कराया था। पीड़िता को प्रसव के दौरान जंगल मे हो रहे अधिक रक्तस्त्राव को रोकने के लिए जवानों ने अपनी शर्ट और रुमाल भी मेडिकल टीम को दे डाली थी । जबकि दूसरी तरफ जंगल में कुछ जवानो ने सुरक्षा घेरा भी बनाये रखा था। प्रसव के बाद जवान महिला और नवजात को अस्पताल पहुंचाने के लिए जंगल के रास्तों में करीब दो किमी झाड़ियों को काटकर सड़क बनाया और आश्रम की जीप में बैठाकर पीड़िता और उसके परिजनों को नवजात के साथ अस्पताल रवाना किया था।

वहीं बीते कल टोहकाडोंड से आ रही महिला की सहायता करने वाले जवानों से मिली जानकारी के अनुसार पीड़ित महिला का पेट और पैर की गम्भीर बीमारी की वजह से फूल गया था,वह लगभग मरणासन्न पर थी। उसे इसी हालत में ग्रामीण उसे बास के स्ट्रेचर में करीब 14 किमी पैदल लेकर आ रहे थे उन्हें परेशान देखकर,वहां से सोनपुर itbp कैम्प के 6 जवानों ने अपने कंधे में बीमार महिला को प्राथमिक उपचार के बाद उठा लिया। जवानों ने बीमार महिला को 2 किमी पैदल चलते हुए बिना समय गंवाए नरायणपुर रामकृष्ण मिशन आश्रम की जीप तक पहुँचाया। वहां से पीड़िता परिजनों के सांथ अस्पताल ले जाई गई।

itbp के जवानों के इस कृत्य को इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि itbp के इतिहास में पहली बार घटित कड़ेनार कैंप की दुखद घटना के बाद से itbp के जवान वैसे भी मानसिक रूप से टूटे हुए थे। उन्होंने अपने छः साथियों के असमय चले जाने के ताज़ा तरीन दुख को भुलाकर वापस सुविधाहीन अबूझमाड़ के दुर्दांत जानलेवा बीहड़ो में मानवता को बचाने का महान कार्य किया है।

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