पूनम तिवारी ने बेटे सूरज की अर्थी के सामने एकर का भरोसा चोला माटी के राम गाकर दी अंतिम विदाई

सुप्रसिद्ध अभिनेत्री और लोक गायिका पूनम तिवारी ने अपने बेटे सूरज की अर्थी के सामने अपने नाटक का सुप्रसिद्ध गाना एकर का भरोसा चोला माटी के राम गाकर बेटे को अंतिम विदाई दी। आपने कलाकारों को मंचों के माध्यम से मंचन करते हुए देखा होगा लेकिन असल जिंदगी में कितने लोग ऐसे होते हैं जो अपने कलेजे के टुकड़े की अंतिम इच्छा को पूरा करते हुए मृत्यु पर गीत गाकर उसे अंतिम विदाई दी हो। अगर दिल से सोचा जाए तो यह दृश्य दिल को दहला देने वाली है और उनके गीत को सुनने वाले अपने आंसु नहीं रोक पाए। लेकिन अगर सांस्कृतिक परंपराओं की बात उठेगी तो इसे ताउम्र याद रखा जाएगा कि एक कलाकार मां ने अपने संगीतकार जवान बेटे की अर्थी के सामने अपनी दिल को मजबूती के साथ बांधकर अश्रूपूर्ण आंखों से गीत गाते हुए अपने कलाकार लाडले को विदा की।

आज राजनांदगांव में सुप्रसिद्ध अभिनेत्री और लोक गायिका पूनम तिवारी ने अपने संगीतकार बेटे सूरज को खो दिया है। पूनम पहले भी इसे हजारों बार मंच से गा चुकी हैं किन्तु आज जो दुख दर्द उसकी आवाज में था, वो एक मां की पीड़ा के साथ उसके दृढ़ हौसले और जज़्बे को जाहीर कर रहा था। अपने कलाकार पिता और माता की राह पर चलते हुए लोक कला को अपनाने वाला सूरज गायन, वादन के साथ अभिनय में भी पारंगत था। राजनांदगांव में रंग छत्तीसा के नाम से सांस्कृतिक संस्था चलाने वाले सूरज को हृदय रोग की शिकायत थी। और पेसमेकर लगा था। कुछ दिन पहले सूरज को हृदयाघात हुआ था और वह भिलाई के निजी अस्पताल में भर्ती था। उन्हें उपचार के लिए पल्स नेहरू नगर में भर्ती किया गया था। शनिवार तडक़े 4  बजे 30 वर्षीय सूरज की मृत्यु हो गई। 
महज 30 वर्षीय सूरज की इच्छा के अनुसार उसकी शव यात्रा मंडलियों के साथी के साथ गाते बजाते निकली। सूरज ने 29 अक्टूबर को चदैंनी गोंदा के कार्यक्रम में तबले पर अपनी अंतिम प्रस्तुति दी थी। बताया जाता है कि मोतीपुर मुक्तिधाम में भावभीनी माहौल नजर आया।  हबीब तनवीर के बहुचर्चित नाटक चरणदास चोर से अपनी विशिष्ट पहचान बनाने वाले संगीत नाट्य अकादमी सम्मान से सम्मानित दीपक तिवारी के बेटे सूरज तिवारी के निधन पर उनकी अन्त्येष्टि में खैरागढ़ विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष डॉ योगेन्द्र चौबे, रंगकर्मी सिगमा उपाध्याय तथा कई पत्रकार शामिल हुए। उधर राजधानी रायपुर के नाटय थिएटर जनमंच में आज दयाशंकर नाटक खेलने के पहले रंगकर्मी योग मिश्रा, रचना मिश्रा तथा साथी कलाकारों ने अपने साथी कलाकार स्व. सूरज तिवारी को श्रदधांजलि दी तत्पश्चात उसकी याद में नाटक भी खेला गया। प्रसिद्ध रंगकर्मी सफदर हाशमी द्वारा लिखित पढऩा लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों की नायिका व मंदराजी दाऊ, हबीब तनवीर के नया थियेटर में बतौर कलाकार के रूप में लंबे समय तक कार्य कर चुकी है। संस्कारधानी राजनांदगांव के ममतानगर में एक छोटे से मकान में रहने वाली पूनम का पूरा परिवार छत्तीसगढ़ी नाचा विधा, थियेटर और लोककला मंच को समर्पित है। प्रसिद्ध कलाकार हबीब तनवीर के साथ उनके नया थियेटेर में कई नाटकों में प्रभावी भूमिका निभाने वाली पूनम को छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह में कुछ साल पहले छत्तीसगढ़ संस्कृति को बचाए रखने के लिए दाऊ मंदराजी राज्य अलंकरण से सम्मानित किया गया। 
उन्होंने दिसम्बर 2015 को दक्षिण कोसल को बताया था कि आठ साल की उम्र से मंचीय कार्यक्रमों में सक्रिय है। उसके बाद हबीब तनवीर के आग्रह के बाद उनके नया थियेटर से जुड़ गई। थियेटर के सभी नाटकों में अभिनय किया है और भारत के अलग अलग शहरों के अलावा दुनिया के कई अन्य देशों में अपनी कला का प्रदर्शन भी किया है। साक्षरता पर बनी फिल्म प्रेरक में वह अपने पुत्र वीरू को गोद में लेकर राशन दुकान में जाकर अंगूठा लगाने वाली पूनम ही थी। वह बताती है कि उनके पति दीपक तिवारी विराट के साथ नया थियेटर में आगरा बाजार, गांव के नांव ससुराल, मोर नांव दामाद, बहादुर कलारिन, मिट्टी की गाड़ी, चरण दास चोर व बहादुर कलारिन जैसे नाटकों का सैकड़ों प्रदर्शन किया है। अपने समय में नगीन तनवीर, फिदा बाई, माला बाई को याद करते हुए अपने पुराने समय की याद ताजा कर लेती है। चौथी तक पढ़ी-लिखी पूनम कला की शिक्षा में प्रावीण्य है। अपने समय के जाने माने कलाकार मंदरा जी दाऊ सम्मान पर बताती है कि उनकी माता राधा सोनवाणी मंदरा जी की नाचा पार्टी में कार्य करती थी। वहीं से उन्हें कला की प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त हुई। उनका पूरा परिवार छत्तीसगढ़ी संस्कृति को समर्पित है। उनके पति दीपक तिवारी व पुत्र सूरज ने मिलकर कई प्रयासों के बाद रंग छत्तीसा की स्थापना की है। दीपक 2008 से लकवा से ग्रस्त है। लेकिन उनकी इच्छा है कि बतौर कलाकार व छत्तीसगढ़ महतारी की सेवा करते रहे। उन्होंने 1984 में पहली बार नया थियेटर में चरणदास चोर अभिनय किया था। दो महीने के प्रयास के बाद वह इस नाटक के मंचन के लिए फ्रांस चले गए। उनके द्वारा लिखा गया नाटक लॉटरी को अपार प्रसिद्धि मिली।

  उन्होंने 1980-81 में प्रख्यात श्रमिक नेता शंकर गुहा नियोगी के साथ कार्य करते हुए उनकी कला जत्था में बिरसा मुंडा पर कार्य कर चुके हैं। वे अपने समय के कलाकार अमर दास, देवीलाल, उदयलाल को आज भी याद करते हैं। तनवीर के रंगसंसार के मुख्य कलाकार थे दीपक लकवा के ग्रस्त होने के बाद भी अपने कला कार्यों को बखूबी बयान करते हैं। उनकी इच्छा है कि सरकार के मदद से कला के लिए स्कूल की योजना बने। इससे फैलते फुहड़ संस्कृति को रोकने में मदद मिलेगी।  पूनम कई सारे विज्ञापनों में जिंगल गाई है व कई फिल्मों में भी काम किया है। ममता नगर में स्थित अपने छोटे से निवास में भरापूरा परिवार के संबंध में बताती है कि कला में समर्पण के साथ घर-परिवार के भरण पोषण के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ता है। 
जहां तक विरोट तिवारी की कार्यों की बात है 37 साल तक चरणदास चोर का किरदार निभाया है, 30 से ज्यादा देशों में अभिनय कर चुके हैं। बिलासपुर में जन्मे 59 साल के दीपक तिवारी ने लंबे समय तक हबीब तनवीर के नया थिएटर गु्रप में लीड एक्टर के तौर पर अभिनय किया। वे लगातार 37 साल तक नाटक चरणदास चोर में मुख्य भूमिका निभा चुके हैं। 30 से ज्यादा देशों में एक्टिंग से लोगों को स्वस्थ मनोरंजन करने वाले दीपक पैरालिसिस की वजह से पिछले 11 साल से व्हीलचेयर पर हैं। उन्हें 7 फरवरी को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किमया गया है। 2008 से उन्हें पैरालिसिस है। इससे उनकी आवाज भी चली गई। वह मानसिक रूप से भी कमजोर हो चुके हैं।
चरणदास चोर में लीड कैरेक्टर प्ले करने के अलावा दीपक लाला शोहरत राय, मिट्टी की गाड़ी, आगरा बाजार, कामदेव का अपना बसंत ऋतु का सपना देख रहे हैं नैन, लाहौर नहीं देखा, हिरमा की अमर कहानी जैसे नाटकों में मुख्य किरदार निभा चुके हैं। उन्होंने 1995 में रंग छत्तीसा संस्था बनाई थी, जिसे सूरज तिवारी संचालित कर रहे थे। उनकी बेटी दिव्या नृत्यांगना हैं। सूरज का असमय जाना कला जगत की बड़ी क्षति है।

साभारः dakshinkosal.in

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