प्रशासनिक लापरवाही के कारण शिक्षक बना सुपरमेन

3 कक्षाओं के 18 कालखण्ड एक शिक्षक की जवाबदारी

नियत श्रीवास


कोयलीबेड़ा । आज हम आपको नक्सल प्रभावित बस्तर के कांकेर जिले के माओवाद क्षेत्र की तस्वीर दिखा रहे है जहां एक शिक्षक के भरोसे पूरा मिडिल स्कूल है,जहां सभी विषयों को पढ़ाने के लिए सिर्फ एक शिक्षक ही है ।

     हम बात कर रहे है कांकेर जिले के नक्सल प्रभावित कोयलीबेड़ा ब्लाक के मरदा खास मिडिल स्कूल की ,जहां प्रशासनिक लापरवाही के कारण शिक्षक बना सुपरमेन, मामला शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला मरदा खास का है जो छः जुलाई सन 2013 को माध्यमिक शाला बना । पर कभी भी यहां एक से अधिक शिक्षक पदस्थ नही किये गए। 

           जहां सरकार शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए कई योजनाओं का हवाला देते नही थकती वहीं मरदा खास के इस माध्यमिक शाला में सरकार की लापरवाही साफ नजर आती है, ऐसा लगता यहां पढ़ रहे 48 बच्चों की जिम्मेदारी एक मात्र शिक्षक मोहनलाल वर्मा को सौंप कर उन्हें सुपरमेन बना देना चाहती है। एक ही दिन में तीनो कक्षाओं के कुल 18 कालखंड होते हैं तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि शिक्षक मोहनलाल वर्मा कोई सुपरमेन ही होंगे जो इतने कालखण्डों को एक साथ वहन करते हैं । 

           इस पर भी कभी डाक तो कभी शालेय रिपोर्ट की जिम्मेदारी अलग से जिन्हें समय पर पूरा करना आवश्यक होता है। अगर कभी कोई ट्रेनिंग या अन्य कार्य से बाहर जाना पड़े तो स्कूली बच्चे ही शिक्षक के भूमिका में आ जाते हैं और आपसी सामंजस्य से दिनभर पढ़ाई कर सुनहरे भविष्य में शिक्षक बनने का अनुभव प्राप्त करते हैं। ऐसा नही की यहां के लोगों ने शिक्षकों की मांग के लिए आवेदन निवेदन नही किया । बार - बार और हजार बार मांगों को सभी जगह पहुंचाया पर किसी को इनके बच्चों के भविष्य से कोई सरोकार नही ।  तभी तो एक मात्र शिक्षक के माथे 48 बच्चों का भविष्य मढ़ दिया गया ।

           शिक्षक मोहनलाल को कोई मलाल नही की अकेले हैं पर उन्हें भी बच्चों के भविष्य की चिंता रहती है समय पर कोर्स पूरा करना, परीक्षाएं लेना रिजल्ट बनाना और आगे की कक्षाओं के लिए बच्चों को तैयार करना काफी चुनौतीपूर्ण कार्य है जिसे वे निभा रहे हैं,पर कोई सहयोगी मिल जाता तो और भी बेहतर परिणाम की अपेक्षा की जा सकती है।

👉बच्चो के लिए शौचालय तो बने पर झाड़ियों में जाने को मजबूर

👉न ही पंखा है न ही लाइट

👉यदि शिक्षक किसी दिन अनुपस्थिति हो तो बच्चे ही एक दूसरे को पढ़ाते है

👉2013 से शिक्षा का यही हाल, ऐसे में कैसे बच्चे कॉम्पटीशन एग्जाम को क्लीयर कर पाएंगे ,जब उनका बेस ही मजबूत न हो ।

👉स्कूल के फ्लेक्स में प्रधान मंत्री से लेकर तमाम जिले के सभी प्रशासनिक अधिकारीयो और नेताओ की तस्वीर है ,पर इनमें से किसी ने इस स्कूल की दशा नही सुधारी।

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