बस्तर में नई सरकार आने के बाद भी आदिवासियों के साथ बर्ताव में बस्तर पुलिस की भूमिका ज्यों की त्यों

हत्या या अप्राकृतिक मौत होने पर गांव वालों पर दबाव डाला जाता है कि वे खुद लाश ढोकर थाना लाएं , दुर्व्यवहार भी

तामेश्वर सिन्हा

कांकेर । इसमें कोई दो मत नही है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने ऐतिहासिक और जनहित के फैसले लिए है, इसका मतलब ये नही है कि पुराने सरकार के दमनात्मक माहौल को निरंतर बरकार रखने का अधिकार नही मिल जाता है ।

मामला कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा का है 27 अगस्त को गांव के युवक जो पेशे से शिक्षक थे कि हत्या हो गयी । हत्या की सूचना देने आए जुंगड़ा ग्राम के ग्रामीणों को घंटो थाना कोयलीबेड़ा में बिठा दिया गया , और लाश को ग्रामीणों द्वारा ही घटना स्थल से लाने कहा गया। लाश लाने के बाद शाम हो जाने के कारण पोस्टमार्टम नही होने की दशा में फ्रीजर नही होने के कारण अन्तागढ़ भेज दिया । अगली सुबह पोस्टमार्टम होने की बात कही गयी। शाम से थाना में बैठे 20 ग्रामीणों को न पानी न भोजन दिया गया । ग्रामीणों ने गांव के कुछ लोगों को फोन कर चांवल दाल मांगे और खुद थाने में पकाकर भोजन किये , उन्हें धमकाया गया था कि बाहर चले जाओगे तो वापस नही आओगे कहकर लोगों को धमकाया गया। इसमे महिलाएं भी शामिल थी उन्हें भी थाने में ही रोका गया जबकि थाने में कोई महिला बल नही था ।

रात भर पूछताछ के नाम पर जगाया गया सुबह 5 बजे सोने कहा गया उस पर भी न दरी न चादर जमीन में ही 2 घण्टे के लिए लेट गए ग्रामीण। सुबह भी कुछ नही दिया गया , चाय नास्ता के लिए बाहर जाओ और तुरंत आने को कहा गया । सुबह भी कोई भोजन नही दिया गया रात का बचा चांवल को फ्राई कर ग्रामीणों ने पेट भरा । फिलहाल ग्रामीण अपने गांव लौट गए है।

लगता है बस्तर के पूरे पुलिस महकमे को थोड़ा भी आभास नही है कि सरकार बदल गई है या फिर रमन सरकार और भूपेश सरकार में कोई अंतर नही है। कांग्रेस ने चुनाव से पहले बस्तर के आदिवासियों से वादा किया था कि अगर उनकी सरकार बनती है तो सरकार बनने के कुछ ही दिन बाद जेल में बंद हजारों निर्दोष आदिवासियों को जेल से बाहर छोड़ा जाएगा । पर स्थिति यह है की सरकार बनने के 9 माह गुजरने को है और इस दिशा में सरकार ने अब तक कुछ तो किया नहीं बल्कि उल्टे सैकड़ों की संख्या में निर्दोष आदिवासियों को भाजपा शासन की तरह ही जेल में भेजना जारी रखा है । कुछ और लोगों को जेल में डाल दीजिए पुराने सरकार के दमन के आंकड़े के बराबर आ जाएंगे।

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