बिल्डर्स, अधिकारी,नेताओं के हजारों हेक्टेयर अवैध कब्जों को वैध करने का निर्णय किसानों व गरीबों के खिलाफ : माकपा

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने अमीरों के कब्जे वाली नजूल जमीन को उन्हें सौंपने तथा संग्रहण केन्द्रों पर रखे लाखों टन अनाज का उपयोग इथेनोल बनाने के लिए करने के मंत्रिमंडल के निर्णय की तीखी आलोचना की है तथा इसे गरीबविरोधी और अमीरपस्त बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है.

आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिवमंडल ने कहा है कि नजूल जमीन पर बसे ग़रीबों को आवासीय हक देने की जगह कांग्रेस सरकार राजनेताओं, ठेकेदारों, रियल बिल्डर्स और अधिकारियों के हजारों फुट जमीन पर अवैध कब्जों को वैध करके उन्हें सौंपने का काम कर रही है. यह सीधे-सीधे इन तबकों के अवैध कामों को राजनैतिक संरक्षण देना और अमीरों के आगे घुटने टेकना ही है. यही कारण है कि पिछले दिनों जमीन की सरकारी दरों को कम किया गया है. इससे भूमि अधिग्रहण की चपेट में आने वाले किसानों को तो नुकसान होगा, लेकिन रियल स्टेट बिल्डर्स और बड़े कब्जेदारों की चांदी होगी.

माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने धान और गन्ने से इथेनोल बनाने के फैसले पर भी कड़ी आपत्ति की है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में आज भी आधी आबादी कुपोषित है और सार्वजनिक वितरण प्रणाली तक पहुंच से लाखों परिवार वंचित हैं. इस वर्ष आधा राज्य और तीन-चौथाई किसान वर्षा की कमी और अनियमित वर्षा के कारण सूखे की स्थिति का सामना कर रहे हैं. इससे अनाज उत्पादन में गिरावट आने वाली है और इस अतिरिक्त अनाज भंडारण से 15 लाख परिवारों का पूरे साल भरण-पोषण किया जा सकता है. ऐसे में खाद्य भंडारण को एल्कोहोल बनाने के लिए खोलना, जिसका अधिकांश शराब बनाने के लिए उपयोग किया जाएगा, अदूरदर्शितापूर्ण कदम ही कहा जाएगा.

माकपा नेता ने मांग की है कि इस अतिरिक्त अनाज को सार्वभौमिक वितरण प्रणाली जरिये राज्य के सभी जरूरतमंद नागरिकों को उपलब्ध कराया जाए तथा ‘काम के बदले अनाज’ योजना चलाकर ग्रामीण व शहरी अधोसंरचना को मजबूत करने के लिए इसका उपयोग किया जाए. इससे प्रदेश से पलायन रोकने में भी मदद मिलेगी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!