बैलाडीला में जाकर मनाया आदिवासी दिवस, पहाड़ बचाने की ली शपथ

14 किमी पैदल चलकर 4 हजार से ज्यादा आदिवासी बस्तर के दन्तेवाड़ा ज़िला अन्तर्गत बैलाडीला 13 नंबर नंदराज पहाड़ी पर जमा हुए। पारम्परिक वेशभूषा पहने आदिवासियों ने अपने गीत-संगीत-नृत्य के साथ विश्व आदिवासी दिवस मनाया। साथ ही शपथ ली कि जान दे देंगे लेकिन पहाड़ नही देंगे।

बस्तर (छत्तीसगढ़) : विश्व आदिवासी दिवस (9 अगस्त) के मौके पर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से मीलों दूर एक पहाड़ी पर हजारों की तादाद में आदिवासी इकट्ठा हुए। ये वही पहाड़ी है जिसे बचाने के लिए जून महीने में हजारों आदिवासियों ने ज़ोरदार प्रदर्शन किया था। 14 किमी पैदल चलकर 4 हजार से ज्यादा आदिवासी बस्तर के दन्तेवाड़ा ज़िला अन्तर्गत बैलाडीला 13 नंबर नंदराज पहाड़ी पर जमा हुए। ये आदिवासी विश्व आदिवासी दिवस मनाने के लिए जमा हुए थे। पारम्परिक वेशभूषा पहने आदिवासियों ने अपने पारम्परिक गीत-संगीत-नृत्य के साथ विश्व आदिवासी दिवस मनाया। साथ ही शपथ ली कि जान दे देंगे लेकिन पहाड़ नही देंगे।

आदिवासियों के पारंपरिक भाषा के गानों में पहाड़ी को अडानी को नही देंगे, हम पहाड़ की रक्षा करेंगे, अडानी पहाड़ खोदेगा, प्रदूषण बढ़ेगा पेड़ काटेंगे शब्द गूंज रहे थे।

आदिवासियों ने पेड़ों की कटाई को दुखद बताया और इसकी रक्षा करने की शपथ ली। इसके बाद पीटटोड् माता की पूजा अर्चना की गई। पारंपरिक कार्यक्रम किया। यहां आदिवासियों ने पहाड़ी बचाने से जुड़े हिंदी और गोंडी गाना गाने के साथ नृत्य किया।

aadiwasi1_0.jpg
aadiwasi.jpg


यहां सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी भी पहुंची थीं। उन्होंने आदिवासियों के जोश देखकर कहा कि ऐन समय में कार्यक्रम तय होने के बाद भी इतनी बड़ी संख्या में लोगों का पहुंचना बताता कि वे नंदराज पहाड़ी को लेकर कितने सजग हैं।

नंदराज पर्वत में हजारों की तादाद में जमा हुए आदिवासियों के लिए यह विश्व आदिवासी दिवस अपने आप मे खास रहा।

इस मौके पर नंदराज पहाड़ी पर दूर–सुदूर इलाके से आदिवासी पहुंचे थे। सैकड़ों की संख्या में गांव के लोग तो भारी बारिश के बीच घर से पहाड़ी रास्ते से होते हुए पैदल ही यहां तक पहुंचे। पूछने पर बताया कि वे अपने आराध्य को बचाने के लिए आए हैं।

बता दें कि आदिवासियों का कहना है कि नंदराज पहाड़ में उनके देवता नंदराज देव की पत्नी पिटौड़ देवी का पूजा स्थल है। लेकिन दिसंबर 2018 में इस पहाड़ पर खनन का ठेका अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) को दे दिया गया और एईएल ने जंगल के पेड़ काटने शुरू कर दिए। आदिवासियों ने इसी वर्ष जून महीने में खनन से पहाड़ बचाने के लिए लामबंद होकर 7 दिनों का तक विशाल प्रदर्शन किया था। छत्तीसगढ़ सरकार के हस्तक्षेप के बाद ग्राम सभा की जांच के बाद आंदोलन स्थगित किया गया था। यह जांच प्रक्रिया अभी जारी है

तामेश्वर सिन्हा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!