भूपेश सरकार आदिवासियों की हितैषी है तो 9 सवालों का जवाब दे ,अन्यथा जनता कांग्रेस चुल्लू भर पानी भेजेगी

विश्व आदिवासी दिवस से पहले अमित ने भूपेश से पूछा आदिवासी हित से जुड़े सरकार की भूमिका पर सवाल

रायपुर । अमित जोगी ने विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि अगर वास्तव में भूपेश सरकार आदिवासियों की हितैषी है, तो 9 अगस्त को करोड़ों की ‘अंतराष्ट्रीय आदिवासी दिवस’ की सरकारी शोबाज़ी करने के पहले इन 9 सवालों के जवाब छत्तीसगढ़ के आदिवासियों को देने की हिम्मत दिखाए, अन्यथा 10 अगस्त को जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) अपनी ओर से उन्हें चुल्लु भर पानी ज़रूर भेज देगी

         अमित का कहना है कि भूपेश सरकार ने जनता के करोड़ों रुपए ख़र्च करके आगामी 9 अगस्त 2019 को रायपुर में ‘अंतराष्ट्रीय आदिवासी दिवस’ का आयोजन करने का निर्णय लिया है। इसका प्रमुख उद्देश मुख्यमंत्री जी का आदिवासियों के साथ उनके पारम्परिक पोशाक में फ़ोटो खिचवाना और TV और अख़बारों में छपवाकर अपने नम्बर बढ़ाना है। ऐसा सभी सरकारें करती हैं। 

         किंतु जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) का ये मानना है कि अगर वास्तव में भूपेश सरकार आदिवासियों की हितैषी है, तो 9 अगस्त की सरकारी शोबाज़ी करने के पहले इन 9 सवालों के जवाब छत्तीसगढ़ के आदिवासियों को देने की हिम्मत दिखाए, अन्यथा 10 अगस्त को उन्हें हम अपनी पार्टी की ओर से चुल्लु भर पानी ज़रूर भेज देंगे:
  1. जिन दो आदिवासियों युवकों की सरकारी हिरासत में पिछले महीने अम्बिकापुर और कबीरधाम जिले में हत्या कर दी गई, उनके परिवारों को अब तक न्याय क्यों नहीं मिला?
  2. बस्तर के आदिवासियों के आराध्य नंदराज पर्वत में हज़ारों पेड़ों को काटकर उसपर विराजमान पिट्ठोर मेटा देवी के मंदिर को ध्वस्त करके लोहे की खदान चालू करने के फ़ैसले को अभी तक भूपेश सरकार ने निरस्त क्यों नहीं करा?
  3. आदिवासियों की धोखाधड़ी से हड़पी ज़मीन और वन अधिकार पट्टे, जिसमें स्वयं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी समेत उनके भाजपा के परममित्र बृजमोहन अग्रवाल जी पर गम्भीर आरोप लगें हैं, को लौटाने और दोषियों के ख़िलाफ़ अब तक भूपेश सरकार ने कार्यवाही क्यों नहीं करी?
  4. आदिवासी (अनुसूचित जनजाती) विभाग को शिक्षा विभाग में विलय करके जो पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने आदिवासियों के शिक्षा प्राप्त करने के संवैधानिक अधिकार का गला घोंटने का काम किया था- और जिसका कांग्रेस ने विपक्ष में रहते हुए पुरज़ोर विरोध भी करा था- उसे अब तक बदलने का भूपेश सरकार ने आदेश क्यों नहीं पारित करा?
  5. पोलावरम और इचंपल्ली बाँधों के निर्माण- जिसके कारण सुकमा और बीजापुर जिले के लाखों आदिवासी बेघर और बरबाद हो जाएँगे- और UPA और NDA की केंद्र सरकार द्वारा आदिवासियों की ज़मीन पर बने ₹ 10000 करोड़ की लागत के नगरनार इस्पात संयंत्र, जिसपर बस्तर के नौजवानों का प्रथम अधिकार है, की नीलामी करने के एकपक्षीय फ़ैसलों का भूपेश सरकार ने अब तक विरोध क्यों नहीं करा?
  6. आदिवासी बाहुल्य सरगुज़ा, रायगढ़ और कोरबा में पिछले 7 महीनों में पेसा क़ानून के अंतर्गत बिना ग्रामसभा की अनुमति प्राप्त किए कैसे निजी कम्पनियों को भूपेश सरकार ने 24 कोयला और बॉक्सायट खदाने चालू करने की अनुमति दे दी?
  7. आदिवासी बाहुल्य (अनुसूचित) क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ विभाग में जो 75% से अधिक पद रिक्त पड़े हैं- जिसका सीधा-सीधा ख़ामियाज़ा बढ़ती पलायन और मृत्यु दरों के रूप में यहाँ निवासरत 50,00,000 आदिवासियों को रोज़ भुगतना पड़ रहा है- को स्थायी रूप से भरने के लिए अब तक भूपेश सरकार ने क्यों कार्यवाही नहीं करी है?
  8. आदिवासियों के आर्थिक विकास की बात करने वाली भूपेश सरकार ने आज तक एक भी वृहद वनोपज-आधारित उद्योग लगाने की योजना क्यों नहीं बनायी?
  9. आदिवासियों को मुख्यधारा के जोड़ने वाली 6K रेल्वे लाइन- कुम्हारी-कांकेर-केशकाल-कोंडागाँव-केशलूर-कोंटा- और रायपुर-जगदलपुर-विशाकापटनम उड़ान सेवा शुरू करने का आज तक भूपेश सरकार ने प्रस्ताव क्यों नहीं बनाया?

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